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पहचान है,ईमान है,
अिभमान है बेटी ।
पिता की आन है,
माँ की जान है बेटी ।।
बगिया का चंदन है,
आँगन की तुलसी है ।
घर के हर कोने में,
मुस्कान है बेटी ।।
पुष्पों की माला है,
पूजा की थाली है ।
आरती है मंदिर की,
मस्जिद में अजान है बेटी ।।
सावन की राखी है,
भाईदूज की रोली है ।
दो कुलों का मान बडाये,
ऐसी भाग्यवान है बेटी ।।
गंगा का जल है,
शीतल और निर्मल है ।
क़ुरान की आयत है,
गीता ज्ञान है बेटी ।।
दुर्गा है,लक्ष्मी है,
गंगा यमुना सरस्वती ।
ममता का अॉंचल है,
जीवनदान है बेटी ।।
सिरोधार्य करो बेटी को,
मत मारो उसको ।
दुनिया में देवों का,
वरदान है बेटी ।।
-------------------
मौलिक एवं अप्रकाशित
-------------------
जीवन एस.रजक
विदिशा

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Comment

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Comment by रामबली गुप्ता on March 15, 2016 at 11:46am
शब्द एवं भाव गाम्भीर्य से भरे इस रचना के लिए बहुत बहुत बधाई स्वीकार करें आदरणीय
Comment by Jeevan s. Rajak on March 13, 2016 at 2:37pm
शुक्रिया भाईसाव
Comment by Samar kabeer on March 13, 2016 at 10:27am
जनाब जीवन जी आदाब,बेटी पर अच्छी कविता लिखी आपने बधाई स्वीकार करें ।

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