For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

यह सियासत आप पर हम पर कहर होने को है

2122 2122 2122 212

पग सियासी आँच पर मधु भी जहर होने को है।
बच गया ईमान जो कुछ दर-ब-दर होने को है।।

मुफलिसों को छोड़कर गायों गधों पर आ गई।
यह सियासत आप पर हम पर कहर होने को है।।

उड़ रहा है जो हकीकत की धरा को छोड़ कर।
बेखबर वो जल्द ही अब बाखबर होने को है।।

वो जो बल खा के चलें इतरा के घूमें कू-ब-कू।
खत्म उनके हुस्न की भी दोपहर होने को है।।

जुल्म से घबरा के थक के हार के बैठो न तुम।

"हो भयावह रात कितनी भी सहर होने को है॥"


आशीष यादव
मौलिक एवम् अप्रकाशित

Views: 946

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by आशीष यादव on September 12, 2020 at 5:12am

आदरणीय श्री गिरिराज भंडारी जी गजल पर आपकी आमद एवं हौसला अफजाई के लिए शुक्रिया।

Comment by आशीष यादव on September 12, 2020 at 5:11am

आदरणीय श्री महेंद्र कुमार सर गजल पर आपकी आमद एवं हौसला अफजाई के लिए बहुत बहुत शुक्रिया।


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on March 7, 2017 at 1:15pm

आदरणीय आशीष भाई , बहुत अच्छी ग़ज़ल कही है , हार्दिक बधाइयाँ स्वीकार कीजिये ।

Comment by Mahendra Kumar on March 6, 2017 at 7:09pm
आदरणीय आशीष जी, बढ़िया ग़ज़ल लिखी गई आपने। हार्दिक बधाई स्वीकार कीजिए। "हो भयावह रात कितनी भी सहर होने को है", मेरी समझ से यह मिसरा ठीक है। सादर
Comment by आशीष यादव on March 4, 2017 at 8:36pm

आदरणीय विद्वजन अंतिम बेबहर मिसरे ( इस भयावह रात की भी सहर होने को है।। ) के स्थान पर क्या यह मिसरा उचित रहेगा?

"हो भयावह रात कितनी भी सहर होने को है॥"

कृपया उचित सुझाव दीजिये।

Comment by आशीष यादव on March 4, 2017 at 8:23pm

आदरणीय Mohammed Arif जी बहुत बहुत आभार।  आप ने मुझे इतना मान दिया।

Comment by आशीष यादव on March 4, 2017 at 8:23pm

आदरणीय सुरेन्द्र नाथ सिंह 'कुशक्षत्रप' जी बहुत बहुत आभार।  आप ने मुझे इतना मान दिया।

Comment by आशीष यादव on March 4, 2017 at 8:21pm

आदरणीय JAWAHAR LAL SINGH जी बहुत बहुत आभार।

Comment by आशीष यादव on March 4, 2017 at 8:20pm

आदरणीय Dr Ashutosh Mishra  जी बहुत बहुत आभार। गलती से अवगत कराने का शुक्रिया।


इस भयावह रात की भी सहर होने को है।।

यह मिसरा बहर से बाहर है।

Comment by आशीष यादव on March 4, 2017 at 8:16pm

आदरणीय Gurpreet Singh जी बहुत बहुत आभार। गलती से अवगत कराने का शुक्रिया।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

शेष रखने कुटी हम तुले रात भर -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

212/212/212/212 **** केश जब तब घटा के खुले रात भर ठोस पत्थर  हुए   बुलबुले  रात भर।। * देख…See More
2 hours ago
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 170 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय चेतन भाईजी,  प्रस्तुति के लिए हार्दि बधाई । लेकिन मात्रा और शिल्पगत त्रुटियाँ प्रवाह…"
10 hours ago
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 170 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय सौरभ भाईजी, समय देने के बाद भी एक त्रुटि हो ही गई।  सच तो ये है कि मेरी नजर इस पर पड़ी…"
10 hours ago
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 170 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय लक्ष्मण भाईजी, इस प्रस्तुति को समय देने और प्रशंसा के लिए हार्दिक dhanyavaad| "
11 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 170 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अखिलेश भाईजी, आपने इस प्रस्तुति को वास्तव में आवश्यक समय दिया है. हार्दिक बधाइयाँ स्वीकार…"
12 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 170 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी आपकी प्रस्तुति के लिए हार्दिक धन्यवाद. वैसे आपका गीत भावों से समृद्ध है.…"
13 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 170 in the group चित्र से काव्य तक
"आ. भाई अखिलेश जी, सादर अभिवादन। प्रदत्त चित्र को साकार करते सुंदर छंद हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
yesterday
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 170 in the group चित्र से काव्य तक
"सार छंद +++++++++ धोखेबाज पड़ोसी अपना, राम राम तो कहता।           …"
yesterday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 170 in the group चित्र से काव्य तक
"भारती का लाड़ला है वो भारत रखवाला है ! उत्तुंग हिमालय सा ऊँचा,  उड़ता ध्वज तिरंगा  वीर…"
yesterday
Aazi Tamaam commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: चार पहर कट जाएँ अगर जो मुश्किल के
"शुक्रिया आदरणीय चेतन जी इस हौसला अफ़ज़ाई के लिए तीसरे का सानी स्पष्ट करने की कोशिश जारी है ताज में…"
Friday
Chetan Prakash commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post अस्थिपिंजर (लघुकविता)
"संवेदनाहीन और क्रूरता का बखान भी कविता हो सकती है, पहली बार जाना !  औचित्य काव्य  / कविता…"
Friday
Chetan Prakash commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: चार पहर कट जाएँ अगर जो मुश्किल के
"अच्छी ग़ज़ल हुई, भाई  आज़ी तमाम! लेकिन तीसरे शे'र के सानी का भाव  स्पष्ट  नहीं…"
Thursday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service