For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

दीवार के कान - लघुकथा –

दीवार के कान - लघुकथा –

शंकर सिंह एक अनुशासन प्रिय और जिम्मेवार अधिकारी थे।  कारखाने में और कोलोनी में उनकी अच्छी छवि थी। लेकिन कल कारखाने में उनके साथ जो घटना हुई थी, उसने उनको विचलित कर दिया था। एक चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी से मामूली वार्तालाप ने एक उग्र झड़प का रूप ले लिया।  यूनियन लीडर्स के बीच में आने से मामला कुछ ज्यादा ही तूल पकड़ गया। मि० सिंह से हाथापाई तक हो गयी। मैनेजमेंट ने तुरंत मि० सिंह को घर भेज दिया था। उनके आने के बाद प्रेस वाले, मीडिया वाले भी कारखाने तक आगये थे।

पिछली रात बड़े तनाव में निकली थी। सुबह पांच बजे से मि० सिंह कभी बरामदे में कभी लॉन में चक्कर काट रहे थे। उन्हें बेसब्री से आज के अखबार का इंतज़ार था। वे देखना चाहते थे कि प्रेस ने घटना को क्या रंग दिया था। इसलिये उनकी निगाहें बार बार गेट की तरफ उठ जाती थीं।सात बजने को आये मगर अखबार वाला कहीं नज़र नहीं आरहा था।इसी उधेडबुन में सुबह से तीन चार कप चाय पी चुके थे।

मि० सिंह ने देखा कि सामने गुप्ता जी के गेट में तो अखबार लगा हुआ है फिर हमारा क्यों नहीं आया। अखबार पढ़ने की बेचेनी बढ़ती जा रही थी। इसी ऊहापोह में मि० सिंह बाहर निकले और इधर उधर देखते हुए चुपचाप गुप्ता जी का अखबार निकाल लाये। और सीधे बाथरूम में घुस गये। तसल्ली से बैठकर पूरा अखबार छान मारा। मगर कारखाने की कोई खबर नहीं दिखी।

तभी दरवाजे पर घंटी बजी। हड़बड़ाहट में उन्होंने द्वार खोला। सामने गुप्ता जी खड़े थे,

"सिंह साहब, आज हमारा अखबार नहीं आया।आपका आया क्या"?

"देखा तो नहीं, शायद नहीं आया"।

गुप्ता जी को विदा करके मि० सिंह जैसे ही पीछे मुड़े, उनकी सात वर्षीय बेटी हाथ में अखबार लिये खड़ी थी,

"पापा, हमारे अखबार पर गुप्ता अंकल का मकान नंबर क्यों लिखा है"?

मौलिक एवम अप्रकाशित

Views: 467

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by TEJ VEER SINGH on March 17, 2017 at 8:59pm

हार्दिक आभार आदरणीय प्रतिभा जी।लघुकथा आपको अच्छी लगी, शुक्रिया।लघुकथा  में जो बात उठाई गयी है, वह तो आप समझ ही चुके हैं।वास्तविकता यही है कि ज्यादातर लोग ईमानदार और सचरित्र होने का दिखावा या दावा  करते हैं लेकिन अवसर मिलने पर या आवश्यकता पड़ने पर फ़िसल जाते हैं।सादर।

Comment by pratibha pande on March 17, 2017 at 7:27pm

इस कथा का मर्म जो मै समझी हूँ वो ये है कि हम अपनी सहूलियतों के अनुसार ईमानदार और बेईमान हो जाते हैं ,  आपने कथा एक घटना से शुरू की  जिससे शंकर सिंह आहत हुएI  अगर इस  घटना को आप उनकी इमानदारी से जोड़ कर दिखाते तो अंत का ये पञ्च  अधिक प्रभावशाली होता .  फिर भी आपकी ये कथा मुझे बहुत अच्छी लगी ...हार्दिक बधाई आपको आदरणीय तेजवीर सिंह जी .     

Comment by TEJ VEER SINGH on March 17, 2017 at 10:25am

हार्दिक आभार आदरणीय सतविंदर जी, कि आपको लघुकथा पसन्द आई ।इस लघुकथा के द्वारा यही बात कहने का प्रयास किया है कि इंसान कितना ही मज़बूत और सच्चा हो, उसकी भी दवाब झेलने की एक सीमा होती है।अत्यधिक दवाब में अच्छे अच्छे महारथी भी बिखर जाते हैं।धर्मराज युधिष्ठिर भी महाभारत के युद्ध काल में एक बार झूठ बोल बैठे थे।सादर।

Comment by सतविन्द्र कुमार राणा on March 16, 2017 at 10:39pm
आदरणीय तेजवीर जी उम्दा कथा हुई है।हार्दिक बधाई स्वीकारें।एक बात पे कुछ असमंजस में हूँ,जिस व्यक्ति की प्रारम्भ अच्छी छवि है,अंत उसके उल्ट क्यों नजर आया।सादर

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 170 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय लक्ष्मण भाईजी, इस प्रस्तुति को समय देने और प्रशंसा के लिए हार्दिक dhanyavaad| "
33 minutes ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 170 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अखिलेश भाईजी, आपने इस प्रस्तुति को वास्तव में आवश्यक समय दिया है. हार्दिक बधाइयाँ स्वीकार…"
2 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 170 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी आपकी प्रस्तुति के लिए हार्दिक धन्यवाद. वैसे आपका गीत भावों से समृद्ध है.…"
2 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 170 in the group चित्र से काव्य तक
"आ. भाई अखिलेश जी, सादर अभिवादन। प्रदत्त चित्र को साकार करते सुंदर छंद हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
15 hours ago
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 170 in the group चित्र से काव्य तक
"सार छंद +++++++++ धोखेबाज पड़ोसी अपना, राम राम तो कहता।           …"
yesterday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 170 in the group चित्र से काव्य तक
"भारती का लाड़ला है वो भारत रखवाला है ! उत्तुंग हिमालय सा ऊँचा,  उड़ता ध्वज तिरंगा  वीर…"
yesterday
Aazi Tamaam commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: चार पहर कट जाएँ अगर जो मुश्किल के
"शुक्रिया आदरणीय चेतन जी इस हौसला अफ़ज़ाई के लिए तीसरे का सानी स्पष्ट करने की कोशिश जारी है ताज में…"
yesterday
Chetan Prakash commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post अस्थिपिंजर (लघुकविता)
"संवेदनाहीन और क्रूरता का बखान भी कविता हो सकती है, पहली बार जाना !  औचित्य काव्य  / कविता…"
yesterday
Chetan Prakash commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: चार पहर कट जाएँ अगर जो मुश्किल के
"अच्छी ग़ज़ल हुई, भाई  आज़ी तमाम! लेकिन तीसरे शे'र के सानी का भाव  स्पष्ट  नहीं…"
Thursday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on surender insan's blog post जो समझता रहा कि है रब वो।
"आदरणीय सुरेद्र इन्सान जी, आपकी प्रस्तुति के लिए बधाई।  मतला प्रभावी हुआ है. अलबत्ता,…"
Thursday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया. . . .
"आदरणीय सौरभ जी आपके ज्ञान प्रकाश से मेरा सृजन समृद्ध हुआ । हार्दिक आभार आदरणीय जी"
Wednesday
Aazi Tamaam posted a blog post

ग़ज़ल: चार पहर कट जाएँ अगर जो मुश्किल के

२२ २२ २२ २२ २२ २चार पहर कट जाएँ अगर जो मुश्किल केहो जाएँ आसान रास्ते मंज़िल केहर पल अपना जिगर जलाना…See More
Wednesday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service