चंद शेर आपके लिए
एक।
दर्द मुझसे मिलकर अब मुस्कराता है
जब दर्द को दबा जानकार पिया मैंने
दो.
वक्त की मार सबको सिखाती सबक़ है
ज़िन्दगी चंद सांसों की लगती जुआँ है
तीन.
समय के साथ बहने का मजा कुछ और है यारों
रिश्तें भी बदल जाते समय जब भी बदलता है
चार.
जब हाथों हाथ लेते थे अपने भी पराये भी
बचपन यार अच्छा था हँसता मुस्कराता था
"मौलिक व अप्रकाशित"
प्रस्तुति:
मदन मोहन सक्सेना
Comment
अच्छे खयाल से भरपूर आशआर ! दाद कुबूल हो
समय के साथ बहने का मजा कुछ और है यारों
रिश्तें भी बदल जाते समय जब भी बदलता है ..... आदरणीय शे'रों का ये गुलदस्ता बहुत मन भाया ... हार्दिक बधाई।
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