For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

धर्मान्धों की नगरी में (ग़ज़ल)

बह्र : २२ २२ २२ २२ २२ २२ २२ २

 

इंसाँ दुत्कारे जाते हैं धर्मान्धों की नगरी में

पर पत्थर पूजे जाते हैं धर्मान्धों की नगरी में

 

शब्दों से नारी की पूजा होती है लेकिन उस पर

ज़ुल्म सभी ढाये जाते हैं धर्मान्धों की नगरी में

 

नफ़रत फैलाने वाले बन जाते हैं नेता, मंत्री

पर प्रेमी मारे जाते हैं धर्मान्धों की नगरी में

 

दिन भर मेहनत करने वाले मुश्किल से खाना पाते

ढोंगी सब खाये जाते हैं धर्मान्धों की नगरी में

 

आँख मूँद जो करें भरोसा सच्चे भक्त कहे जाते

बाकी सब कोसे जाते हैं धर्मान्धों की नगरी में

 

गली गली अंधेर मचा है फिर भी जन्नत की ख़ातिर

सारे के सारे जाते हैं धर्मान्धों की नगरी में

------------------

(मौलिक एवं अप्रकाशित)

Views: 568

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by धर्मेन्द्र कुमार सिंह on September 20, 2015 at 10:21pm

बहुत बहुत शुक्रिया आदरणीय विजय निकोर जी

Comment by vijay nikore on September 13, 2015 at 1:16pm

 काफ़िया और रदीफ़ दोनो ही खूबसूरत । बधाई।

Comment by धर्मेन्द्र कुमार सिंह on September 11, 2015 at 11:43am
बहुत बहुत शुक्रिया आदरणीय गिरिराज जी
Comment by धर्मेन्द्र कुमार सिंह on September 11, 2015 at 11:42am
बहुत बहुत शुक्रिया आदरणीय समर कबीर जी
Comment by धर्मेन्द्र कुमार सिंह on September 11, 2015 at 11:41am
बहुत बहुत शुक्रिया आदरणीय विजय शंकर जी
Comment by धर्मेन्द्र कुमार सिंह on September 11, 2015 at 11:41am
बहुत बहुत शुक्रिया आदरणीय शिज्जू जी
Comment by धर्मेन्द्र कुमार सिंह on September 11, 2015 at 11:39am

शुक्रिया आदरणीय श्याम नारायण जी

Comment by धर्मेन्द्र कुमार सिंह on September 11, 2015 at 11:38am

बहुत बहुत शुक्रिया आदरणीय रवि जी

Comment by धर्मेन्द्र कुमार सिंह on September 11, 2015 at 11:37am

बहुत बहुत शुक्रिया आदरणीय दिनेश जी

Comment by धर्मेन्द्र कुमार सिंह on September 11, 2015 at 11:37am
आदरणीय मिथिलेश जी, बहुत बहुत शुक्रिया

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
"शुक्रिया आदरणीय। कसावट हमेशा आवश्यक नहीं। अनावश्यक अथवा दोहराए गए शब्द या भाव या वाक्य या वाक्यांश…"
6 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
"हार्दिक धन्यवाद आदरणीया प्रतिभा पाण्डेय जी।"
6 hours ago
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
"परिवार के विघटन  उसके कारणों और परिणामों पर आपकी कलम अच्छी चली है आदरणीया रक्षित सिंह जी…"
12 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
"आ. प्रतिभा बहन, सादर अभिवादन।सुंदर और समसामयिक लघुकथा हुई है। हार्दिक बधाई।"
12 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
"आदाब। प्रदत्त विषय को एक दिलचस्प आयाम देते हुए इस उम्दा कथानक और रचना हेतु हार्दिक बधाई आदरणीया…"
12 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
"आदरणीय शहज़ाद उस्मानी जी, आपकी टिप्पणी के लिए बहुत बहुत धन्यवाद। शीर्षक लिखना भूल गया जिसके लिए…"
13 hours ago
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
"समय _____ "बिना हाथ पाँव धोये अन्दर मत आना। पानी साबुन सब रखा है बाहर और फिर नहा…"
14 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
"हार्दिक स्वागत मुहतरम जनाब दयाराम मेठानी साहिब। विषयांतर्गत बढ़िया उम्दा और भावपूर्ण प्रेरक रचना।…"
18 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
" जय/पराजय कालेज के वार्षिकोत्सव के अवसर पर अनेक खेलकूद प्रतियोगिताओं एवं साहित्यिक…"
19 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
"हाइमन कमीशन (लघुकथा) : रात का समय था। हर रोज़ की तरह प्रतिज्ञा अपने कमरे की एक दीवार के…"
19 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
"आदाब। हार्दिक स्वागत आदरणीय विभारानी श्रीवास्तव जी। विषयांतर्गत बढ़िया समसामयिक रचना।"
20 hours ago
vibha rani shrivastava replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
""ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123विषय : जय/पराजय आषाढ़ का एक दिन “बुधौल लाने के…"
yesterday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service