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आज फिर मैं सुबह के जागने से पहले उठा,
और सूरज से पहले घर से निकल गया  
सफ़र लम्बा है और
मंजिलों तक के फ़ासले जो तय करने हैं |
राहें पथरीली और उबड़ खाबड़ भी हैं तो क्या ?
चाँद पर घर बनाना है तो,
रास्ते में गड्ढे तो मिलेंगे ही !!
चुनौतियाँ भी बरसती रहेंगी ,
पर थकना नहीं है,
हार कर रुकना नहीं है,
बस आँखों में सपने , चेहरे पर मुस्कान
और हाथ में साहस लिए चलते जाना है |
 
तारे शायद सो चुके हैं
आहटें सुनाई नहीं पड़ती ,
पर मुझे अभी जागना है
कल की तैयारी करनी है ,
फिर सफ़र पर जो निकलना है ,
फिर फ़ासले कम करने हैं.......

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Comment

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Comment by Veerendra Jain on April 14, 2011 at 11:43pm
dhanyawad .... Anu shri ji...
Comment by anupama shrivastava[anu shri] on April 14, 2011 at 5:00pm
प्रेरक प्रस्तुति.............सुंदर रचना.........इसी तरह लिखते रहे.धन्यवाद
Comment by Veerendra Jain on April 5, 2011 at 12:23pm
Vandana ji...aap logon ka protsahan aage badhne me bahut sahaayak hai...dhanyawad...
Comment by Veerendra Jain on April 5, 2011 at 12:22pm
Arun ji...rachna pasand karne ke liye bahut bahut aabhar...
Comment by Abhinav Arun on April 3, 2011 at 1:50pm
ग्रेट वीरेंद्र जी सार्थक और प्रेरक रचना के लिये बधाई !!
Comment by Veerendra Jain on March 30, 2011 at 11:24am

Ganesh bhaiya.. bahut dhanyawad...utsahvardhan karne ke liye...

Aap mere bade bhai samaan hain , anurodh nahi aadesh dijiye aap to....

aapke aadeshanusar... profile picture laga di hai maine...

dhanyawad..


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on March 30, 2011 at 8:46am
चाँद पर घर बनाना है तो,

रास्ते में गड्ढे तो मिलेंगे ही,

 

सही कहा है वीरेंदर साहब , यदि कुछ पाना है तो छोटी छोटी परेशानियों से क्या घबराना , अच्छी कविता बधाई , एक अनुरोध , प्रोफाइल फोटो लगा ले तो हम सब को अच्छा लगेगा |

Comment by अमि तेष on March 29, 2011 at 1:21pm
jee fir aap mujhe bulaayege ya me aap ko aabaj du..
Comment by Veerendra Jain on March 29, 2011 at 1:06pm
bilkul Amitesh ji...ache padosi kismat se milte hain..!!!
Comment by अमि तेष on March 29, 2011 at 12:52pm

kal se ham bhi chalege aap ke shaath Veerendra bhaiya

cahnd par hame bhi ghar banana hai...

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