For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

छलछलाई आँखों से 
मुस्कराई आँखों से 
विदा दी देहरी ने 
चल पड़ी मैं......

छलछलाई आँखों से 
मुस्कराई आँखों से 
स्वागत किया देहरी ने 
हंस पड़ी मैं.........

रंगोली सजाने लगी 
वंदनवार लगाने लगी
सज गयी देहरी 
रम गयी मैं........

प्रीत ने बहका दिया 
मीत ने महका दिया
लहरा गया आँचल 
संवर गयी मैं........

ममता ने निखार दिया 
आँचल भी संवार दिया
अंतस प्यार भर आया 
चहक पड़ी मैं.......

दिनोदिन बीते घर रीते 
साथी छूटा ममता व्यस्त
बिखर गया सब 
अब सोचूं कौन हूँ मैं 
कौन हूँ मैं ??

(मौलिक और अप्रकाशित)

आभा..

9/9/15

Views: 662

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Jayprakash Mishra on October 7, 2015 at 9:28am
Man ki komal bhaawna umda
salika,badhaai Abha ji
Comment by Meenakshi Sukumaran on September 29, 2015 at 1:32pm

behad khoobsurat bhavpurn rachna Abha ji

Comment by vijay nikore on September 13, 2015 at 1:13pm

 विभिन्न अनुभवों से उतरी मानसिक स्थिति का सुंदर चित्रण। 

Comment by Abha Chandra on September 13, 2015 at 12:42pm

आदरणीय गिरिराज भंडारी जी बहुत बहुत शुक्रिया

Comment by Abha Chandra on September 13, 2015 at 12:41pm

आदरणीय नीता कसार जी आपकी स्नेहिल टिप्पणी हेतु शुक्रिया

Comment by Abha Chandra on September 13, 2015 at 12:39pm
z

कांता दीदी आप की स्नेहिल प्रतिक्रिया से उत्साह सौ गुना बढ़ जाता है तहेदिल से आभार दीदी

Comment by kanta roy on September 11, 2015 at 5:08pm

दिनोदिन बीते घर रीते 
साथी छूटा ममता व्यस्त
बिखर गया सब 
अब सोचूं कौन हूँ मैं 
कौन हूँ मैं ??------

इस कौन होने के एहसास नें सहसा भर दिया जमाने का दर्द , अपरिचित सा संसार लगे , अपने जब पराये से लगे , तब भी पूछू स्वंय से कि " कौन हूँ मै ??" नारी मन सबकी एक सी । बहुत ही सुंदर और संवेदनशील रचना रचना हुई है आदरणीया आभा जी । मन को भावुक कर गई ये रचना आपकी । बधाई स्वीकार करें ।

Comment by Nita Kasar on September 11, 2015 at 12:20pm
महिला मन के भावों का सुंदर चित्रण किया है आपने बधाई आद०आभा चन्द्रा जी ।

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on September 11, 2015 at 10:55am

आदरनीया बहुत सुन्दर कविता की रचना हुई है । हार्दिक बधाई ।

Comment by Abha Chandra on September 10, 2015 at 10:50pm
आदरणीय गोपाल नारायण श्रीवास्तव सर बहुत बहुत आभार समीक्षात्मक टिप्पणी के लिए
मैं आपकी कही गयी बातों का ध्यान रखूंगी
आपकी अमूल्य प्रतिक्रिया का पुनः शुक्रिया
सादर
आदरणीय सुशील शर्मा जी बहुत बहुत आभार आपको स्नेहिल प्रतिक्रिया हेतु
सादर
आदरणीय शिज्जु शकूर जी बहुत बहुत आभार अमूल्य प्रतिक्रिया के लिए
मैं आ. गोपाल सर की बातों को संज्ञान में लेते हुए रचना पर ध्यान रखूंगी
सादर
आदरणीय मिथिलेश वामनकर सर को अमूल्य स्नेहिल प्रतिक्रिया के लिए बहुत बहुत आभार
सादर

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Mahendra Kumar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"इस प्रयास की सराहना हेतु दिल से आभारी हूँ आदरणीय लक्ष्मण जी। बहुत शुक्रिया।"
3 hours ago
Mahendra Kumar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"बहुत-बहुत शुक्रिया आदरणीय दिनेश जी। आभारी हूँ।"
3 hours ago
Zaif replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"212 1222 212 1222 रूह को मचलने में देर कितनी लगती है जिस्म से निकलने में देर कितनी लगती है पल में…"
3 hours ago
Mahendra Kumar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"सादर नमस्कार आ. ऋचा जी। उत्साहवर्धन हेतु दिल से आभारी हूँ। बहुत-बहुत शुक्रिया।"
3 hours ago
Mahendra Kumar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय अमीरुद्दीन जी, सादर अभिवादन। इस प्रयास की सराहना हेतु आपका हृदय से आभारी हूँ।  1.…"
3 hours ago
Mahendra Kumar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय अमित जी, सादर अभिवादन! आपकी विस्तृत टिप्पणी और सुझावों के लिए हृदय से आभारी हूँ। इस सन्दर्भ…"
3 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय लक्ष्मण जी नमस्कार ख़ूब ग़ज़ल कही आपने बधाई स्वीकार कीजिये गुणीजनों की इस्लाह क़ाबिले ग़ौर…"
4 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय अमीर जी बहुत शुक्रिया आपका संज्ञान हेतु और हौसला अफ़ज़ाई के लिए  सादर"
4 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"मोहतरम बागपतवी साहिब, गौर फरमाएँ ले के घर से जो निकलते थे जुनूँ की मशअल इस ज़माने में वो…"
5 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय दिनेश कुमार विश्वकर्मा जी आदाब, तरही मिसरे पर अच्छी ग़ज़ल कही है आपने मुबारकबाद पेश करता…"
5 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"मुहतरमा ऋचा यादव जी आदाब, तरही मिसरे पर ग़ज़ल का अच्छा प्रयास हुआ है बधाई स्वीकार करें, आ० अमित जी…"
5 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय लक्ष्मण धामी भाई मुसाफ़िर जी आदाब ग़ज़ल का अच्छा प्रयास हुआ है बधाई स्वीकार करें, आदरणीय…"
7 hours ago

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service