For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

Pankaj Joshi
  • Male
  • Lucknow ,Uttar Pradesh
  • India
Share on Facebook MySpace

Pankaj Joshi's Friends

  • Madanlal Shrimali

Pankaj Joshi's Groups

 

Pankaj Joshi's Page

Profile Information

Gender
Male
City State
Lucknow
Native Place
Lucknow
Profession
Sales & Marketing , creative writing
About me
I am a hardworking , god fearing , enjoying creative writing , and a passionate musician

Pankaj Joshi's Blog

हम सब एक हैं

जात पात पंथ काज
विषमतायें हजार
भाषा बोली हैं अलग
हम सब एक हैं ।

वीर भोग्या वसुंधरा
किसान सींचे स्वेद से
लहलहाती बालियां
हम सब एक हैं ।

मची क्यूँ है मारकाट
खामोश क्यूँ हवा हुई
चिराग दिलों के बुझे
हम क्यूँ ना एक हैं ।

आतंकवाद दूर हो
मनु मनु में प्रेम हो
अनेकता में एकता
लगे सब एक हैं ।।

मौलिक व अप्रकाशित ।

Posted on September 9, 2015 at 6:10pm — 3 Comments

वनवास

भूमिजा सुता जनक
चली आज पति संग
त्याग राज वेश सभी
वन  को   विदाई    है ।

वन  भयंकर      पशु
जंगली  आदम  खोर
हड्डियों के ढेर देख 

सीते    घबराई    है ।

प्रभु  राम  सीते  मन
पढ़ मन मुस्कियायें
माया रचने की घडी
कैसी  अब   आई  है ।

देह  धारण     मनुष्य
मिलता बड़े भाग्य से
माया  तेरे  कंधे  बड़ी
जिम्मेदारी  आई    है ।

मौलिक व अप्रकाशित ।

Posted on September 9, 2015 at 1:30pm — 5 Comments

आतंकवाद

कैसी तेरी यह दशा
माँ भारती हुई आज
दुश्मनों का रचा कैसा
ये प्रपञ्च खेल है ।

शेर की मांद भीतर
हाथ देने को तैय्यार
किसने अपने प्राणों
का मोह दिया ठेल है ।

देश के लाल बहुत
सदा हुए हैं तत्पर
करने प्राण उत्सर्ग
उत्सव खेल हैं ।

शत्रु मुण्डमाल आज
हाथों में खडग लिये
माँ भवानी को चढ़ाने
जन गण मेल हैं ।

मौलिक व अप्रकाशित  ।

Posted on September 8, 2015 at 1:25pm — 2 Comments

तहजीब (लघुकथा)

कागज़, कलम, और स्याही स्वयं को दूसरे से श्रेष्ठ सिद्ध करने में लगे हुए थे। कोई भी एक दूसरे के सामने झुकने को तैयार नहीं था। उनका झगड़ा देखकर कवि चुप न सका:

"क्या तुम लोगों को इस बात का भी आभास है कि बिना मेरी उँगलियों के सहारे तुम सब अस्तित्व हीन हो ! "

"किस अस्तित्व की बात कर रहे हो कविवर? अगर मैं न रहूँ तो तुम अपनी भावनाओ को किस चीज़ पर उकेरोगे?" कागज ने चेताया।

"अगर में रोशनाई न बिखेरूं तो लोग कागज पर क्या ख़ाक पढ़ेंगे?"  पीछे से स्याही की आवाज आई I

"मेरे बगैर तुम्हारी…

Continue

Posted on July 21, 2015 at 5:00pm — 5 Comments

Comment Wall (2 comments)

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

At 12:17am on February 5, 2016,
सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर
said…

ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार की ओर से आपको जन्मदिन की हार्दिक शुभकामनायें...

At 10:07pm on March 30, 2015,
सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर
said…

ओबीओ परिवार  में आपका हार्दिक स्वागत है !

 
 
 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"आदरणीय सौरभ भाई , दिल  से से कही ग़ज़ल को आपने उतनी ही गहराई से समझ कर और अपना कर मेरी मेनहत सफल…"
18 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल -मुझे दूसरी का पता नहीं ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय सौरभ भाई , गज़ाल पर उपस्थित हो उत्साह वर्धन करने के लिए आपका ह्रदय से आभार | दो शेरों का आपको…"
18 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"इस प्रस्तुति के अश’आर हमने बार-बार देखे और पढ़े. जो वाकई इस वक्त सोच के करीब लगे उन्हें रख रह…"
21 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल -मुझे दूसरी का पता नहीं ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय गिरिराज भाईजी, बहरे कामिल पर कोई कोशिश कठिन होती है. आपने जो कोशिश की है वह वस्तुतः श्लाघनीय…"
22 hours ago
Aazi Tamaam replied to Ajay Tiwari's discussion मिर्ज़ा ग़ालिब द्वारा इस्तेमाल की गईं बह्रें और उनके उदहारण in the group ग़ज़ल की कक्षा
"बेहद खूबसूरत जानकारी साझा करने के लिए तहे दिल से शुक्रिया आदरणीय ग़ालिब साहब का लेखन मुझे बहुत पसंद…"
yesterday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-177

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post पूनम की रात (दोहा गज़ल )
"धरा चाँद गल मिल रहे, करते मन की बात।   ........   धरा चाँद जो मिल रहे, करते मन…"
Monday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post कुंडलिया
"आम तौर पर भाषाओं में शब्दों का आदान-प्रदान एक सतत चलने वाली प्रक्रिया है। कुण्डलिया छंद में…"
Monday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post अस्थिपिंजर (लघुकविता)
"जिन स्वार्थी, निरंकुश, हिंस्र पलों का यह कविता विवेचना करती है, वे पल नैराश्य के निम्नतम स्तर पर…"
Monday
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-124 (प्रतिशोध)
"आदरणीय  उस्मानी जी डायरी शैली में परिंदों से जुड़े कुछ रोचक अनुभव आपने शाब्दिक किये…"
Jul 31
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-124 (प्रतिशोध)
"सीख (लघुकथा): 25 जुलाई, 2025 आज फ़िर कबूतरों के जोड़ों ने मेरा दिल दुखाया। मेरा ही नहीं, उन…"
Jul 30
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-124 (प्रतिशोध)
"स्वागतम"
Jul 30

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service