२१२२ ११२२ ११२२ २२
मैं तो दीवाना हूँ मुझको न जलाओ ऐसे
मेरे ख़त आज हवा में न उड़ाओ ऐसे
चांदनी रात में ऐ चाँद यूं छत पे आकर
मेरे सोये हुए अरमाँ न जगाओ ऐसे
रेत पे जैसे निशाँ क़दमों के बैसे ही सही
दिल से धुंधली मेरी यादें न मिटाओ ऐसे
अब्र-ए- जुल्फ में खुद को यूं छुपा लेते हो
मैं तड़प जाता हूँ मुझको न सताओ ऐसे
तुम समंदर ए गुहर हो ये सभी को है पता
पर न आँखों के गुहर अपने लुटाओ ऐसे
बिन बुलाये मैं तेरी बज्म में आया माना
अजनबी हूँ न जमाने को जताओ ऐसे
रात इक ख्वाब ने सोने न दिया है मुझको
बस अभी सोया हूँ मुझको न जगाओ ऐसे
दिल धडकते हैं कई देख तुम्हे महफ़िल में
लोग जल जाते हैं मुझको न बुलाओ ऐसे
मौलिक व अप्रकाशित
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