बहुत साल पहले 2006 में पंकज जी लखनऊ आशियाना में एक डिपार्टमेंट स्टोर पर अपने सेल्समेन और डिस्ट्रीब्यूटर के साथ call कर रहे थे। उसकी मालिक एक आंटी जी थी। उनके पति बैंक मैनेजर थे । पंकज जी उनसे काफी देर बातचीत की और जब चलने को हुये तो सेल्समेन को और डिस्ट्रीब्यूटर को इशारा कर दिया कि -- "जाओ आधी जंग लड़ ली है आधी तुम लोग लड़ो । "
उठते समय पंकज जी से एक गलती हो गई। पंकज जी ने उनसे चलते वक़्त ""थैंक यू आँटी जी" कह दिया । और अपनी गाडी पर आकर बैठ गये । थोड़ी देर बाद पंकज जी ने देखा कि उनके दोनों सिपाही मरा सा मुहँ लेकर आ रहे है।
पंकज जी ने पुछा - " क्या हुआ !" वो कहने लगे - "आपकी आंटी जी ने सारा माल वापस कर दिया । "
खैर पंकज जी दुबारा उनके पास गये ।
"क्या स्कीम नहीं दी या CD नहीं काटी ? कॅश डिस्काउंट ! "
तो वो बोली - "आप को मैं आंटी लगती हूँ ? "
" अब बताइये 60 साल की महिला को क्या कहेंगे ? "
पंकज जी को तो हंसी छूठ रही थी अंदर ही अंदर ।
उन्होंने कहा - " आप बताइये दीदी जी कहूँ ! "
तो बोली -- "मैं आपको बुढ़िया लगती हूँ। "
पंकज जी ने कहा -- " किसने कहा इन दो बेवकूफों ने ? "
"नहीं , आप मुझे आंटी जी क्यों बोलते है ? भाभी जी बोलिये । "
पंकज जी ने कहा-" ठीक है , आज से आप भाभी जी और हम आपके देवर । अभी क्या करना है ? ....माल सारा गोदाम में रखवा दूँ भाभी ! "
" अरे ! बिल्कुल रखवा दीजिये और अपना डिस्ट्रीब्यूटर बदल दीजिये। हर समय पैसे माँगा करता है । "
तो पंकज जी ने कहा-- "भाभी , तिल से ही तो तेल निकलेगा । "
हाथ झाड़ते हुए चले आये पंकज जी और डिस्ट्रीब्यूटर को आँख मार दी-- " बेटे तेरा काम कर दिया । "
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"मौलिक व अप्रकाशित "
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धन्यवाद आ. कांता जी
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