For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

बेखुदी_______मनोज कुमार अहसास

ज़िन्दगी में गीत सारे दिल जलाने को लिखे
या फिर अपने इश्क़ को ही आज़माने को लिखे

बेखुदी में लिख दिया तेरे नाम का पहला हरुफ़
जाने कितने नाम फिर तुझको छिपाने को लिखे
(या)
बेखुदी में लिख दिया मेरे नाम का पहला हरुफ़
जाने कितने नाम फिर मुझको छिपाने को लिखे

और हमारी बेबसी का एक वाक्या ये भी है
हमने तुझको ख़त भी तो तुझसे छिपाने को लिखे

जिसने ये लिखकर दिया उम्मीद पर कायम है सब
वो घडी मिलने की भी अब दिल बचाने को लिखे

हम इसी दुनिया है और तू इसी दुनिया में है
चल नई दुनिया की बातें तुझ को पाने को लिखे

मौलिक और अप्रकाशित

Views: 409

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by मनोज अहसास on May 12, 2015 at 1:57pm
आदरणीय डॉ साहब एवं आदरणीय गिरिराज सर आपकी बड़ी कृपा है
बहर और मात्रा गणना अभी ठीक तरह नहीं समझ हूँ
हो सकता है आपके सानिध्य में भविष्य में सीख जाऊ
सादर
Comment by Dr. Vijai Shanker on May 12, 2015 at 9:51am
आदरणीय मनोज कुमार जी ग़ज़ल के लिए बधाई.

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on May 12, 2015 at 9:42am

आदरणीय मनोज भाई , अच्छी गज़ल कही है आपको हार्दिक बधाइयाँ । आदरणीय समर भाई जी ने बहुत सुन्दर इस्लाह किया है , आप ज़रूर खयाल कीजियेगा ॥ इस मंच बाक़ी गज़ल कहने वालों की तरह आप भी गज़ल की बहर ( मात्रा क्रम ) लिख दिया कीजिये , ताकि सीखने वालों को आसानी हो , समझने,  कहने में ॥

Comment by मनोज अहसास on May 11, 2015 at 8:28pm
मै दिल से आपका शुक्रिया अदा करता हूँ कबीर साहब
आप मुझ पर ध्यान देते है ये बड़ी इनायत है आपकी
आपसे निवेदन है कृपिया ऎसे ही इस्लाह की मेहरबानी करते रहे
मुझे कुछ पता नहीं है
बस दिल की बेचैनी लिख दिया करता हूँ
आपसे एक निवेदन ये भी है मेरी दो तीन ग़ज़ल और भी ब्लॉग पर कृपिया उन्हें भी देखकर निर्देश दे दे
शुक्रिया
मेहरबानी
इनायत
सादर
Comment by Samar kabeer on May 11, 2015 at 6:51pm
जनाब मनोज कुमार अहसास जी ,आदाब,बहुत ही ख़ूबसूरत ग़ज़ल कही है आपने ,शैर दर शैर दाद के साथ मुबारकबाद क़ुबूल फ़रमाऐं ।

तीन मिसरों की तरफ आपका ध्यान आकर्षित करना चाहूँगा :-

(1)"बेखुदी में लिख दिया तेरे नाम का पहला हरुफ़"

इस मिसरे में "हरूफ़" बहुवचन है ,यह मिसरा इस तरह लिखेंगे तो ठीक रहेगा :-

:- "बेख़ुदी में लिख दिया था हर्फ़ तेरे नाम का"

(2) "और हमारी बेबसी का एक वाक्या ये भी है"

ये मिसरा इस तरह कर लें तो ठीक रहेगा :-

"और हमारी बेबसी का एक क़िस्सा ये भी है"

(3) "हम इसी दुनिया है और तू इसी दुनिया में है"

इस मिसरे को इस तरह लिखेंगे तो ठीक होगा :-

"हम भी इस दुनिया में हैं और तू भी इस दुनिया में है"

प्रयास करते रहें ,एक दिन आप बहुत अच्छा लिखने लगेंगे ,कृपया अन्यथा न लें ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185

परम आत्मीय स्वजन, ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 185 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का…See More
yesterday
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, प्रस्तुति पर आपसे मिली शुभकामनाओं के लिए हार्दिक धन्यवाद ..  सादर"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

आदमी क्या आदमी को जानता है -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

२१२२/२१२२/२१२२ कर तरक्की जो सभा में बोलता है बाँध पाँवो को वही छिप रोकता है।। * देवता जिस को…See More
Tuesday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
Monday
Sushil Sarna posted blog posts
Nov 6
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"आ. भाई सौरभ जी, सादर अभिवादन। बेहतरीन गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
Nov 5
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

देवता क्यों दोस्त होंगे फिर भला- लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

२१२२/२१२२/२१२ **** तीर्थ जाना  हो  गया है सैर जब भक्ति का यूँ भाव जाता तैर जब।१। * देवता…See More
Nov 5

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey posted a blog post

कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ

२१२२ २१२२ २१२२ जब जिये हम दर्द.. थपकी-तान देते कौन क्या कहता नहीं अब कान देते   आपके निर्देश हैं…See More
Nov 2
Profile IconDr. VASUDEV VENKATRAMAN, Sarita baghela and Abhilash Pandey joined Open Books Online
Nov 1
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदाब। रचना पटल पर नियमित उपस्थिति और समीक्षात्मक टिप्पणी सहित अमूल्य मार्गदर्शन प्रदान करने हेतु…"
Oct 31
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार। रचना पटल पर अपना अमूल्य समय देकर अमूल्य सहभागिता और रचना पर समीक्षात्मक टिप्पणी हेतु…"
Oct 31

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service