For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ग़ज़ल -- मेहनत से कमाता हूँ मैं ...

२२१-१२२१-१२२१-१२२

तलवार से तीरों से न ख़ंज़र से लड़ा हूँ
ख़ुद अपनी अना ही के मुक़ाबिल मैं खड़ा हूँ

मेहमान नवाज़ी मैं दिलो जान से करता
दौलत तो नहीं पास मेरे, दिल का बड़ा हूँ

मेहनत से कमाता हूँ मैं हर अपना निवाला
ईमाँ की कसौटी पे मैं कुन्दन का कड़ा हूँ

घर के लिए राशन लूँ या बच्चों की किताबें
मँहगाई के इस दौर में, मुश्किल में पड़ा हूँ

कहते हैं मुझे लोग मुहब्बत का मसीहा
दुनिया से मैं नफ़रत को मिटाने पे अड़ा हूँ

ये वक़्त बताएगा मैं पत्थर हूँ या हीरा
फ़िलहाल किसी भी न अँगूठी में जड़ा हूँ

नेताओं ने खाए हैं शहीदों के क़फन भी
भारत हूँ मैं और शर्म से धरती में गड़ा हूँ

शोहरत की बुलन्दी पे भी जा कर नहीं भूला
मिट्टी में मिलूंगा ही मैं, मिट्टी का घड़ा हूँ

मौलिक व अप्रकाशित

एक मजाकिया भी :)
कूचे की सभी लड़कियां हैं मेरी दीवानी
लेकिन मैं हनुमान का हूँ भक्त, छड़ा हूँ

Views: 685

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by दिनेश कुमार on June 9, 2015 at 9:49pm

हौसला अफ़्ज़ाई के लिए बहुत शुक्रिया आदरणीय गिरिराज सर जी.

Comment by दिनेश कुमार on June 9, 2015 at 9:48pm

हौसला अफ़्ज़ाई के लिए बहुत शुक्रिया आदरणीय भाई वीनस केसरी जी.

आप ने ग़लती ठीक पकडी है। चूक हुई है मुझसे . बहुत आभार . Will delete पुछल्ला.

Comment by दिनेश कुमार on June 9, 2015 at 9:45pm

हौसला अफ़्ज़ाई के लिए बहुत शुक्रिया आ.krishna mishra 'jaan'gorakhpuri साहब.

Comment by दिनेश कुमार on June 9, 2015 at 9:43pm

हौसला अफ़्ज़ाई के लिए बहुत शुक्रिया आदरणीय डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव सर जी . आभार .

Comment by दिनेश कुमार on June 9, 2015 at 9:42pm

हौसला अफ़्ज़ाई के लिए बहुत शुक्रिया आदरणीय भाई शिज्जू जी .


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on June 5, 2015 at 10:12am

आदरणीय दिनेश भाई , अच्छी गज़ल हुई है दिली बधाइयाँ स्वीकार करें ।

Comment by वीनस केसरी on June 4, 2015 at 1:13pm

दिनेश साहब बहुत खूबसूरत ग़ज़ल के लिए बधाई ...

पुछल्ला को एक बार फिर से देखें .. मेरे ख्याल से हनु/मा/न २२१ होता है

Comment by Krish mishra 'jaan' gorakhpuri on June 3, 2015 at 10:50pm

बहुत ही बेहतरीन मुकम्मल गज़ल हुयी आ० दिनेश सर! हर शेर लाजवाब!

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on June 3, 2015 at 10:03pm

नेताओं ने खाए हैं शहीदों के क़फन भी
भारत हूँ मैं और शर्म से धरती में गड़ा हूँ

शोहरत की बुलन्दी पे भी जा कर नहीं भूला
मिट्टी में मिलूंगा ही मैं, मिट्टी का घड़ा हूँ----------------sundar gajal .


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on June 3, 2015 at 7:13pm

बहुत खूूब आदरणीय दिनेश जी बहुत बहुत बधाई इस खूबसूरत ग़ज़ल के लिये

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"जय-जय "
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"आपकी रचना का संशोधित स्वरूप सुगढ़ है, आदरणीय अखिलेश भाईजी.  अलबत्ता, घुस पैठ किये फिर बस…"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अशोक भाईजी, आपकी प्रस्तुतियों से आयोजन के चित्रों का मर्म तार्किक रूप से उभर आता…"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"//न के स्थान पर ना के प्रयोग त्याग दें तो बेहतर होगा//  आदरणीय अशोक भाईजी, यह एक ऐसा तर्क है…"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय जयहिंद रायपुरी जी, आपकी रचना का स्वागत है.  आपकी रचना की पंक्तियों पर आदरणीय अशोक…"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, आपकी प्रस्तुति का स्वागत है. प्रवास पर हूँ, अतः आपकी रचना पर आने में विलम्ब…"
Sunday
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"सरसी छंद    [ संशोधित  रचना ] +++++++++ रोहिंग्या औ बांग्ला देशी, बदल रहे…"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"आ. भाई अशोक जी सादर अभिवादन। चित्रानुरूप सुंदर छंद हुए हैं हार्दिक बधाई।"
Sunday
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय लक्ष्मण भाईजी  रचना को समय देने और प्रशंसा के लिए आपका हार्दिक धन्यवाद आभार ।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"आ. भाई अखिलेश जी, सादर अभिवादन। चित्रानुसार सुंदर छंद हुए हैं और चुनाव के साथ घुसपैठ की समस्या पर…"
Sunday
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अशोक भाईजी चुनाव का अवसर है और बूथ के सामने कतार लगी है मानकर आपने सुंदर रचना की…"
Sunday
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अशोक भाईजी हार्दिक धन्यवाद , छंद की प्रशंसा और सुझाव के लिए। वाक्य विन्यास और गेयता की…"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service