ग़ज़ल
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(मफ़ाइलातुन--मफ़ाइलातुन)
किया है अपनों ने जब किनारा |
दिया है अग्यार ने सहारा |
करम हुआ दोस्तों का जब से
वफ़ा का गर्दिश में है सितारा |
अगर गिला है तो सिर्फ़ है यह
न दे सके साथ वो हमारा |
हुआ है दीदार जब से उनका
लगे न मंज़र कोई भी प्यारा |
हसीन रुख़ में ज़रूर कुछ है
जो देखे हो जाए वो तुम्हारा |
हो और मज़बूत अपनी यारी
कहाँ ज़माने को है गवारा |
किसी के चेहरे पे थी उदासी
मैं यूँ न तस्दीक़ दाओं हारा |
(मौलिक व अप्रकाशित )
Comment
मुहतरम जनाब आशुतोष साहिब , ग़ज़ल में आपकी शिरकत और हौसला अफज़ाइ का बहुत बहुत शुक्रिया ---
आदरणीय तस्दीक जी इस प्रस्तुतु पर बधाई स्वीकार करें
मुहतरम जनाब आरिफ़ साहिब आदाब , ग़ज़ल में आपकी शिरकत और हौसला अफज़ाइ
का बहुत बहुत शुक्रिया ---
मुहतरम जनाब समर कबीर साहिब आदाब , ग़ज़ल में आपकी शिरकत और हौसला अफज़ाइ
का बहुत बहुत शुक्रिया ---
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