For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

विश्व महिला दिवस - लघुकथा –

विश्व महिला दिवस    -       लघुकथा    –

सुक्कू बाई आज फिर लेट हो गयी थी इसलिये डरते डरते मिसेज सिन्हा के घर में घुसी। सारा घर साफ़ सुथरा दिख रहा था। रसोईघर में सब वर्तन धुले हुए करीने से लगे थे। बाथरूम में देखा मैले कपड़ों का ढेर भी गायब था। लॉन में गयी तो देखा  बाहर धुले कपड़े सूख रहे थे । उसने सोचा कि उसके रोज रोज लेट आने और नागा करने से परेशान होकर मैम साब ने दूसरी बाई रख ली।

मैम साब पूजा घर में थी। मैम साब बाहर निकली और सीधे रसोईघर में चली गयीं। थोड़ी देर बाद ट्रे में चाय और  बिस्कुट लेकर निकलीं।

"ले सुक्कू,  चाय पी"।

सुक्कू चाय पीते हुए लगभग निश्चित रूप से सोच ली कि आज उसका हिसाब हो जायेगा। इधर सुक्कू ने चाय खत्म की उधर मैम साब एक पैकेट और कुछ रुपये लेकर आ गयीं। सुक्कू को अब पूरा यक़ीन हो गया कि उसका पत्ता साफ हो गया। एक घर और कम हो गया। खर्चे बढ़ते जा रहे हैं और आमदनी घटती जा रही है। अब कल से एक नया घर ढूंढ्ना होगा।

"सुक्कू, कहाँ खो गयी।यह ले तेरा इनाम"?

सुक्कू को लगा कि हिसाब को मैम साब इनाम कह रही होंगीं।सुक्कू बाई की आँखों में आँसू आ गये।

"सुक्कू, आज क्या हो रहा है तुझे, रो क्यों रही है"?

"मैम साब बारह साल का साथ छूट रहा है, दुख तो होता ही है"।

"किससे छूट गया तेरा साथ"?

"आपसे, आपने मुझे काम से हटा कर नयी बाई रखली ना"।

"अरे पगली, तेरे जैसी बाई को भी कोई काम से हटा सकता है भला"।

"फिर यह सारा काम कौन किया"?

"मैंने किया और किसने"।

"पर आपने क्यों किया"?

"आज ‘ विश्व महिला दिवस’  है।मैंने सोचा अपनी सुक्कू को आज आराम दिया जाय और उसे सम्मानित किया जाय"।

मौलिक एवम अप्रकाशित

Views: 687

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by TEJ VEER SINGH on October 3, 2017 at 5:58pm

हार्दिक आभार आदरणीय नीलम उपाध्याय  जी।

Comment by Neelam Upadhyaya on March 14, 2017 at 4:38pm

 

आदरणीय तेजवीर सिंह जी, नमस्कार । बहुत ही बढ़िया लघुकथा है । कितना अच्छा हो अगर महिलाएं हर दिन को महिला दिवस माने । बधाई स्वीकार करें ।

Comment by TEJ VEER SINGH on March 14, 2017 at 11:33am

हार्दिक आभार आदरणीय महेन्द्र कुमार जी।

Comment by Mahendra Kumar on March 14, 2017 at 9:35am
बढ़िया लघुकथा है आदरणीय तेजवीर सिंह जी। हार्दिक बधाई स्वीकार कीजिए। सादर।
Comment by TEJ VEER SINGH on March 10, 2017 at 12:35pm

हार्दिक आभार आदरणीय नीता जी।

Comment by Nita Kasar on March 9, 2017 at 7:50pm
सार्थक सारगर्भित कथा के लिये बधाई आद० तेजवीर सिंह जी ।
Comment by TEJ VEER SINGH on March 9, 2017 at 7:43pm

हार्दिक आभार आदरणीय मोहम्मद आसिफ़ साहब जी।

Comment by Mohammed Arif on March 9, 2017 at 7:00pm
आदरणीय तेजवीर जी आदाब, आजकल बड़े घर की मैम साब भी महिला दिवस के नाम पर चोचले करने लगी है । बहुत बढ़िया लघुकथा । बधाई स्वीकार करें ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"दीपोत्सव क्या निश्चित है हार सदा निर्बोध तमस की? दीप जलाकर जीत ज्ञान की हो जाएगी? क्या इतने भर से…"
7 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"धन्यवाद आदरणीय "
10 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"ओबीओ लाइव महा उत्सव अंक 179 में स्वागत है।"
10 hours ago
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"स्वागतम"
10 hours ago
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
12 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' left a comment for मिथिलेश वामनकर
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। जन्मदिन की शुभकामनाओं के लिए हार्दिक आभार।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post साथ करवाचौथ का त्यौहार करके-लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन।गजल पर उपस्थिति और उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक आभार।"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post साथ करवाचौथ का त्यौहार करके-लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, करवा चौथ के अवसर पर क्या ही खूब ग़ज़ल कही है। इस बेहतरीन प्रस्तुति पर…"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

साथ करवाचौथ का त्यौहार करके-लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

२१२२/२१२२/२१२२ **** खुश हुआ अंबर धरा से प्यार करके साथ करवाचौथ का त्यौहार करके।१। * चूड़ियाँ…See More
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post गहरी दरारें (लघु कविता)
"आदरणीय सुरेश कुमार कल्याण जी, प्रस्तुत कविता बहुत ही मार्मिक और भावपूर्ण हुई है। एक वृद्ध की…"
yesterday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
Wednesday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर left a comment for लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार की ओर से आपको जन्मदिन की हार्दिक शुभकामनाएं।"
Tuesday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service