For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ग़ज़ल--खुदा की कसम शायरी हो न पाई

ग़ज़ल

फ ऊलन -फ ऊलन- फ ऊलन- फ ऊलन 

.

ये हसरत मुकम्मल कभी हो न पाई।

मिले वह मगर दोस्ती हो न  पाई ।

मुलाक़ात का सिलसिला तो है जारी

मगर इब्तदा प्यार की हो न पाई ।

त अज्जुब है बदले हैं महबूब कितने

मगर काम रां आशिक़ी हो न पाई।

गए वह तसव्वुर से जब से निकल कर 

खुदा की क़सम शायरी हो न पाई ।

करें नफ़रतें भूल कर सब मुहब्बत

अभी तक ये जादूगरी हो न पाई ।

मुसलसल वो करते रहे बे वफाई 

मगर हम से यह दिल लगी हो न पाई।

फ़क़त गम ये तस्दीक़ है जाते जाते 

मुलाक़ात उनसे मेरी हो न पाई।

(मौलिक व अप्रकाशित )

Views: 707

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Tasdiq Ahmed Khan on May 1, 2017 at 8:06pm
मुहतरम जनाब गिरिराज साहिब,ग़ज़ल में आपकी शिरकत और हौसला अफजाई का बहुत बहुत शुक्रिया

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on May 1, 2017 at 9:43am

आदरणीय तस्दीक भाई , बेहतरीन गज़ल कही है आपने ...  हार्दिक बधाइयाँ प्रेषित हैं ...स्वीकार करें ।

Comment by Tasdiq Ahmed Khan on April 28, 2017 at 7:48am
मुहतरम जनाब रवि साहिब,ग़ज़ल में आपकी शिरकत और हौसला अफजाई का बहुत बहुत शुक्रिया ,महरबानी
Comment by MANINDER SINGH on April 27, 2017 at 6:42pm

आदरणीय रवि शुक्ला तहे दिल आभार आपके द्वारा दी गयी जानकारी के लिए.......

Comment by Ravi Shukla on April 27, 2017 at 5:46pm

आदरणीय मनिन्‍दर जी जहा तक आपकी शंका का प्रश्‍न है किसी मिसरे का पहला हर्फ नही वरन  किसी लफ्ज का आम तौर पर पहला हर्फ नहीं गिराया जाता । पर इसमे भी कुछ अपवाद है जैसे मेरे तेरे कोई आदि इनमें कोई एक या दाेनो साथ मे गिराए जा सकते है । इसी पटल पर गजल की कक्षा और गजल की बाते दो आलेख है उनको पढ लीजिये बहुत आसानी हो जाएगी ।

Comment by Ravi Shukla on April 27, 2017 at 5:46pm

आदरणीय तसदीक साहब आदाब  बहुत अच्‍छी गजल कही आपने अच्‍छा लगा पढकर दिली दाद और मुबारक बाद कुबूल करें ।

Comment by Tasdiq Ahmed Khan on April 27, 2017 at 5:33pm

जनाब मनिंदर साहिब , ग़ज़ल में आपकी शिरकत और हौसला अफज़ाई का
बहुत बहुत शुक्रिया ------जहाँ तक मेरी जानकारी है एसा कोई नियम नहीं है

Comment by MANINDER SINGH on April 27, 2017 at 1:11pm

बहुत सुन्दर ग़ज़ल कही आप ने सर........मेरा एक सवाल है सर आप से....मैंने ग़ज़ल थोड़ी बहुत जो सीखी है वो पूछ पूछ कर ही आप जैसे गुणीजनों से पूछी है......इसलिए आप मेरी बात का बुरा मत मानियेगा.....सर आप के पहले मिसरे में ये को वजन वजन गिरा कर लिखा है....पर जहाँ तक मुझे बताया गया की आप किसी भी मिसरे के पहले लफ्ज़ को मात्रा गिरा कर नहीं लिख सकते है.....आप ने निवेदन है की इस नासमझ को अपनी राय दे....धन्यवाद सर ....

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

धर्मेन्द्र कुमार सिंह posted a blog post

शोक-संदेश (कविता)

अथाह दुःख और गहरी वेदना के साथ आप सबको यह सूचित करना पड़ रहा है कि आज हमारे बीच वह नहीं रहे जिन्हें…See More
1 hour ago
धर्मेन्द्र कुमार सिंह commented on Saurabh Pandey's blog post कापुरुष है, जता रही गाली// सौरभ
"बेहद मुश्किल काफ़िये को कितनी खूबसूरती से निभा गए आदरणीय, बधाई स्वीकारें सब की माँ को जो मैंने माँ…"
1 hour ago
धर्मेन्द्र कुमार सिंह commented on धर्मेन्द्र कुमार सिंह's blog post जो कहता है मज़ा है मुफ़्लिसी में (ग़ज़ल)
"बहुत बहुत शुक्रिया आदरणीय  लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' जी"
1 hour ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - ( औपचारिकता न खा जाये सरलता ) गिरिराज भंडारी
"आदरणीय लक्ष्मण भाई , ग़ज़ल पर उपस्थित हो उत्साह वर्धन करने के लिए आपका हार्दिक आभार "
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - ( औपचारिकता न खा जाये सरलता ) गिरिराज भंडारी
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। उत्तम गजल हुई है। हार्दिक बधाई। कोई लौटा ले उसे समझा-बुझा…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी posted a blog post

ग़ज़ल - ( औपचारिकता न खा जाये सरलता ) गिरिराज भंडारी

२१२२       २१२२        २१२२   औपचारिकता न खा जाये सरलता********************************ये अँधेरा,…See More
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post छन्न पकैया (सार छंद)
"आयोजनों में सम्मिलित न होना और फिर आयोजन की शर्तों के अनुरूप रचनाकर्म कर इसी पटल पर प्रस्तुत किया…"
yesterday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . नजर
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी सृजन पर आपकी विस्तृत समीक्षा का तहे दिल से शुक्रिया । आपके हर बिन्दु से मैं…"
Tuesday
Admin posted discussions
Monday
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 171

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
Monday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . नजर
"आदरणीय सुशील सरनाजी, आपके नजर परक दोहे पठनीय हैं. आपने दृष्टि (नजर) को आधार बना कर अच्छे दोहे…"
Monday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कापुरुष है, जता रही गाली// सौरभ
"प्रस्तुति के अनुमोदन और उत्साहवर्द्धन के लिए आपका आभार, आदरणीय गिरिराज भाईजी. "
Monday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service