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शिक्षा की जब ज्योति जले, विकसित होवे लोग।  

समाज को जब पंख मिले, खुशियाँ भोगें लोग ॥ 

भूख गरीबी जीत के, निर्भर हुआ अब देश ।

बोए बीज अब प्रेम के, प्रगति कर चला देश ॥  

गलत इरादे दुश्मन के, बढ़ा रहे अब क्लेश । 

हम रखवाले वतन के, जग को दे दो संदेश ॥  

परचम ऊंचा हो तभी, फैले चारों ओर । 

आन मान सम्मान सभी, करें साथ गठजोर ॥ 

करुणा सबके मन जगे, कोई दुखी न होय ।

हृदय से सब गले मिले, नफरत दूरी होय ॥

आतंकवाद के कष्ट को, जल्दी करेगे दूर ।  

विधि के सम्मुख झुकने को, उन्हें करो मजबूर ॥

उड़ते परिंदे गगन में,बहती हवा के संग ।

नूतन रंग देख नभ में,दुनिया रह गई दंग ॥

देश की सीमा सुरक्षित, करते आज सपूत ।

निज प्राणो की दे अहुति, होते सब अभिभूत ॥  

 मौलिक एवं अप्रकाशित 

 

 

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Comment by Ram Ashery on January 18, 2016 at 3:25pm

आपको बहुत बहुत धन्यवाद मेरी रचना को पढ़ने और मेरे उत्साह को बढ़ाने के लिए

 

Comment by PHOOL SINGH on January 18, 2016 at 2:38pm

अति सुंदर रचना आपको बहुत  बहुत बधाई स्वीकार हो

Comment by Ram Ashery on January 17, 2016 at 3:08pm

मेरी हौसला आबजायी के लिए आपको मेरी ओर से बहुत बहुत आभार स्वीकार हो । 

Comment by Samar kabeer on January 17, 2016 at 10:28am
जनाब राम अशेरय जी आदाब,इस प्रस्तुति हेतु बधाई स्वीकार करें
Comment by Ram Ashery on January 17, 2016 at 4:08am
आपको मेरा बहुत बहुत अभिवादन स्वीकार हो मेरे विचारों को आपने इस लायक समझा और लोगों तक पहुंचाया ।

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