For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

बिलखते हैं बच्चे , सिसकती हैं माएँ मनाएं भला जश्न कैसे बता दो------------ग़ज़ल

122 122 122 122 122 122 122 122
अभी जाने कितने घरों में न चूल्हा
न जाने ही कितनों के घर, ये तो जानो।
बहुत कीमती फोन हाथों में लेकर
वो नेता बताता दिखा मीडिया को।।1।।

सफेदी थी झक्कास गाड़ी गज़ब की
सफ़ारी थी शायद औ मॉडल नया था।
गरीबी पे व्याख्यान देकरके जिसमें
मसीहा गरीबों का चढ़कर गया, वो।।2।।

परिस्थिति पे घड़ियाली आँसू बहाकर
तसल्ली बहुत दे गया था जो नेता।
मदद को बुलाया था आवास पर ही
मिटाये कहाँ दाग मन पर दिया , जो।।3।।

कूड़े की गाड़ी में छिपकर के भूखा
युवक ब्रेड के टुकड़े खाता दिखा है।
तो पंकज को थाली के पकवान सारे
ज़हर लग रहे हैं, मन रो पड़ा लो।।4।।

बताएँ भला खुद को संभ्रांत कैसे
लिखा जाये जबकि अपने हैं भूखे।
बिलखते हैं बच्चे , सिसकती हैं माएँ
मनाएं भला जश्न कैसे बता दो।।5।।

मौलिक अप्रकाशित

Views: 556

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Pankaj Kumar Mishra "Vatsyayan" on August 23, 2016 at 1:17am
हाँ सर, क्षमा कीजियेगा, मत्ले का शेर तो है ही नहीं।

पुनः क्षमा प्रार्थना,सादर
Comment by Samar kabeer on August 20, 2016 at 10:21am
बह्र ठीक है,और क़ाफ़िए 'को' 'लो' 'जो'हुए,लेकिन मतला के दो मिसरे कौन से हैं,मैने ऐसी ग़ज़ल पहली बार पढ़ी है ।
Comment by Pankaj Kumar Mishra "Vatsyayan" on August 19, 2016 at 9:07pm
आदरणीय समर सर ये ग़ज़ल (ग़ैर रदीफन) ही है, क्योंकि-

1. ये बह्र में है
2. इसमें काफ़िया निभाया गया है।
3. इसमें कथ्य भी है

ग़ज़ल के नियमों का ये सुनिश्चित अनुपालन कर रही है।

इसलिए ये ग़ज़ल है

शेष आप श्रेष्ठ जनों का मार्गदर्शन अपेक्षित है
Comment by Samar kabeer on August 19, 2016 at 8:16pm
जनाब पंकज कुमार मिश्रा जी आदाब, क्या ये ग़ज़ल है ?

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 161 in the group चित्र से काव्य तक
"सभी सदस्यों से रचना-प्रस्तुति की अपेक्षा है.. "
47 minutes ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Saurabh Pandey's blog post दीप को मौन बलना है हर हाल में // --सौरभ
"आ. भाई सौरभ जी, सादर अभिवादन। लम्बे अंतराल के बाद पटल पर आपकी मुग्ध करती गजल से मन को असीम सुख…"
21 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर दोहे हुए हैं।हार्दिक बधाई। भाई रामबली जी का कथन उचित है।…"
Tuesday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"आदरणीय रामबली जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ । बात  आपकी सही है रिद्म में…"
Tuesday
रामबली गुप्ता commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"बड़े ही सुंदर दोहे हुए हैं भाई जी लेकिन चावल और भात दोनों एक ही बात है। सम्भव हो तो भात की जगह दाल…"
Monday
रामबली गुप्ता commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"हार्दिक आभार भाई लक्ष्मण धामी जी"
Monday
रामबली गुप्ता commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"हार्दिक आभार भाई चेतन प्रकाश जी"
Monday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आदरणीय, सुशील सरना जी,नमस्कार, पहली बार आपकी पोस्ट किसी ओ. बी. ओ. के किसी आयोजन में दृष्टिगोचर हुई।…"
Sunday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . . रिश्ते
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ । हार्दिक आभार आदरणीय "
Sunday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार "
Sunday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . संबंध
"आदरणीय रामबली जी सृजन के भावों को आत्मीय मान से सम्मानित करने का दिल से आभार ।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। अच्छे दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
Nov 17

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service