For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

राम जी रावणी मन हुआ है (दशहरा विशेष)

2122 122 122 2122 122 122


किस तरह से दशहरा मनायें; राम जी रावणी मन हुआ है।
राम नामी वसन पर न जायें, राम जी रावणी मन हुआ है।।

वासना से भरा है कलश ये, हो गया कामनाओं के वश में।
भेष साधू का झूठा, भुलायें राम जी रावणी मन हुआ है।।

स्वर्ण का ये महल चाहता है, मन्त्र बस धन का ये बांचता है।
किस तरह से "स्वयं" को जगायें, राम जी रावणी मन हुआ है।।

स्वार्थ का आचरण हर घड़ी है, नेक नीयत दफ़न हो गयी है।
आज खुद को विभीषण बनायें, राम जी रावणी मन हुआ है।।

लोभ के मोह के मद के वश में, हो गया हूँ हाँ "मैं" से विवश मैं।
कैसे भीतर का रावण जलायें, राम जी रावणी मन हुआ है।।



मौलिक अप्रकाशित

Views: 583

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Pankaj Kumar Mishra "Vatsyayan" on October 27, 2015 at 11:20am
आदरणीय नीता कसार जी सादर धन्यवाद।
Comment by Nita Kasar on October 27, 2015 at 10:27am
यथार्थ के क़रीब है सुंदर कविता के हार्दिक बधाईयां आपको आद०पंकज मिश्रा जी बारंबार रावण दहन करते है पर मन रावणों ही रह जाता है ।
Comment by Pankaj Kumar Mishra "Vatsyayan" on October 22, 2015 at 11:45pm
आदरणीय मिथिलेश सर; सादर धन्यवाद।

इसे "मेरे बांके बिहारी संवरिया, तेरा जलवा कहाँ पर नहीं है" भजन की लय पर गाइये।

कथ्य की तारीफ के लिए शुक्रिया।

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on October 22, 2015 at 11:40pm

आदरणीय पंकज भाई वाह वाह दिल खुश कर दिया आपने ये ग़ज़ल कहकर 

बह्र की लय पकड़ में नहीं आई मगर कथ्य ने दिल को छू लिया और बिलकुल नया प्रयोग लगा 

कुल मिलाकर शानदार 

आपको बहुत बहुत बधाई 

Comment by Pankaj Kumar Mishra "Vatsyayan" on October 22, 2015 at 10:45pm
सादर अभिवादन आदरणीय कान्ता रॉय मैम
Comment by kanta roy on October 22, 2015 at 10:33pm
आज के परिदृश्य में ऐसा लगता है कि सच में हर मन रावनी मन हुआ है । बेहद क्लांत से भाव उजागर हो रहे है पंक्तियों में आपके आदरणीय पंकज जी । कभी - कभी स्वार्थ का आचरण असह्य हो जाता है , लेकिन राम अब जल गया है सिर्फ रावनी मन रह गया है । रावनों में रहते - रहते अब तो किसी का राम होना ही मानो विसंगति लगती है इस धरती पर । हार्दिक बधाई इस सार्थक रचना कर्म के लिए आदरणीय पंकज जी ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 166 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय भाई लक्ष्मण धामी जी चित्र को सार्थक करती छंद रचना।चित्र के सभी भावों पर दृष्टि डाली है आपने।…"
38 seconds ago
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 166 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय गिरिराज जी वाह बहुत सुन्दर..चित्र के हर भाव को जीवंत करती रचना..हार्दिक बधाई "
8 minutes ago
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 166 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अखिलेश जी चित्र को जीवंत कर दिया है आपके छंदों ने। हार्दिक बधाई स्वीकार करें"
14 minutes ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 166 in the group चित्र से काव्य तक
"आ. प्रतिभा बहन, सादर अभिवादन। सुंदर छंद हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
48 minutes ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 166 in the group चित्र से काव्य तक
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। सुंदर छंद हुए हैं । हार्दिक बधाई।"
1 hour ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 166 in the group चित्र से काव्य तक
"आ. भाई अखिलेश जी, सादर अभिवादन।चित्र को साकार करते उत्तम छंद हुए हैं। हार्दिक बधाई। "
1 hour ago
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 166 in the group चित्र से काव्य तक
"रोला छंद    आओ रे सब साथ, करेंगे मिलकर मस्ती। तोड़ेंगे  हम   आम,…"
8 hours ago
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 166 in the group चित्र से काव्य तक
"कृपया ठेले पढ़ें।एडिट का समय निकल जाने के बाद इस टंकण त्रुटि पर ध्यान गया"
10 hours ago
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 166 in the group चित्र से काव्य तक
"रोला छंद  _ चित्र दिखाता मस्त, एक टोली बच्चों की हैं थोड़े शैतान, मगर दिल के सच्चों की ठान…"
11 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 166 in the group चित्र से काव्य तक
"रोला छंद ******** पके हुए  ढब  आम,  तोड़ने  बच्चे आये। गर्मी का उपचार, तभी यह…"
11 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 166 in the group चित्र से काव्य तक
"वाह, आदरणीय, वाह!  प्रवहमान अभिव्यक्ति पर हार्दिक बधाई शुभ-शुभ "
12 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post एक धरती जो सदा से जल रही है [ गज़ल ]
"आदरणीय समर  भाई , ग़ज़ल पर  उपस्थिति  और विस्तृत सलाह के लिए आपका आभार तक़ाबूल-ए-…"
14 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service