For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

हर आने जाने वाले पर

भौंक रहे कुत्ते

 

निर्बल को दौड़ा लेने में

मज़ा मिले, जब तो

क्यों ये भौंक रहे हैं, इससे

क्या मतलब इनको

 

अब हल्की सी आहट पर भी

चौंक रहे कुत्ते

 

हर गाड़ी का पीछा करते

सदा बिना मतलब

कई मिसालें बनीं, न जाने

ये सुधरेंगे कब

 

राजनीति, गौ की चरबी में

छौंक रहे कुत्ते

 

गर्मी इनसे सहन न होती

फिर भी ये हरदम

करते हरे भरे पेड़ों से

बातें बहुत गरम

 

हाँफ-हाँफ नफ़रत की भट्ठी

धौंक रहे कुत्ते

--------------

(मौलिक एवं अप्रकाशित)

Views: 524

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by धर्मेन्द्र कुमार सिंह on December 22, 2015 at 11:34am
आदरणीय सौरभ जी, मार्गदर्शन के लिए हृदय से आभारी हूँ
Comment by धर्मेन्द्र कुमार सिंह on December 22, 2015 at 11:33am
शुक्रिया समर कबीर साहब

सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on December 20, 2015 at 6:26pm

’कुत्तों’ को कोंसने में आपने रचना में तार्किकता का कबाड़ा कर दिया है, आदरणीय धर्मेन्द्रजी.

अब हल्की सी आहट पर भी  / चौंक रहे कुत्ते..   क्या ’पहले’ के कुत्ते निठल्ले और आलसी हुआ करते थे, आदरणीय, जो ’अब’ का प्रयोग किया गया है ?  

फिर, ये पंक्ति राजनीति, गौ की चरबी में / छौंक रहे कुत्ते.. . ऐसा कुत्ता कहाँ आपको नसीब हो गया, आदरणीय ? शायद ही ऐसे किसी ’कुत्ते’ को देखा गया होगा जो राजनीति के नाम पर ऐसा कुछ करता होगा. अलबत्ता, आप व्यक्तिगत या समूहगत (सामुहिक) तौर पर किसी वर्ण या वर्ग विशेष को ’कुत्ता’ न कहने लगे हों. लेकिन आदरणीय यह तो नितांत वैयक्तिक अभिव्यक्ति होगी न ? उसे नवगीत की कैटेगरी में रखा जाना चाहिये क्या ?

नवगीत ’उपमा-उपमेय’ को इस कदर नहीं अपनाता. न ही, व्यक्तिगत भावनाओं को समहुत रखने का आग्रह रखता है.  आपसे नवगीत रचना पर ठोस प्रस्तुति की अपेक्षा हुआ करती है. यह रचना क्या ओबीओ पर नवगीत का सही नुमाइंदग़ी करती है ? मैं नवगीत के मंतव्य और उसकी तार्किकता के सापेक्ष बात कर रहा हूँ. 

आदरणीय, मंच पर सहभागिता केलिए शुभेच्छाएँ एवं हार्दिक धन्यवाद.

Comment by Samar kabeer on December 16, 2015 at 10:40pm
जनाब धर्मेन्द्र कुमार सिंह जी,आदाब,अच्छी कविता लिखी आपने,पसंद आई,बधाई स्वीकार करें ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

रामबली गुप्ता commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"हार्दिक आभार सुशील भाई जी"
7 hours ago
रामबली गुप्ता commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"हार्दिक आभार समर भाई साहब"
7 hours ago
रामबली गुप्ता commented on सालिक गणवीर's blog post ग़ज़ल ..और कितना बता दे टालूँ मैं...
"बढियाँ ग़ज़ल का प्रयास हुआ है भाई जी हार्दिक बधाई लीजिये।"
7 hours ago
रामबली गुप्ता commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post करते तभी तुरंग से, आज गधे भी होड़
"दोहों पर बढियाँ प्रयास हुआ है भाई लक्ष्मण जी। बधाई लीजिये"
7 hours ago
रामबली गुप्ता commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहा दसक - गुण
"गुण विषय को रेखांकित करते सभी सुंदर सुगढ़ दोहे हुए हैं भाई जी।हार्दिक बधाई लीजिये। ऐसों को अब क्या…"
7 hours ago
रामबली गुप्ता commented on अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी's blog post ग़ज़ल (ग़ज़ल में ऐब रखता हूँ...)
"आदरणीय समर भाई साहब को समर्पित बहुत ही सुंदर ग़ज़ल लिखी है आपने भाई साहब।हार्दिक बधाई लीजिये।"
7 hours ago
रामबली गुप्ता commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . संबंध
"आहा क्या कहने भाई जी बढ़ते संबंध विच्छेदों पर सभी दोहे सुगढ़ और सुंदर हुए हैं। बधाई लीजिये।"
7 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"सादर अभिवादन।"
9 hours ago
Sushil Sarna commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"आदरणीय रामबली जी बहुत सुंदर और सार्थक प्रस्तुति हुई है । हार्दिक बधाई सर"
yesterday
Admin posted discussions
yesterday
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 161

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  …See More
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . . रिश्ते
"रिश्तों की महत्ता और उनकी मुलामियत पर सुन्दर दोहे प्रस्तुत हुए हैं, आदरणीय सुशील सरना…"
yesterday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service