2122 1212 22
आपको आस-पास रखते हैं
फिर भी खुद को उदास रखते हैं
दिल को दरिया बना लिया हम ने
और लब हैं कि प्यास रखते हैं
लोग मिलते हैं मुस्कुरा के गले
दिल में लेकिन भड़ास रखते हैं
आदमी हम भले हैं मामूली
दोस्त पर ख़ास-ख़ास रखते हैं
लोग तकते हैं "जय" तुम्हारी राह
अब भी जीने की आस रखते हैं
(मौलिक व अप्रकाशित)
Comment
आदरणीय जयनित भाई , अच्छी ग़ज़ल हुई है , दिल से बधाइयाँ आपको ।
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