For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

एक था टाईगर (लघुकथा)

एक दिन वह अपने जर्मन शेफर्ड को सुबह घुमाने ले गई तो गलती से एक व्यक्ति के घर पर बंधा पामेरियन भी था , पामेरियन भौंका तो टाइगर ने जंजीर को तेजी से छुड़ाते हुए पास में बंधे एक पामेरियन को दबोच लिया ।

"टाइगर इधर आओ छोड़ो उसको " बिटिया चिल्लाई 

वहां खड़े और लोग भी पामेरियन को बचाने में जुट गये। और उस लड़की को  भला बुरा कहने लगे:

"जब आप से कुत्ता नहीं सम्भलता तो इसे पालते क्यों हो ?

तभी किसी ने टाइगर के सर पर तेजी से लोहे की रॉड से वार किया ।

"बेचारी लड़की भागती हुई बदहवास सी भागती हुई घर आई !!" " मम्मी उन लोंगो ने टाइगर को लोहे से मार डाला "। 

जब तक उसको हस्पताल ले जाते तब तक उसने उसकी गोदी में अपनी आखिरी साँस ली और दुनिया से रुखसत कर गया ।

उसे आज आदमी और जानवर का  फर्क सामने ही नजर आ रहा था  ।

मौलिक व अप्रकाशित ।

Views: 451

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by amod shrivastav (bindouri) on July 16, 2015 at 10:25pm
सर आप की कहानी रोचक है पर आप को स्पस्ट कहना चाहिए की आप क्या सन्देश देना चाहते हैं । कहानी सरल है सादे शब्द है पर कही कुछ अधुरा पन है ......आलोचना के लिए क्षमा चाहुगा

सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on July 16, 2015 at 10:13pm

आज आदमी और जानवर का  फर्क सामने ही नजर आ रहा था !
सही है, पामेरियन तो फिर भी बच गया था. उस अल्शेशियन के तो प्राण-पखेरू उड़ गये थे. इस विन्दु के सापेक्ष आपकी प्रस्तुति सोचने को बाध्य करती है. लेकिन यह भी सही है कि इस इंगित में साहित्यिक प्रस्तुति के हिसाब से नयापन नहीं है.
एक अत्यंत प्रसिद्ध फ़िल्मी गीत इन्हीं संदर्भों में है. आपने भी सुना होगा - जब जानवर कोई इन्सान को मारे / वहशी है, दुनिया में / कहते उसे सारे / इक जानवर की जां आज इन्सानों ने ली है.. / चुप क्यूँ है संसार ?

प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई, आदरणीय पंकजजी.

Comment by JAWAHAR LAL SINGH on July 8, 2015 at 10:26pm

उसे आज आदमी और जानवर का  फर्क सामने ही नजर आ रहा था  

नफ़रत की दुनिया को छोड़ के प्यार के दुनिया में खुश रहना मेरे यार! हाथी मेरे साथी का वो गाना याद आरहा है! 

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on July 8, 2015 at 8:59pm

इस कथा पर कोई टिप्पणी न देखकर आश्चर्य हुआ . कथा का सन्देश ठीक था  पर सम्प्रेषण में कुछ कमी रही .आगे बेहतर की उम्मीद करते हैं . सादर .

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी left a comment for Shabla Arora
"आपका स्वागत है , आदरणीया Shabla jee"
8 hours ago
Shabla Arora updated their profile
11 hours ago
Shabla Arora is now a member of Open Books Online
13 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . अपनत्व
"आदरणीय सौरभ जी  आपकी नेक सलाह का शुक्रिया । आपके वक्तव्य से फिर यही निचोड़ निकला कि सरना दोषी ।…"
14 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-174
"शुभातिशुभ..  अगले आयोजन की प्रतीक्षा में.. "
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-174
"वाह, साधु-साधु ऐसी मुखर परिचर्चा वर्षों बाद किसी आयोजन में संभव हो पायी है, आदरणीय. ऐसी परिचर्चाएँ…"
yesterday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-174
"आदरणीय सौरभ जी सादर प्रणाम, प्रदत्त विषयानुसार मैंने युद्ध की अपेक्षा शान्ति को वरीयता दी है. युद्ध…"
yesterday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-174
"   आदरणीय अजय गुप्ता जी सादर, प्रस्तुत गीत रचना को सार्थकता प्रदान करती प्रतिक्रिया के…"
yesterday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-174
"आदरणीय भाई लक्ष्मण धामी जी सादर, नाश सृष्टि का इस करना/ इस सृष्टि का नाश करना/...गेयता के लिए…"
yesterday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-174
"  आदरणीय गिरिराज भण्डारी जी सादर, प्रस्तुत गीत रचना को प्रदत्त विषयानुरूप पाने के लिए आपका…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-174
"क्या ही कथ्य, क्या ही तथ्य और क्या ही प्रवाह .. वाह वाह वाह ..  आदरणीय अशोक भाईजी, आपने…"
yesterday
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-174
"युद्ध की विभीषिका की चेतावनी देती उत्तम रचना हुई आ॰ अशोक जी। सभी भाव पसंद आए।"
yesterday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service