For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

आरव ने खेल खेल में मेज पर प्लेट और गिलास से एक मीनार बना दी थी।""
"आरव बेटा यह क्या किया आपने"
आरव की मम्मा ने जिज्ञासावश आरव से पूछा।
"मम्मा मैंने यह अलार्म बनाया है ,अब जैसे ही भूकंप आयेगा हम जल्दी से घर से बाहर निकल जायेगे।कैसा है यह अलार्म मम्मा "
"बेटा जी अलार्म तो बहुत अच्छा है ।पर भगवान ना करें कि इसके बजने की नौबत आये"!

"मौलिक एवंम अप्रकाशित"

Views: 698

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by neha agarwal on May 1, 2015 at 3:46pm
बागी सर जी यह तारिफ है या बुराई ,
मुझ कम बुद्धि को समझ नहीं आयी।।

मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on April 28, 2015 at 11:21pm

इस आलार्म की चर्चा इधर व्हाट्स एप्स और फेस बुक पर खूब हुआ, उस चर्चा को ओ बी ओ पर लाने हेतु आभार.

Comment by neha agarwal on April 28, 2015 at 8:29pm
सादर धन्यवाद आदरणीय विजय जी
Comment by vijay nikore on April 28, 2015 at 4:18pm

 सुन्दर प्रस्तुति के लिए बधाई।

Comment by neha agarwal on April 28, 2015 at 9:41am
सादर धन्यवाद आदरणीय मोहन सेठी जी
Comment by neha agarwal on April 28, 2015 at 9:40am
सादर धन्यवाद आदरणीय सौरभ जी
Comment by Mohan Sethi 'इंतज़ार' on April 28, 2015 at 7:29am

हर एक दिल में भूकंप ने भूकंप ला दिया है ......प्रभावी लघुकथा ....सादर 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on April 27, 2015 at 11:48pm

परिघटनाओं से भावदशा सान्द्र हो तो रचनाएँ उभरती ही हैं .

शुभकामनाएँ ..

Comment by neha agarwal on April 27, 2015 at 8:34pm
धन्यवाद आदरणीय डॉ गोपाल नारायन श्री वास्तव जी
Comment by neha agarwal on April 27, 2015 at 8:31pm
धन्यवाद आदरणीय dr vijai shanker जी

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहे -रिश्ता
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। दोहों पर आपकी प्रतिक्रिया से उत्साहवर्धन हुआ। स्नेह के लिए आभार।"
3 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहे -रिश्ता
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। दोहों पर उपस्थिति और प्रशंसा के लिए आभार।"
3 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहे -रिश्ता
"आदरनीय लक्ष्मण भाई  , रिश्तों पर सार्थक दोहों की रचना के लिए बधाई "
7 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . विरह शृंगार
"आ. सुशील  भाई  , विरह पर रचे आपके दोहे अच्छे  लगे ,  रचना  के लिए आपको…"
8 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post कहीं खो गयी है उड़ानों की जिद में-गजल
"आ. भाई चेतन जी सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति के लिए हार्दिक धन्यवाद।  मतले के उला के बारे में…"
8 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post कहीं खो गयी है उड़ानों की जिद में-गजल
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति के लिए आभार।"
8 hours ago
Chetan Prakash commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . विरह शृंगार
"आ. सुशील  सरना साहब,  दोहा छंद में अच्छा विरह वर्णन किया, आपने, किन्तु  कुछ …"
11 hours ago
Chetan Prakash commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post कहीं खो गयी है उड़ानों की जिद में-गजल
"आ.आ आ. भाई लक्ष्मण धामी मुसाफिर.आपकी ग़ज़ल के मतला का ऊला, बेबह्र है, देखिएगा !"
11 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post कहीं खो गयी है उड़ानों की जिद में-गजल
"आदरणीय लक्ष्मण भाई , ग़ज़ल के लिए आपको हार्दिक बधाई "
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी and Mayank Kumar Dwivedi are now friends
Monday
Mayank Kumar Dwivedi left a comment for Mayank Kumar Dwivedi
"Ok"
Sunday
Sushil Sarna commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहे -रिश्ता
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी रिश्तों पर आधारित आपकी दोहावली बहुत सुंदर और सार्थक बन पड़ी है ।हार्दिक बधाई…"
Apr 1

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service