For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

आदमी एक दो मुहां साँप है

आदमी....
कभी बाघ बन दहाड़ता है
कभी कुत्ता बन लड़ता है
कभी गिद्ध बन मांस ग्रहण करता है
तो कभी
गीदर बन भाग खड़ा होता है
कभी गिरगिट की तरह रंग बदलता है

आदमी.....
कभी धर्म के लिए स्वं मरता है
कभी दूसरों को मारता है / काटता है

आदमी ......
कभी देश बाटता है
कभी जाती बाटता है
कभी भाषा बाटता है
तो कभी एकता का पाठ पढ़ाता है

आदमी ....
कभी कंजूस बन पैसे के लिए मरता है
कभी दानी बन पैसे लुटाता है
कभी स्नेह करता है
तो कभी नफरत की आग बरसाता है

आदमी ....
कभी नारी को पूजता है
कभी नारी को जलाता है
कभी अपने बच्चे की बलि देता है
तो कभी बीबीयो को बदलता है

आदमी .....
कभी चोर बनता है
कभी साधू बनता है
कभी देशभक्ति की चादर ओढ़ता है
तो कभी देशद्रोह की तलवार भांजता है

मैं
आदमी हो कर भी
आदमी को नहीं समझ सका ....

सच कहू ... दोस्त
आदमी एक दो मुहां साँप है

Views: 430

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on June 10, 2010 at 11:04pm
आदमी ......
कभी देश बाटता है
कभी जाती बाटता है
कभी भाषा बाटता है
तो कभी एकता का पाठ पढ़ाता है

Aap ne aadmi namak jantu ki vivechna bahut sahi dhang sey kiyaa hai, thanks
Comment by Rash Bihari Ravi on June 9, 2010 at 6:41pm
aapki kavita utam nahi sabotan sandar jandar manmohak manbhawan jo bhi kahte hain kam lagta hain ,
Comment by Rash Bihari Ravi on June 9, 2010 at 6:39pm
bahut bahut dhanyabad babn ji avam admin ji
Comment by Admin on June 9, 2010 at 5:38pm
आदरणीय रवि कुमार "गुरु" जी आपने जिन दो पक्तियों का जिक्र किया है, आपकी बातो को अबिलम्ब दूरभाष द्वारा लेखक तक पंहुचा दिया गया है, और उन्होने कहा है की उनका मकसद किसी के भावना को आहत करना नहीं है और वो शीघ्र ही अपने पोस्ट को एडिट कर लेंगे, धन्यबाद,
Comment by Admin on June 9, 2010 at 4:57pm
बबन भाई बहुत सुंदर रचना दिये है, एकदम सही कहा है आपने आदमी नाम का जीव वास्तव मे बहुत ही विचित्र जीव है, जिसको समझ पाना बहुत ही मुस्किल है, आदमी तो एक होता है पर उसका रूप अनेक होता है, आपने बहुत ही अनोखे अंदाज मे आदमी रुपी जीव की विवेचना की है,
मुझे एक सुनी सुनाई छोटी सी कहानी याद आ रही है की एक चुड़ैल कब्रिस्तान मे अपनी छोटी सी बच्ची को पिट रही थी और जोर जोर से बोल रही थी की कितनी बार तुमको मना किया है की शाम ढले कब्रिस्तान से बाहर न जाया करो उधर आदमी लोग रहते है कही कुछ उंच नीच हो गया तो मै तुम्हारे पापा को क्या मुह दिखाउंगी,
बहुत बहुत धन्यबाद इस रचना के लिये,

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sushil Sarna commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"आदरणीय रामबली जी बहुत सुंदर और सार्थक प्रस्तुति हुई है । हार्दिक बधाई सर"
1 hour ago
Admin posted discussions
4 hours ago
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 161

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  …See More
4 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . . रिश्ते
"रिश्तों की महत्ता और उनकी मुलामियत पर सुन्दर दोहे प्रस्तुत हुए हैं, आदरणीय सुशील सरना…"
15 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहा दसक - गुण
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, बहुत खूब, बहुत खूब ! सार्थक दोहे हुए हैं, जिनका शाब्दिक विन्यास दोहों के…"
15 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post दीप को मौन बलना है हर हाल में // --सौरभ
"आदरणीय सुशील सरना जी, प्रस्तुति पर आने और मेरा उत्साहवर्द्धन करने के लिए आपका आभारी…"
16 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post दीप को मौन बलना है हर हाल में // --सौरभ
"आदरणीय भाई रामबली गुप्ता जी, आपसे दूरभाष के माध्यम से हुई बातचीत से मन बहुत प्रसन्न हुआ था।…"
16 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post दीप को मौन बलना है हर हाल में // --सौरभ
"आदरणीय समर साहेब,  इन कुछेक वर्षों में बहुत कुछ बदल गया है। प्रत्येक शरीर की अपनी सीमाएँ होती…"
16 hours ago
Samar kabeer commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"भाई रामबली गुप्ता जी आदाब, बहुत अच्छे कुण्डलिया छंद लिखे आपने, इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।"
23 hours ago
AMAN SINHA posted blog posts
yesterday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . विविध

दोहा पंचक. . . विविधदेख उजाला भोर का, डर कर भागी रात । कहीं उजागर रात की, हो ना जाए बात ।।गुलदानों…See More
yesterday
रामबली गुप्ता posted a blog post

कुंडलिया छंद

सामाजिक संदर्भ हों, कुछ हों लोकाचार। लेखन को इनके बिना, मिले नहीं आधार।। मिले नहीं आधार, सत्य के…See More
Tuesday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service