For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

मॉनसून का मौसम इस वर्ष भी ना के बराबर ही रहा प्रदेश में , तेज चटक धूप ने धरती को चीर कर रख दिया था , भूमि बंजर हो गई थी । ठीक वही हालात अनन्या के भी थे ।

छोटी उम्र में शादी , दूसरे दिन पति के स्वर्गवास होने का दंश भी ससुराल वालों ने उसके मत्थे मड़ दिया । बापू आये और बिटिया को वापस घर ले गये ।

कुछ ही वर्षों में बिटिया के वैधव्य के गम में पिता भी चल बसे । घर का सारा बोझ उसने अपने कन्धे पर ले लिया ।

एक बार सावन में अपनी सखियों के साथ बारिश में भीग क्या गई रिश्तेदारी में मानो भूचाल सा गया । सभी ने उसकी माँ और भाइयों को चेताया कि उसके इस व्यवहार से समाज की और लड़कियों पर बुरा असर पड़ेगा तो बस माँ ने उसे कोठरी में बन्द कर दिया।

" माँ का मेरा क्या कसूर है क्या पूरी ज़िन्दगी भर सावन मेरे लिए अभिशप्त रहेगा " कोठरी से अनन्या चिल्लाई ।

हर वर्ष की तरह आज भी उम्र के आखरी पड़ाव में वह पथराई आँखों से अपने जीवन उन काले मेघो का बेसब्री से इन्तेजार करती है ।

बादल आते और बिना बरसे ही उड़ जाते , माई घर चलो कब तक यहाँ बैठी रहोगी ? पीछे पलट कर देखा तो घर का नौकर उससे चलने के लिये कह रहा था ।

निरुत्तर सी उसने अपना चश्मा पोछा और लाठी पकड़ कर ज्यों ही उठने को तैयार ही हुई थी कि आसमान में तेज कड़कदार बिजली कौंधी और झमाझम पानी ने पूरे उसके पूरे शरीर को भिगो दिया और वह निढाल होकर जो गिरी तो दुबारा ना उठ सकी । आज धरती बंजर नहीं थी ।

मौलिक व अप्रकाशित ।

Views: 388

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Pankaj Joshi on July 19, 2015 at 7:47pm

धन्यवाद  amod bindouri जी ।

Comment by Pankaj Joshi on July 19, 2015 at 7:09pm

जी , मिथिलेश वामनकर सर ,टँकड़ की त्रुटियों की ओर भविष्य में ध्यान रखूँगा। उत्साह वर्धन हेतु आपका बहुत बहुत धन्यवाद ।


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on July 16, 2015 at 10:43pm

आदरणीय पंकज जी, एक विधवा के जीवन की पीड़ा को आपने सधे हुए ढंग से शाब्दिक किया है, इस मार्मिक लघुकथा पर बधाई.

कुछ टंकण त्रुटियाँ -

भूचाल सा गया ।

 माँ का मेरा क्या कसूर है

पूरे उसके पूरे शरीर को भिगो दिया 

Comment by amod shrivastav (bindouri) on July 16, 2015 at 10:14pm
क्या बात है सर ...सुन्दर रचना बधाई
Comment by Pankaj Joshi on July 16, 2015 at 12:35pm

उत्साहवर्धन हेतु धन्यवाद आदरणीय तेजवीर सिंह सर जी ।

Comment by TEJ VEER SINGH on July 16, 2015 at 11:35am

आदरणीय पंकज जोशी  जी, आपकी कथा ने एक विधवा के जीवन की कठिनाइयों का बडी बारीकी से विश्लेषण किया है!बहुत सुन्दर !हार्दिक बधाई!

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Shabla Arora updated their profile
2 hours ago
Shabla Arora is now a member of Open Books Online
5 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . अपनत्व
"आदरणीय सौरभ जी  आपकी नेक सलाह का शुक्रिया । आपके वक्तव्य से फिर यही निचोड़ निकला कि सरना दोषी ।…"
5 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-174
"शुभातिशुभ..  अगले आयोजन की प्रतीक्षा में.. "
20 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-174
"वाह, साधु-साधु ऐसी मुखर परिचर्चा वर्षों बाद किसी आयोजन में संभव हो पायी है, आदरणीय. ऐसी परिचर्चाएँ…"
20 hours ago
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-174
"आदरणीय सौरभ जी सादर प्रणाम, प्रदत्त विषयानुसार मैंने युद्ध की अपेक्षा शान्ति को वरीयता दी है. युद्ध…"
20 hours ago
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-174
"   आदरणीय अजय गुप्ता जी सादर, प्रस्तुत गीत रचना को सार्थकता प्रदान करती प्रतिक्रिया के…"
21 hours ago
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-174
"आदरणीय भाई लक्ष्मण धामी जी सादर, नाश सृष्टि का इस करना/ इस सृष्टि का नाश करना/...गेयता के लिए…"
21 hours ago
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-174
"  आदरणीय गिरिराज भण्डारी जी सादर, प्रस्तुत गीत रचना को प्रदत्त विषयानुरूप पाने के लिए आपका…"
21 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-174
"क्या ही कथ्य, क्या ही तथ्य और क्या ही प्रवाह .. वाह वाह वाह ..  आदरणीय अशोक भाईजी, आपने…"
21 hours ago
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-174
"युद्ध की विभीषिका की चेतावनी देती उत्तम रचना हुई आ॰ अशोक जी। सभी भाव पसंद आए।"
22 hours ago
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-174
"अच्छी ग़ज़ल हुई है आदरणीय। परिवर्तित मतला और शेर भी बहुत प्रभावी बन पड़ा है। मंच को लाभान्वित करने…"
22 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service