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हाइकु गीत: आँख का पानी संजीव 'सलिल'

हाइकु गीत:

आँख का पानी


संजीव 'सलिल'

*
आँख का पानी,
मर गया तो कैसे
धरा हो धानी?...
*
तोड़ बंधन
आँख का पानी बहा.
रोके न रुका.

आसमान भी
हौसलों की ऊँचाई
के आगे झुका.

कहती नानी
सूखने मत देना
आँख का पानी....
*
रोक न पाये
जनक जैसे ज्ञानी
आँसू अपने.

मिट्टी में मिला
रावण जैसा ध्यानी
टूटे सपने.

आँख से पानी
न बहे, पर रहे
आँख का पानी...
*
पल में मरे
हजारों बेनुगाह
गैस में घिरे.

गुनहगार
हैं नेता-अधिकारी
झूठे-मक्कार.

आँख में पानी
देखकर रो पड़ा
आँख का पानी...
*
-- दिव्यनर्मदा.ब्लागस्पाट.कॉम

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मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on July 6, 2010 at 8:24pm
Ek baar phir aacharya jee ki sasakt rachna Haiku key madhyam sey padhney ko mila, bahut badhiya,
Comment by Prabhakar Pandey on June 30, 2010 at 2:32pm
सलिलजी की तो सारी रचनाएँ उत्कृष्ट एवं बेजोड़ होती हैं। हाइकु भी एकदम यथार्थ।। सादर।।
Comment by satish mapatpuri on June 28, 2010 at 1:20pm
गुनहगार
हैं नेता-अधिकारी
झूठे-मक्कार.

आँख में पानी
देखकर रो पड़ा
आँख का पानी...
आचार्य जी, बस सादर नमन के साथ यही कह सकता हूँ - अतिउत्तम. धन्यवाद.

प्रधान संपादक
Comment by योगराज प्रभाकर on June 28, 2010 at 12:57pm
आचार्य जी, हाइकु गीत पढने का सौभाग्य पहली बार आपके सौजन्य से प्राप्त हुआ है ! बहुत बाकमाल लिखा है आपने, 5-7-5 का मीटर भी कायम रखा और बात भी बड़े सुंदर ढंग से कह दी ! दिल से साधुवाद है आपको आचार्य जी !

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