कागज़, कलम, और स्याही स्वयं को दूसरे से श्रेष्ठ सिद्ध करने में लगे हुए थे। कोई भी एक दूसरे के सामने झुकने को तैयार नहीं था। उनका झगड़ा देखकर कवि चुप न सका:
"क्या तुम लोगों को इस बात का भी आभास है कि बिना मेरी उँगलियों के सहारे तुम सब अस्तित्व हीन हो ! "
"किस अस्तित्व की बात कर रहे हो कविवर? अगर मैं न रहूँ तो तुम अपनी भावनाओ को किस चीज़ पर उकेरोगे?" कागज ने चेताया।
"अगर में रोशनाई न बिखेरूं तो लोग कागज पर क्या ख़ाक पढ़ेंगे?" पीछे से स्याही की आवाज आई I
"मेरे बगैर तुम्हारी स्याही, कागज और यह लेखक सब बेकार हैं।" आँखों से अंगारे बरसा रही कलम ने सबको ललकारते हुए कहा:
बहस और तेज़ हो गई थी।
तभी तेज बारिश लिये एक अंधड़ आया तथा लेखक के द्वारा कलम और स्याही से कागज पर उकेरे मनोभावों को साथ उडाता हुआ ले गया।
एक तहजीब बारिश के पानी घुल कर प्रकृति में रच बस चुकी थी ।
मौलिक व अप्रकाशित ।
Comment
आपकी कोशिश और प्रस्तुति केलिए धन्यवाद भाईजी. सचेत प्रयास बना रहे..
शुभ-शुभ
आदरणीय पंकज जी, इस प्रस्तुति के हवाले से मैं आदरणीय योगराज सर की टिप्पणी पुनः साझा करना चाहूँगा.
लघुकथा लिखते समय एक रचनाकार को मुख्यत: ३ बातों का ध्यान रखना चाहिए:
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१. क्या लिखना है (अर्थात लघुकथा का कथानक)
२. क्यों लिखना है (अर्थात लघुकथा का उद्देश्य अथवा सन्देश)
३. कैसे लिखना है (अर्थात शिल्प शैली).
इन तीनो में से यदि एक बिंदु भी उपेक्षित रह गया तो रचना बहुत जल्द दम तोड़ देगी।
बढ़िया रचना हुई है ,,हार्दिक बधाई आ. Pankaj Joshi जी |
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