For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

रूतबा मंत्रालय का ( लघुकथा )

"समीर जी , क्या रूतबा है भई आपका ...!!! जहाँ भी जाते हो ..यार , छा जाते हो ! " --- अजय को गर्व था अपने दोस्त पर । समीर का जलवा तो उसके हर अंदाज़ से ही झलकता था। उसकी बातों से ही मंत्रालय में उसकी पद प्रतिष्ठा का अनुमान चल जाता है। जब साले साहब को मंत्रालय में जरूरी काम करवाने की जरूरत आन पडी तो अजय बडे गर्वित हो साले साहब के साथ मंत्रालय की ओर निकल लिए ।आजतक मंत्रालय के दर्शन भी नही किये थे उसने । दोस्त की मेहरबानी से यहाँ तक आने का अवसर भी प्राप्त हुआ । मन गदगद हुआ जा रहा था । मंत्रालय के अंदर प्रवेश करते ही सामने सुरक्षाकर्मी की पैनी नजर से अकबकाया हुआ अजय अपने आप को संभालता हुआ समीर जी का पता पूछा । सुरक्षाकर्मी का युँ उपेक्षित नजरों से उसे देखना अच्छा नही लगा जरा भी ....दोस्त को जरूर सुरक्षाकर्मियों के इस व्यवहार के बारे में बतायेगा ।

मन में गंथन मंथन करता हुआ साले साहब के साथ , जब निश्चित फ्लोर वे पहुँचे तो समीर जी की पूर्णरूपेण व्यक्तित्व से सामना हुआ।सामने की केबिन में समीर जी चाय का ट्रे हाथ में संभाले हुए अपने अधिकारी द्वारा निकम्मेपन की उपाधि से नवाज़े जा रहे थे ।



कान्ता राॅय
भोपाल
मौलिक और अप्रकाशित

Views: 684

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by kanta roy on May 27, 2015 at 6:11am
आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी , कथा के शिल्प में सुधार की अभी गुंजाइश बाकी है । आपने मार्गदर्शन युक्त प्रतिक्रिया देकर मेरा लेखन मार्ग प्रशस्त करने हेतु नमन आपको ।
Comment by kanta roy on May 27, 2015 at 6:08am
आदरणीय मोहन सेठी इंतजार जी बिलकुल सही कहा आपने कि रिश्वत बनाने का खेल ही इनके झूठी शान को बढावा देता है । आभार
Comment by kanta roy on May 27, 2015 at 6:05am
आभार आपको आदरणीय श्याम नारायण वर्मा जी
Comment by kanta roy on May 27, 2015 at 6:04am
आभार आपको आदरणीय हरि प्रकाश दुबे जी
Comment by kanta roy on May 27, 2015 at 6:03am
आभार आपको आदरणीया अन्नपूर्णा बाजपेयी जी
Comment by kanta roy on May 27, 2015 at 6:02am
आभार आपको आदरणीय जितेन्द्र पस्टारिया जी
Comment by kanta roy on May 27, 2015 at 6:01am
आभार आदरणीय अमन कुमार जी कथा पसंदगी के लिये ।
Comment by kanta roy on May 27, 2015 at 6:00am
आभार आपको आदरणीय शुभ्रांशु पाण्डेय जी

सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on May 27, 2015 at 12:32am

ग़ज़ब ! अचम्भित कर दिया ! बहुत खूब !!

अब आप प्रस्तुतीकरण पर ध्यान दें आदरणीया. अर्थात अपनी प्रस्तुति को पढ़ जाइये. देखिये कथा के वाक्यों में क्या सुधार हो सकता है.

सादर शुभकामनाएँ

Comment by Mohan Sethi 'इंतज़ार' on May 16, 2015 at 4:30pm

सटीक व्यंग ....आज कल के ये कर्मचारी भी रिश्वत का पैसा बना लेते हैं ..तो बाहर रुतबा दिखाते ही हैं .... पिछले दिनों कोई ऐसा ही व्यक्ति समाचार में था जिसकी करोड़ो की प्रापर्टी निकली थी ....प्रभावी कथा ..बधाई 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कापुरुष है, जता रही गाली// सौरभ
"आदरणीय मिथिलेश भाई, रचनाओं पर आपकी आमद रचनाकर्म के प्रति आश्वस्त करती है.  लिखा-कहा समीचीन और…"
6 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on Saurabh Pandey's blog post कापुरुष है, जता रही गाली// सौरभ
"आदरणीय सौरभ सर, गाली की रदीफ और ये काफिया। क्या ही खूब ग़ज़ल कही है। इस शानदार प्रस्तुति हेतु…"
22 hours ago
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .इसरार

दोहा पंचक. . . .  इसरारलब से लब का फासला, दिल को नहीं कबूल ।उल्फत में चलते नहीं, अश्कों भरे उसूल…See More
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय सौरभ सर, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। आयोजन में सहभागिता को प्राथमिकता देते…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय सुशील सरना जी इस भावपूर्ण प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई। प्रदत्त विषय को सार्थक करती बहुत…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, प्रदत्त विषय अनुरूप इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई। सादर।"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। बहुत बहुत धन्यवाद। गीत के स्थायी…"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय सुशील सरनाजी, आपकी भाव-विह्वल करती प्रस्तुति ने नम कर दिया. यह सच है, संततियों की अस्मिता…"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आधुनिक जीवन के परिप्रेक्ष्य में माता के दायित्व और उसके ममत्व का बखान प्रस्तुत रचना में ऊभर करा…"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय मिथिलेश भाई, पटल के आयोजनों में आपकी शारद सहभागिता सदा ही प्रभावी हुआ करती…"
Sunday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"माँ   .... बताओ नतुम कहाँ होमाँ दीवारों मेंस्याह रातों मेंअकेली बातों मेंआंसूओं…"
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"माँ की नहीं धरा कोई तुलना है  माँ तो माँ है, देवी होती है ! माँ जननी है सब कुछ देती…"
Saturday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service