For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

राष्ट्र व इसके सपूतों को समर्पित

राष्ट्र मेरा है अलबेला है इसकी छवि निराली,
लाल हुए है पैदा ऐसे जिनके बोल गए न खाली।

क्या लाला क्या वल्लभ जी ?
गोद में अपनी इसने तो रानी लक्ष्मी भी है पाली ।

अरे उनकी तो बात ही क्या जो फाँसी चढ़ गए हँसते-हँसते,
न जाने कितने वीरों को दिखा दिए थे आजादी के रस्ते।

आजाद था आजाद रहेगा करलो चाहे जितनी मनमानी,
अभी तो बस शुरू हुई है उन आर्यों की ये अमर कहानी।

श्री राम की मर्यादा है जो हमने तुझको माफ़ किया,
मत भूल कि उस बिस्मिल ने फिर न जाने कितनो को साफ किया।

खैरात की आजादी न समझों वीरों ने जान गंवाई है,
मत भूलो वो कुर्बानी जो उनके खून से तुमने पायी है।

*साक्षी आर्या*

(मौलिक व अप्रकाशित)

Views: 699

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by साक्षी शर्मा on May 9, 2017 at 10:02pm
धन्यवाद

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on May 9, 2017 at 9:19pm

आदरनीया साक्षी जी , देश भक्ति के भावों से सजी आपकी रचना के लिये हार्दिक बधाइयाँ । बाक़ी जो भी उचित सुझव मिले हैं उनका ध्यान रखियेगा ।

Comment by साक्षी शर्मा on May 9, 2017 at 9:10am
जी धन्यवाद , जरूर ध्यान दूँगी
Comment by नाथ सोनांचली on May 9, 2017 at 1:42am
आद0 साक्षी जी सादर अभिवादन,अपनी भावनाएं प्रकट करने के लिये बधाई स्वीकार करें ।
जनाब रवि शुक्ल जी की बातों पर ध्यान दें ।
Comment by नाथ सोनांचली on May 9, 2017 at 1:42am
आद0 साक्षी जी सादर अभिवादन,अपनी भावनाएं प्रकट करने के लिये बधाई स्वीकार करें ।
जनाब रवि शुक्ल जी की बातों पर ध्यान दें ।
Comment by साक्षी शर्मा on May 8, 2017 at 8:14pm
जी अवश्य
Comment by Samar kabeer on May 8, 2017 at 6:40pm
मोहतरमा साक्षी जी आदाब,अपनी भावनाएं प्रकट करने के लिये बधाई स्वीकार करें ।
जनाब रवि शुक्ल जी की बातों पर ध्यान दें ।
Comment by साक्षी शर्मा on May 8, 2017 at 5:35pm
धन्यवाद
मैं मुख्य रूप से अपनी भावनाओं को प्रकट कर लिखने का प्रयास करती हूँ।
सुधार का प्रयास अवश्य करती रहूँगी।
Comment by Ravi Shukla on May 8, 2017 at 1:50pm

आदरणीया साक्षी जी मंच पर उपलब्‍ध समूह में से पंसद के समूह को पढ कर अपनी विधा की जानकारी लीजिये और फिर प्रयास करें आपके भाव सुंदर शिल्‍प बद्ध तरीके से अभिव्‍यक्‍त होंगे । इस रचना के लिये आपको बधाई

Comment by साक्षी शर्मा on May 8, 2017 at 1:04pm
धन्यवाद
मैने कुछ ही समय से लिखना प्रारम्भ किया है, तुकबन्दी का आभाव है लेकिन सुधर करने में प्रयासरत हूँ। आप सबका आशीर्वाद रहे तो और अच्छा लिख पाऊँगी।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . विरह शृंगार
"आदरणीय चेतन जी सृजन के भावों को मान और सुझाव देने का दिल से आभार आदरणीय जी"
5 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . विरह शृंगार
"आदरणीय गिरिराज जी सृजन आपकी मनोहारी प्रशंसा का दिल से आभारी है सर"
5 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहे -रिश्ता
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। दोहों पर आपकी प्रतिक्रिया से उत्साहवर्धन हुआ। स्नेह के लिए आभार।"
23 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहे -रिश्ता
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। दोहों पर उपस्थिति और प्रशंसा के लिए आभार।"
23 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहे -रिश्ता
"आदरनीय लक्ष्मण भाई  , रिश्तों पर सार्थक दोहों की रचना के लिए बधाई "
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . विरह शृंगार
"आ. सुशील  भाई  , विरह पर रचे आपके दोहे अच्छे  लगे ,  रचना  के लिए आपको…"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post कहीं खो गयी है उड़ानों की जिद में-गजल
"आ. भाई चेतन जी सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति के लिए हार्दिक धन्यवाद।  मतले के उला के बारे में…"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post कहीं खो गयी है उड़ानों की जिद में-गजल
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति के लिए आभार।"
yesterday
Chetan Prakash commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . विरह शृंगार
"आ. सुशील  सरना साहब,  दोहा छंद में अच्छा विरह वर्णन किया, आपने, किन्तु  कुछ …"
yesterday
Chetan Prakash commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post कहीं खो गयी है उड़ानों की जिद में-गजल
"आ.आ आ. भाई लक्ष्मण धामी मुसाफिर.आपकी ग़ज़ल के मतला का ऊला, बेबह्र है, देखिएगा !"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post कहीं खो गयी है उड़ानों की जिद में-गजल
"आदरणीय लक्ष्मण भाई , ग़ज़ल के लिए आपको हार्दिक बधाई "
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी and Mayank Kumar Dwivedi are now friends
Monday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service