For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

बीते बरस का लेखा जोखा [अखिलेश कृष्ण ]

प्याज सब्जियाँ आलू दाल, किया हमें सब ने बेहाल।

खट्टी मीठी कड़वी यादें, देकर बीता पिछला साल॥

चारों तरफ से कर्जा उस पर, सभी फसल बर्बाद हुए।

आत्महत्या किसानों ने की, बात दुखद गंभीर सवाल॥

दस राज्य केंद्र में शासन है, पर बढ़ा मांस निर्यात।

चौंकाने वाली ये खबर है, गौ माता भी हुई हलाल॥

करोड़ों खर्च हुए संसद पर, काम के नाम पे ठेंगा है।

बस नारेबाजी बहिर्गमन, पुतलों का दहन, हड़ताल॥

आरोप और प्रत्यारोप हुए, मंत्री विधायक सांसद में।

गाँधी मोदी नितीश लालू , शाह जेटली केजरीवाल॥

गलत हुआ आजाद के साथ, अनुशासन के नाम पर।

अब बारी उस बड़बोले की, कहते जिसे बिहारी लाल॥

नमोजी ने इतिहास रचा, इस सदी का बड़ा कमाल। 

जो देश गालियाँ देते थे, वो सुर बदले और ताल॥                                            

यूएनओ में बढ़ी प्रतिष्ठा, पिछले बीस महीनों में।

बन जाते स्थाई सदस्य पर, चीन चल गया चाल॥

सभी देश के नेताओं की, लगातार बैठक हुई।

कई देशों में आतंकवादी, खूब मचाये वबाल॥

फ्रांस रूस जापान मित्र हैं, पाक चीन अमरीका नहीं।

मुख में राम बगल में छूरी, ये तीनों जी के जंजाल॥

आतंकवाद के बारे में, भारत बरसों कहता आया।

नासमझ थे जितने देश सभी, वो समझे बीते साल॥

खुद को मार पड़ी तब जाना, आतंकवाद है बड़ी बला।

दिया प्रशिक्षण जिन देशों ने, भस्मासुर बन किया वबाल॥  

ग्रीन हाउस कार्बन उत्सर्जन, दूषित जल और मांसाहार।

मनमर्जी हर देश करे तो, कौन करे धरती का खयाल॥

उद्योगपति और विकसित देश, कभी न माने गलतियाँ।

ग्लोबल वार्मिंग बड़ी समस्या, बार बार आये भूचाल॥

असहिष्णुता के नाम पर, कुछ फिल्म वाले भी मचल गये।

फिल्म पिटी तो माफी माँगा, मिमियाया, पर बुरा है हाल॥

प्यार के नाम पे बलात्कार है, लूट पाट और हत्यायें।

फिल्म फेसबुक मोबाइल, सहशिक्षा, फैशन, करे धमाल॥

भूकम्प बाढ़, डेंगू सूखा, महंगाई, सुरक्षा बड़ा सवाल।

खुश रहते सब कष्ट झेलकर, संतोषी  भारत के लाल॥ 

दो हजार पंद्रह बीता, स्वागत सोलह का साल नया।

वही गलतियाँ ना दुहरायें, हम भारतवासी हर साल॥

गर्मी भी पड़ी, वर्षा भी हुई, हरियाली चारों ओर है।

ठिठुरन वाली ठंड दे गया, पूस माह में बीता साल॥          

दुर्भाग्य कभी सौभाग्य है, कभी जीत कभी हार है।

बीत गई सो बात गई, अब नये साल कुछ करें कमाल॥

सब को बधाई नये वर्ष की, सब के लिए शुभकामना।

तन स्वस्थ रहे मन में उमंग, हर देश रहे खुशहाल॥

....................................................................

मौलिक एवं अप्रकाशित

Views: 546

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव on January 4, 2016 at 4:39pm

आदरणीय शेख शहजाद भाई

हृदय से धन्यवाद इस लम्बी रचना को समय देने और प्रशंसा के लिए , लिखना सार्थक हो गया।।

Comment by अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव on January 4, 2016 at 4:36pm

आदरणीय समर कबीरजी

हृदय से धन्यवाद इस लम्बी रचना को समय देने और प्रशंसा के लिए ।

Comment by Sheikh Shahzad Usmani on January 3, 2016 at 7:03pm
बहुत ख़ूब जनाब, बढ़िया लेखा जोखा पेश किया है आपने।बहुत बहुत बधाई आपको आदरणीय अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव जी ।
Comment by Samar kabeer on January 2, 2016 at 2:44pm
जनाब अखिलेश जी आदाब,इस प्रस्तुति हेतु बधाई स्वीकार करें |

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"आदरणीया प्रतिभा जी, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। बहुत बहुत धन्यवाद। आपने सही कहा…"
18 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"जी, शुक्रिया। यह तो स्पष्ट है ही। "
yesterday
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"सराहना और उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक आभार आदरणीय उस्मानी जी"
yesterday
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"लघुकथा पर आपकी उपस्थित और गहराई से  समीक्षा के लिए हार्दिक आभार आदरणीय मिथिलेश जी"
yesterday
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"आपका हार्दिक आभार आदरणीया प्रतिभा जी। "
yesterday
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"लेकिन उस खामोशी से उसकी पुरानी पहचान थी। एक व्याकुल ख़ामोशी सीढ़ियों से उतर गई।// आहत होने के आदी…"
yesterday
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"प्रदत्त विषय को सार्थक और सटीक ढंग से शाब्दिक करती लघुकथा के लिए हार्दिक बधाई स्वीकार करें आदरणीय…"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"आदाब। प्रदत्त विषय पर सटीक, गागर में सागर और एक लम्बे कालखंड को बख़ूबी समेटती…"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"हार्दिक धन्यवाद आदरणीय मिथिलेश वामनकर साहिब रचना पटल पर अपना अमूल्य समय देकर प्रतिक्रिया और…"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"तहेदिल बहुत-बहुत शुक्रिया जनाब मनन कुमार सिंह साहिब स्नेहिल समीक्षात्मक टिप्पणी और हौसला अफ़ज़ाई…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"आदरणीया प्रतिभा जी प्रदत्त विषय पर बहुत सार्थक और मार्मिक लघुकथा लिखी है आपने। इसमें एक स्त्री के…"
yesterday
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"पहचान ______ 'नवेली की मेंहदी की ख़ुशबू सारे घर में फैली है।मेहमानों से भरे घर में पति चोर…"
yesterday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service