मॉनसून का मौसम इस वर्ष भी ना के बराबर ही रहा प्रदेश में , तेज चटक धूप ने धरती को चीर कर रख दिया था , भूमि बंजर हो गई थी । ठीक वही हालात अनन्या के भी थे ।
छोटी उम्र में शादी , दूसरे दिन पति के स्वर्गवास होने का दंश भी ससुराल वालों ने उसके मत्थे मड़ दिया । बापू आये और बिटिया को वापस घर ले गये ।
कुछ ही वर्षों में बिटिया के वैधव्य के गम में पिता भी चल बसे । घर का सारा बोझ उसने अपने कन्धे पर ले लिया ।
एक बार सावन में अपनी सखियों के साथ बारिश में भीग क्या गई रिश्तेदारी में मानो भूचाल सा गया । सभी ने उसकी माँ और भाइयों को चेताया कि उसके इस व्यवहार से समाज की और लड़कियों पर बुरा असर पड़ेगा तो बस माँ ने उसे कोठरी में बन्द कर दिया।
" माँ का मेरा क्या कसूर है क्या पूरी ज़िन्दगी भर सावन मेरे लिए अभिशप्त रहेगा " कोठरी से अनन्या चिल्लाई ।
हर वर्ष की तरह आज भी उम्र के आखरी पड़ाव में वह पथराई आँखों से अपने जीवन उन काले मेघो का बेसब्री से इन्तेजार करती है ।
बादल आते और बिना बरसे ही उड़ जाते , माई घर चलो कब तक यहाँ बैठी रहोगी ? पीछे पलट कर देखा तो घर का नौकर उससे चलने के लिये कह रहा था ।
निरुत्तर सी उसने अपना चश्मा पोछा और लाठी पकड़ कर ज्यों ही उठने को तैयार ही हुई थी कि आसमान में तेज कड़कदार बिजली कौंधी और झमाझम पानी ने पूरे उसके पूरे शरीर को भिगो दिया और वह निढाल होकर जो गिरी तो दुबारा ना उठ सकी । आज धरती बंजर नहीं थी ।
मौलिक व अप्रकाशित ।
Comment
धन्यवाद amod bindouri जी ।
जी , मिथिलेश वामनकर सर ,टँकड़ की त्रुटियों की ओर भविष्य में ध्यान रखूँगा। उत्साह वर्धन हेतु आपका बहुत बहुत धन्यवाद ।
आदरणीय पंकज जी, एक विधवा के जीवन की पीड़ा को आपने सधे हुए ढंग से शाब्दिक किया है, इस मार्मिक लघुकथा पर बधाई.
कुछ टंकण त्रुटियाँ -
भूचाल सा गया ।
माँ का मेरा क्या कसूर है
पूरे उसके पूरे शरीर को भिगो दिया
उत्साहवर्धन हेतु धन्यवाद आदरणीय तेजवीर सिंह सर जी ।
आदरणीय पंकज जोशी जी, आपकी कथा ने एक विधवा के जीवन की कठिनाइयों का बडी बारीकी से विश्लेषण किया है!बहुत सुन्दर !हार्दिक बधाई!
आवश्यक सूचना:-
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |
3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |
4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)
5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |
© 2024 Created by Admin. Powered by
महत्वपूर्ण लिंक्स :- ग़ज़ल की कक्षा ग़ज़ल की बातें ग़ज़ल से सम्बंधित शब्द और उनके अर्थ रदीफ़ काफ़िया बहर परिचय और मात्रा गणना बहर के भेद व तकतीअ
ओपन बुक्स ऑनलाइन डाट कॉम साहित्यकारों व पाठकों का एक साझा मंच है, इस मंच पर प्रकाशित सभी लेख, रचनाएँ और विचार उनकी निजी सम्पत्ति हैं जिससे सहमत होना ओबीओ प्रबन्धन के लिये आवश्यक नहीं है | लेखक या प्रबन्धन की अनुमति के बिना ओबीओ पर प्रकाशित सामग्रियों का किसी भी रूप में प्रयोग करना वर्जित है |
You need to be a member of Open Books Online to add comments!
Join Open Books Online