2122---2122---2122---212 |
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वो बदल जाए खुदारा बस इसी उम्मींद पर |
हर दफा उनकी ख़ता रखते रहे ज़ेरे-नजर |
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ये इशारे मानिए दरिया बहुत गहरा मियाँ |
आबजू गंभीर हो, बर-आब भी खामोश गर |
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अब्र ने सूरत बदल दी चैन हमको मिल गया |
चिलचिलाती धूप में साए सुहाने देखकर |
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हार जाता, खोजते इंसान, पर सद्शुक्र है |
बंद दरवाजों की बस्ती में खुला था एक दर |
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बेबसी का सिलसिला, ये मुब्तला थमता नहीं |
मिल गई परवाज़ लेकिन कट गए है आज पर |
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आदमी की ख्वाहिशों का पेट है कितना बड़ा |
दो जहां है हाथ में पर कह रहा बाक़ी कसर |
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हाथ दोनों खोल के फ़य्याज़ मौला है खड़ा |
कौन क्या हासिल करेगा जात पर ये मुनहसर आश्रित |
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तीरगी फिर तो मचल के बेवफा हो जाएगी |
रात जब रोने लगेगी शाम की दहलीज़ पर |
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वक्त-रौ मौजे-समंदर मुन्तजिर होते कहाँ |
मंजिलें हो दूर लेकिन कर शुरू गर्दे-सफ़र |
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गर खुदा से कुर्बतों की आरज़ू है आपकी |
पाक हो रूहे-बशर और आप हो फर्दे-बशर |
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जान की बाजी लगाना है सफ़र ये, इश्क का |
है बहुत गहरा समंदर एहतियातन तू उतर |
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Comment
आदरणीय आशुतोष जी, इस प्रयास पर आपका अनुमोदन आश्वस्त करता हुआ सा है. ग़ज़ल की सराहना और उत्साहवर्धक प्रतिक्रिया के लिए हार्दिक आभार, बहुत बहुत धन्यवाद.
आदरणीय मिथिलेश जी इस शानदार ग़जल के हर शेर के लिए दाद क़ुबूल करें ..आपकी रचना पर बिद्वत जनों की प्रतिक्रिया से भी बहुटी कुछ सीखने को मिला ...बहुत दिनों बाद आज मंच पर आना हुआ ..आपको ढेर सारी बधाई के साथ सादर
आदरणीय समर कबीर जी, आपके मार्गदर्शन में पुनः प्रयास किया है, निवेदित है-
गर खुदा से कुर्बतों की आरज़ू है आपकी
बंदगी हो पुर-असर औ' पाक हो रूहे-बशर
आदरणीय समर कबीर जी, ग़ज़ल की सराहना और उत्साहवर्धक प्रतिक्रिया के हार्दिक आभार. बहुत बहुत धन्यवाद
'फ़र्दे-बशर' की तरकीब की जानकारी नेट आधारित है बस मैंने फ़र्द-ए-बशर को फ़र्दे-बशर किया है. आपसे मार्गदर्शन निवेदित है. सादर
आदरणीय गिरिराज सर, ग़ज़ल की सराहना और उत्साहवर्धक प्रतिक्रिया के हार्दिक आभार. बहुत बहुत धन्यवाद
मिसरे मे एहतियातन का अर्थ सावधानी से उतरना ही श्रेयकर है, कहना चाह रहा हूँ. यदि कथ्य सही न हो या बेहतर की गुंजाइश हो तो आपसे मार्गदर्शन निवेदित है. सादर
आदरणीय गोपाल सर, आपके आशीर्वचन सदैव मेरा उत्साह बढ़ाते है, ग़ज़ल की सराहना और उत्साहवर्धक प्रतिक्रिया के हार्दिक आभार. बहुत बहुत धन्यवाद
आदरणीय शिज्जु भाई जी, ग़ज़ल की सराहना और उत्साहवर्धक प्रतिक्रिया के हार्दिक आभार. बहुत बहुत धन्यवाद
आदरणीय बड़े भाई धर्मेन्द्र जी, ग़ज़ल की सराहना और उत्साहवर्धक प्रतिक्रिया के हार्दिक आभार. बहुत बहुत धन्यवाद
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