कुकुभ छंद -२
जीवन में दुःख के लिए तो, गुण जरुरी नहीं होता
हमेशा दुख है घुसपैटिया, अनाहूत पाहुन होता |
योग्यता, प्रतिभा जरूरी है, गर दिल में सुख की इच्छा
चढ़ता वही पर्वत शिखर पर, जिसमे है सशक्त स्वेच्छा |
प्रकृति कब कुपित हो लोगों से, कोई नहीं कभी जाने
करते गलती मानव जग में, कभी भूल से अनजाने |
जल प्रलय में डूबे हजारों, मकान थे नदी किनारे
ज़खमी न जाने जितने हुए, कितने अल्ला को प्यारे |
मौलिक एवं अप्रकाशित
Comment
आदरनीय कालीपद भाई , कुभुक छंद का बहुत अच्छा प्रयास हुआ है , हिल से बधाइयाँ ।
तुकांतता और कलों पर और ध्यान देना ज़रूरी है ।
आदरणीय समर कबीर साहिब,आदाब , प्रोत्साहन के लिए हृदयतल से आभार
आदरणीय डॉ गोपाल नारायण जी , आपका क्रम ज्यादा अच्छा लयात्मक है | मैं तो अभी गुनगुनाने की कोशिश कर रहा हूँ | गाना तो बहुत दूर है | आप बताते जाइये हम कोशिश करते जायेंगे | गणित जैसा तार्किक विषय का विद्यार्थी रहा, अब भाषा के भावों को पकड़ने की कोशिश कर रहा हूँ |
आदरणीय मात्रा विन्यास ही नहीं रिदम भी अपेक्षित है मैं आपके ही शब्दों का क्रम बदलता हूँ और रिदम का अंतर देखिये -
कब हो प्रकृति कुपित लोगों से कोई कभी नहीं जाने
आवश्यक सूचना:-
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |
3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |
4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)
5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |
© 2024 Created by Admin. Powered by
महत्वपूर्ण लिंक्स :- ग़ज़ल की कक्षा ग़ज़ल की बातें ग़ज़ल से सम्बंधित शब्द और उनके अर्थ रदीफ़ काफ़िया बहर परिचय और मात्रा गणना बहर के भेद व तकतीअ
ओपन बुक्स ऑनलाइन डाट कॉम साहित्यकारों व पाठकों का एक साझा मंच है, इस मंच पर प्रकाशित सभी लेख, रचनाएँ और विचार उनकी निजी सम्पत्ति हैं जिससे सहमत होना ओबीओ प्रबन्धन के लिये आवश्यक नहीं है | लेखक या प्रबन्धन की अनुमति के बिना ओबीओ पर प्रकाशित सामग्रियों का किसी भी रूप में प्रयोग करना वर्जित है |
You need to be a member of Open Books Online to add comments!
Join Open Books Online