For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

समाज में गहरी होती अंधविश्वास की जड़ें

सूचना क्रांति के दौर में हम भले ही अंतरिक्ष और चांद पर घर बसाने की सोच रहे हों, लेकिन अंधविश्वास अब भी हमारा पीछा नहीं छोड़ रहा है। वैज्ञानिक युग के बढ़ते प्रभाव के बावजूद अंधविश्वास की जड़ें समाज से नहीं उखड़ रही हैं। खासकर ग्रामीण क्षेत्रों में जादू-टोना के नाम पर लोगों को प्रताड़ित किए जाने, आंख फोड़ने, गांव से बाहर निकाल देने सहित कई तरह की घटनाएं आज भी बदस्तूर जारी है। अंधविश्वास को दूर करने के लिए पुलिस व सरकार वर्षो से प्रयासरत है, लेकिन उनके प्रयासों का अब तक सार्थक हल नहीं निकल पाया है। 

सरकार ने जादू-टोना के नाम पर प्रताड़ित होने वाले लोगों को न्याय दिलाने के लिए टोनही प्रताड़ना अधिनियम 2005 लागू किया है, मगर अधिनियम के कायदे और कानून महज किताबों तक ही सीमित हैं। कानून लागू होने के 6 साल बाद भी लोग उसे मानने को बिल्कुल तैयार नहीं हो रहे हैं। अंधविश्वास के नाम पर महिलाओं के प्रति बर्बरता में निरन्तर वृद्धि चिंताजनक है। छत्तीसगढ़ राज्य के अलावा महाराष्ट्र, पश्चिम बंगाल, मध्य-प्रदेश, असम, गुजरात, झारखंड और बिहार की बात की जाए, तो इन राज्यों में डायन घोषित कर महिला को मार डालना आम बात हो गई है। ऐसी घटनाएं समूचे ग्रामीणों के सामने घटती हैं, लेकिन इनमें सबकी सहमति होती है, इस वजह से कोई कानूनी कार्रवाई नहीं भी हो पाती। संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा वर्ष 2003 में जारी एक रिपोर्ट के अनुसार भारत में सन् 1987 से लेकर 2003 तक 2556 महिलाओं को डायन घोषित करके मौत के घाट उतार दिया गया। वर्तमान में छत्तीसगढ़ के ग्रामीण क्षेत्रों में टोनही प्रताड़ना के मामले लगातार बढ़ते जा रहे हैं। कमोबेश टोना-जादू के नाम पर शहरों में भी लोगों को प्रताड़ित किए जाने की घटनाएं कुछ कम नहीं है। इसका प्रत्यक्ष उदाहरण बीते 20 मई को बलौदाबाजार इलाके के सौरा गांव में उस समय सामने आया, जब कुछ लोगों ने टोनही का इल्जाम लगाते हुए एक महिला और उसके पति की आंखें फोड़ दी। इसी तरह बीते 9 जनवरी को जांजगीर-चांपा जिले के बलौदा ब्लॉक अंतर्गत ग्राम पंचायत सिवनी में भी टोना-जादू के चक्कर में 25 महिलाएं गंभीर रूप से बीमार हो गईं थी, और एक महिला पंचकुंवर बाई की मौत भी हो गई थी। वहीं अक्तूबर 2008 में राजस्थान के सिरोही जिले के एक गांव में निवासरत् 35 वर्षीया स्त्री गूजरी देवी को ग्रामीणों ने डायन करार देते हुए खौलते तेल में झोंक दिया था। यही नहीं ग्रामीणों ने उस पर पत्थर भी बरसाए और लोहे के तपते सरिये से उसके माथे पर दाग लगाया गया। यह मामला राज्य महिला आयोग और राष्ट्रीय महिला आयोग तक भी पहुंचा, लेकिन नतीजा सिफर रहा। इसी तरह कुछ माह पहले बिहार के मधुबनी जिले के लदनिया थाना क्षेत्र के ग्रामीणों ने एक महिला पर डायन होने का आरोप लगाकर उसके साथ मारपीट की और उसे मैला पीने के लिए विवश कर दिया। वहीं सरगुजा जिले के ढोढा केसरा नामक गांव में 50 आदिवासी औरतों को डायन घोषित करके न केवल उन्हें नचाया गया, बल्कि डायन होने के अभिशाप से मुक्ति दिलाने के लिए उनके केश काट दिए गए। टोना-जादू उतारने का यह क्रम गांव में लगातार 9 दिनों तक चला, जिसमें कुंवारी, विवाहिता व विधवाओं सहित पचास महिलाओं के बाल भी काट डाले गए। ग्राम के सरपंच बंधन सिंह ने टोनही के शक में महिलाओं को प्रताड़ित किये जाने की सूचना पुलिस चौकी में दी। मगर निराशाजनक बात यह रही कि जांच के लिए पहुंचे एक सहायक उपनिरीक्षक भी बैगाओं से प्रभावित होकर उनके साथ नाचने लगे। ये तो चुनिंदा हृदयविदारक उदाहरण हैं, जो लोगों के सामने आते है। मगर ऐसे सैकड़ों मामले है, जो शायद प्रताड़ित महिला की मौत के बाद उसके शव के साथ ही कब्र में दफन हो जाते हैं। तात्पर्य यह कि हम एक घटना की पीड़ा से उबर भी नहीं पाते कि दूसरा मामला घटित हो जाता है। सरकार पंचायती राज स्थापित कर ग्रामों में स्त्रियों को सशक्त बनाने का दावा कर रही है, परन्तु नारी-उत्थान और समानता के तमाम शासकीय दावे खोखले सिद्ध हो रहे हैं। एक प्रश्न यह भी उठता है कि तमाम विसंगतियों का दोष स्त्री के सिर पर ही क्यों मढ़ दिया जाता है? पुरुष को कभी दोषी नहीं ठहराया जाता, यदि वह दोषी हो तब भी नहीं। हालांकि वर्तमान में ग्रामीण क्षेत्रों में शिक्षा का स्तर ऊपर उठा है और कुछ फीसदी महिलाएं अपने अधिकार व कानून को जानने-समझने लगी है। ऐसे में महिलाओं के हित में बने कानून उनकी रक्षा के अचूक हथियार हो सकते हैं, लेकिन यह भी तो सत्य है कि जिन स्त्रियों को इन हथियारों की बेहद आवश्यकता है, उन्हें इनकी जानकारी तक नहीं है। महिला सशक्तिकरण का नारा बुलंद करने वाली मुट्ठी भर नामचीन महिलाएं समाज में अमानवीय घटनाओं के बाद मुआयना करने अवश्य पहुंच जाती हैं और दूसरे दिन अखबारों में तस्वीर समेत उनकी खबरें भी छपती हैं। राष्ट्रीय व अंर्तराष्ट्रीय स्तर पर संगोष्ठी आयोजित कर सामाजिक अंधविश्वासों और कुरीतियों के उन्मूलन पर खूब भाषण झाड़े जाते हैं। प्रतिष्ठित वर्ग की तथाकथित समाजसेविकाएं आलीशान भवनों में बैठकर उत्पीड़ित महिलाओं की दशा पर गंभीर विचार करके मीडिया की सुर्खियां बटोरती हैं, लेकिन सचमुच समाज की इन घटिया परंपराओं को दफनाने के लिए जमीन से जुड़ी हुई कोई ठोस पहल उनकी ओर से दिखाई नहीं देती। इधर लोगों के मन से अंधविश्वास दूर करने में पुलिस भी कोई ठोस कदम नहीं उठा पा रही है। यह बात अलग है कि अधिनियम लागू होने के शुरूआती दौर में पुलिस विभाग के अधिकारी-कर्मचारियों ने इसके प्रचार प्रसार के बहाने अपनी जेबें जरूर भर लिए। यही नहीं समाज से अंधविश्वास की जड़ मिटाने के नाम पर सामाजिक संगठनों ने भी खूब कमाई की। सरकार तक झूठे रिपोर्ट भेजकर संगठनों ने अपना प्रोजेक्ट पूरा कर लिया, जिनके कार्यों की प्रशासन ने कभी आडिट भी नहीं कराई। मसलन ग्रामीण क्षेत्र के लोगों को सामाजिक संगठनों से क्या फायदा हुआ, यह सबको अच्छी तरह से पता है। बहरहाल, अंधविश्वास को दूर करने के लिए सरकार ने भले ही टोनही प्रताड़ना अधिनियम लागू कर दिया है, लेकिन महज कानून की दुहाई देकर ग्रामीण क्षेत्र के लोगों के मन से अंधविश्वास को कतई नहीं मिटाया जा सकता। ऐसे में सवाल उठता है कि अंधविश्वास और टोना-जादू के नाम पर ग्रामीण क्षेत्र की महिलाएं आखिरकार कब तक प्रताड़ित होती रहेंगी ?

Views: 6053

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . नजर
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन आपकी मनोहारी प्रशंसा से समृद्ध हुआ । हार्दिक आभार आदरणीय "
7 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . नजर
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। अच्छे दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
8 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कापुरुष है, जता रही गाली// सौरभ
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, आपसे मिले अनुमोदन हेतु आभार"
16 hours ago
Chetan Prakash commented on Saurabh Pandey's blog post कापुरुष है, जता रही गाली// सौरभ
"मुस्काए दोस्त हम सुकून आली संस्कार आज फिर दिखा गाली   वाहहह क्या खूब  ग़ज़ल '…"
yesterday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा दशम्. . . . . गुरु

दोहा दशम्. . . . गुरुशिक्षक शिल्पी आज को, देता नव आकार । नव युग के हर स्वप्न को, करता वह साकार…See More
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

लौटा सफ़र से आज ही, अपना ज़मीर है -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

२२१/२१२१/१२२१/२१२ ***** जिनकी ज़बाँ से सुनते  हैं गहना ज़मीर है हमको उन्हीं की आँखों में पढ़ना ज़मीर…See More
Wednesday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post बाल बच्चो को आँगन मिले सोचकर -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति, उत्साहवर्धन एवं स्नेह के लिए आभार। आपका स्नेहाशीष…"
Wednesday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा सप्तक. . . नजर

नजरें मंडी हो गईं, नजर हुई  लाचार । नजरों में ही बिक गया, एक जिस्म सौ बार ।। नजरों से छुपता…See More
Wednesday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कापुरुष है, जता रही गाली// सौरभ
"आपको प्रयास सार्थक लगा, इस हेतु हार्दिक धन्यवाद, आदरणीय लक्ष्मण धामी जी. "
Wednesday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . नजर
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी सृजन के भावों को आत्मीय मान से अलंकृत करने का दिल से आभार आदरणीय । बहुत…"
Wednesday
Chetan Prakash commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post बाल बच्चो को आँगन मिले सोचकर -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"छोटी बह्र  में खूबसूरत ग़ज़ल हुई,  भाई 'मुसाफिर'  ! " दे गए अश्क सीलन…"
Tuesday
Chetan Prakash commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . नजर
"अच्छा दोहा  सप्तक रचा, आपने, सुशील सरना जी! लेकिन  पहले दोहे का पहला सम चरण संशोधन का…"
Tuesday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service