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आरक्षण – (लघुकथा ) –

आरक्षण – (लघुकथा ) –

 राज्य के कुछ तेज तर्रार देशी कुत्तों ने समाज की महा पंचायत बुलाई ! प्रदेश के कोने कोने से देशी कुत्ते एकत्र हुए ! सबसे बुजुर्ग कुत्ते को सभापति बनाया गया! तेज तर्रार कुत्तों में से एक प्रवक्ता बनाया गया!  प्रवक्ता ने मंच से संबोधित किया,

"साथियो, आप सभी को ज्ञात है कि हमारी क़ौम वफ़ादारी की मिसाल है! हम बिना किसी लोभ, लालच के घरों, बाज़ारों और सड़कों की चौकीदारी करते हैं! मगर अफ़सोस की बात है कि मानव जाति हमारे साथ घोर अन्याय  करती है! हमें कोई सुविधा नहीं दी जाती! इसके विपरीत विदेशी कुत्तों जैसे अल्सेशियन, बुलडौग, पामेरियन, जर्मन शैफ़र्ड, लैब्राडोर आदि को पालतू कुत्तों का दर्जा देकर ए सी बंगलों में रखा जाता है,  कारों में घुमाया जाता है एवम मांसाहारी खाना दिया जाता है! यह पक्षपात है"!

सारे एकत्र कुत्ते एक स्वर में गुस्से में चिल्ला उठे,"मानव जाति शर्म करो , पक्षपात बंद करो"!

सभापति ने सभी को शांत रहने का इशारा किया!

प्रवक्ता ने आगे बताया,

"हमारे कुछ विद्वान साथियों ने इस समस्या से निपटने का सुझाव दिया है कि हम लोग आरक्षण की मांग करें! जिस तरह मानव  जाति अपने कुछ पिछड़े भाई बंधुओं को आरक्षण के जरिये अच्छी अच्छी सुविधायें देती है, वही नियम हम लोगों के लिये भी लागू किया जाय"!

सारे दिन गरमा गरम बहस चली! कोई नतीज़ा नहीं निकला! सभी के विचारों को सुनने के बाद अंतिम निर्णय सभापति ने सुनाया,

"साथियो, यह सच है कि हमारे साथ अन्याय हो रहा है! मगर हम जो मांग कर रहे हैं वह सुविधा नहीं, बीमारी है, एक लाइलाज़ रोग है! आप लोग खुद देखिये कि किस तरह आज मानव जाति  इस आरक्षण को लेकर आपस में लड़ रही है! कल वही स्थिति हमारी भी हो सकती है"!

मौलिक व अप्रकाशित

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Comment by TEJ VEER SINGH on June 13, 2016 at 6:11pm

हार्दिक आभार आदरणीय राहिला जी! प्रणाम! आपको लघुकथा कुछ ज्यादा ही अच्छी लगी! पुनः आभार!

Comment by Rahila on June 13, 2016 at 12:58pm
बहुत खूब, बहुत बेहतरीन रचना, बहुत बेहतरीन विषय, बहुत ही संवेदनशील टॉपिक पर खूब सोचा आपने !मैं भी कई बार सोच चुकी हूं लेकिन कोई दमदार प्लेटफॉर्म सूझा नहीं,आपने तो कमाल का लिखा । बहुत बधाई आपको । सादर प्रणाम
Comment by TEJ VEER SINGH on June 13, 2016 at 11:18am

हार्दिक आभार आदरणीय राजेश कुमारी जी!


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on June 13, 2016 at 10:38am

वाह्ह्ह  वाह  आरक्षण के तलबगारों तथा इस बीमारी को पनपाने वालों  को इससे बढ़िया क्या तमाचा मिलेगा इस को पढ़कर श्रम से डूबने को चुल्लू भर पानी भी ढूँढते फिरेंगे | बेहतरीन लघु कथा आ० तेजवीर सिंह जी हार्दिक बधाई आपको |

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