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तहजीब (लघुकथा)

कागज़, कलम, और स्याही स्वयं को दूसरे से श्रेष्ठ सिद्ध करने में लगे हुए थे। कोई भी एक दूसरे के सामने झुकने को तैयार नहीं था। उनका झगड़ा देखकर कवि चुप न सका:
"क्या तुम लोगों को इस बात का भी आभास है कि बिना मेरी उँगलियों के सहारे तुम सब अस्तित्व हीन हो ! "
"किस अस्तित्व की बात कर रहे हो कविवर? अगर मैं न रहूँ तो तुम अपनी भावनाओ को किस चीज़ पर उकेरोगे?" कागज ने चेताया।
"अगर में रोशनाई न बिखेरूं तो लोग कागज पर क्या ख़ाक पढ़ेंगे?"  पीछे से स्याही की आवाज आई I
"मेरे बगैर तुम्हारी स्याही, कागज और यह लेखक सब बेकार हैं।" आँखों से अंगारे बरसा रही कलम ने सबको ललकारते हुए कहा:
बहस और तेज़ हो गई थी।
तभी तेज बारिश लिये एक अंधड़ आया तथा लेखक के द्वारा कलम और स्याही से कागज पर उकेरे मनोभावों को साथ उडाता हुआ ले गया।
एक तहजीब बारिश के पानी घुल कर प्रकृति में रच बस चुकी थी ।


मौलिक व अप्रकाशित ।

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Comment by Mamta on August 12, 2015 at 10:07am
आदरणीय पंकज जी लघुकथा अच्छी लगी,बधाई!
सादर ममता
Comment by Pankaj Joshi on July 24, 2015 at 3:37pm
आ. सौरभ सर , मिथिलेश सर , महर्षि त्रिपाठी जी उत्साह वर्धन हेतु आप सबका तहे दिल से आभारी हूँ।

सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on July 23, 2015 at 3:14pm

आपकी कोशिश और प्रस्तुति केलिए धन्यवाद भाईजी. सचेत प्रयास बना रहे..

शुभ-शुभ


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on July 23, 2015 at 1:10pm

आदरणीय पंकज जी, इस प्रस्तुति के हवाले से मैं आदरणीय योगराज सर की टिप्पणी पुनः साझा करना चाहूँगा.

लघुकथा लिखते समय एक रचनाकार को मुख्यत: ३ बातों का ध्यान रखना चाहिए:

.

१. क्या लिखना है (अर्थात लघुकथा का कथानक)
२. क्यों लिखना है (अर्थात लघुकथा का उद्देश्य अथवा सन्देश)
३. कैसे लिखना है (अर्थात शिल्प शैली)

.

इन तीनो में से यदि एक बिंदु भी उपेक्षित रह गया तो रचना बहुत जल्द दम तोड़ देगी।

Comment by maharshi tripathi on July 22, 2015 at 10:11pm

बढ़िया रचना हुई है ,,हार्दिक बधाई आ. Pankaj Joshi जी |

कृपया ध्यान दे...

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