For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

इक बार क्या मिला वो ,हर दिल अज़ीज़ हो गया ,
पल दो पल में वो मेरे दिल के, करीब हो गया ॥

अनजान थे जो अब तक, उसके असरार से ,
अंजुमन में हुई जब उसकी आमद, हबीब हो गया ॥

फिजां में ना था कही पे, उसका नामोनिशां ,
है हर शख्श की जुबां पर, यही ''मेरा नसीब हो गया ॥

जो बदनामी के डर से, राहें अपनी बदल गए ,
हैं ! वो बने हम -सफर ,कुछ किस्सा अजीब हो गया ॥

जिंदगी को करीने से, सजा रखी थी हमने ''कमलेश '',
उसने दस्तक दी जब से ,दिले -मंजर बे-तरतीब हो गया है ॥

Views: 372

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Admin on June 19, 2010 at 6:10pm
फिजां में ना था कही पे, उसका नामोनिशां ,
है हर शख्श की जुबां पर, यही ''मेरा नसीब हो गया ॥

बहुत ही सुंदर , पहले की तरह ही एक और खुबसूरत ग़ज़ल , बहुत बढ़िया,

सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Rana Pratap Singh on June 18, 2010 at 6:36pm
जिंदगी को करीने से, सजा रखी थी हमने ''कमलेश '',
उसने दस्तक दी जब से ,दिले -मंजर बे-तरतीब हो गया

एक एक अशआर चार चंद लगा रहे हैं. उम्दा, बहुत उम्दा
Comment by baban pandey on June 18, 2010 at 7:18am
जिंदगी को करीने से, सजा रखी थी हमने ''कमलेश '',
उसने दस्तक दी जब से ,दिले -मंजर बे-तरतीब हो गया है ॥
waah ..bhai बहुत ही खुबसूरत ......

मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on June 17, 2010 at 7:15pm
इक बार क्या मिला वो ,हर दिल अज़ीज़ हो गया ,
पल दो पल में वो मेरे दिल के, करीब हो गया ॥

कमलेश भईया बहुत बढ़िया ग़ज़ल कह गये है आप, इस ग़ज़ल के सारे शेर अच्छे बने है, बहुत खूबसूरत लगा यह ग़ज़ल , बधाई स्वीकार करे,

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम मेठानी जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
5 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दयाराम जी, सादर आभार।"
5 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई संजय जी हार्दिक आभार।"
5 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
5 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. रिचा जी, हार्दिक धन्यवाद"
5 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दिनेश जी, सादर आभार।"
5 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय रिचा यादव जी, पोस्ट पर कमेंट के लिए हार्दिक आभार।"
5 hours ago
Shyam Narain Verma commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: ग़मज़दा आँखों का पानी
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
8 hours ago
Shyam Narain Verma commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: उम्र भर हम सीखते चौकोर करना
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
8 hours ago
Sanjay Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दिनेश जी, बहुत धन्यवाद"
8 hours ago
Sanjay Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम जी, बहुत धन्यवाद"
8 hours ago
DINESH KUMAR VISHWAKARMA replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम जी सादर नमस्कार। हौसला बढ़ाने हेतु आपका बहुत बहुत शुक्रियः"
8 hours ago

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service