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जय हो ,
अइसन दिन देखि आइल ,
लोगवा बा भकुआइल ,
सुप्रीम कोर्ट के हम का बोली ,
जज के सरम ना आइल ,
जय हो ,
चोरी छिपे जे मिळत रहे ,
छुट के मिळत बाटे ,
सब कोई के सामने अब ,
संगे रात बितावत बाटे,
सरम के इ ता घोर के पि गइल,
कहत बा कोर्ट के आर्डर बाटे ,
जय हो ,
बाबु जी से बेटी बोली ,
फलना के हम चाही ले ,
राजी हो जा बाबु जी ,
ओकरा संगे रात बिताइले ,
कवनो इ गलत नइखे ,
कोर्ट से सुनत बनी ,
जय हो ,
अइसन दिन आ सकेला ,
सरम से मरिहन बाप ,
ओ से पाहिले सरन खाके ,
मर जाईती जज आप ,
आप जैसन बेसरम खातिर ,
ना निकली कभी जय हो ,
जय हो ,

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सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Rana Pratap Singh on September 6, 2010 at 6:39pm
भारतीय संस्कृति में लिव इन रिलेशनशिप की कोई जगह नहीं है| सुन्दर कविता|
Comment by Admin on March 29, 2010 at 6:07pm
चोरी छिपे जे मिळत रहे ,
छुट के मिळत बाटे ,
सब कोई के सामने अब ,
संगे रात बितावत बाटे,
सरम के इ ता घोर के पि गइल,
कहत बा कोर्ट के आर्डर बाटे ,
जय हो ,
वाह गुरु जी वाह ,हमेशा के तरह एगो और शानदार रचना , ऐसन सब रचना के बड़ी सिद्दत से इन्तजार रहेला हमनी के , रौवा सही लिखले बानी, इ जवन फैसला आइल बा इ बेसरमी के बढ़ा ही रहल बा आ नैतिकता के छरण हो रहल बा, अभी हमनी के समाज वोतना आगे नैखे गइल की इ अनैतिक काम के पचा पाई आ मुठी भर जे कथित सभ्य लोग बा वो लोग ता पहिले से इ काम करत ही रहल हा , वो लोगन के क़ानून से का लेवे देवे के बा.
Comment by PREETAM TIWARY(PREET) on March 29, 2010 at 5:28pm
bahut khoob guru jee......
bahut bisphotak rachna baa jee.........
hamesha ke tarah ek aur zordaar,shaandaar,dhamakedaar rachna.........
jai ho guru jee aisehi likhat rahi.........

PREETAM TIWARY

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