For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

गुरु पूर्णिमा पर गुरु को समर्पित मुक्तक

हमेशा शिष्य का गुरु ही यहाँ पतवार बनता है|
कृपा उसकी अगर बरसे सफ़ल संसार बनता है||
मृदा का रूप अनगढ़ ही लिये फिरते यहां सारे |
पड़े जब थाप उसकी तो कोई आकार बनता है ||

सदा आदर करें गुरु का जो जाने सार भवसागर |
बिना जिसके भटकता है जहाँ हर बार भवसागर||
जलाये ज्ञान का दीपक जगाकर चेतना मन मे |
मिटाकर दोष जीवन का कराये पार भवसागर ||

मनुष्यों का मिलन जगदीश से गुरुवर कराते हैं|
नहीं जब सूझता कुछ हो नजर गुरुदेव आते हैं||
सखा बनते कभी हैं वो कभी माँ बाप बन जाएं|
सदा बन पथ प्रदर्शक राह वो अच्छी दिखाते हैं||

असम्भव है नही कुछ भी अगर विश्वास बन जाये
विजेता विश्व का वो हो जो गुरु का खास बन जाये
अगर गुरु का भरोषा हो अडिग चाणक्य सा यारों|
मिले आशीष फिर उसका नया इतिहास बन जाये|

मौलिक व अप्रकाशित

Views: 1593

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by नाथ सोनांचली on August 2, 2017 at 4:31am
आद0 समर साहब प्रणाम, आपकी स्नेहमयी प्रतिक्रिया से उत्साह बढ़ता है। हृदय से आभार आपका।
Comment by नाथ सोनांचली on August 2, 2017 at 4:31am
आद0 समर साहब प्रणाम, आपकी स्नेहमयी प्रतिक्रिया से उत्साह बढ़ता है। हृदय से आभार आपका।
Comment by नाथ सोनांचली on August 2, 2017 at 4:30am
आद0 समर साहब प्रणाम, आपकी स्नेहमयी प्रतिक्रिया से उत्साह बढ़ता है। हृदय से आभार आपका।
Comment by vijay nikore on July 13, 2017 at 7:42pm

बहुत ही सुन्दर मुक्तक। बधाई।

Comment by नाथ सोनांचली on July 12, 2017 at 7:59pm
आद0 गोपाल नारायण श्रीवास्तव जी सादर अभिवादन।
यह मुक्तक बह्र 1222 1222 1222 1222 पर लिखा है। आप एक गजलकार भी हैं। इसलिए आप इसे बेहद आसानी से समझ सकते है। फिर भी मैं आपके भ्रम को यथाशक्ति दूर करने की कोशिश करता हूँ।

पड़े जब थाप उसकी तो कोई आकार बनता है ||
पड़े जब था 1222 /प उसकी तो 1222 /कोई आका 1222 /र बनता है 1222

अब आपका अगर भ्रम 'कोई' की मात्रा को लेकर है तो सर् आदर के साथ कहना चाहूंगा कि 'कोई' को बह्र के हिसाब से 12 ले सकते है। और आप एक गजलगो है इसलिए आप इस बात से भलीभांति परिचित होंगे, ऐसी मुझे उम्मीद है।

आगे भी बताना चाहूंगा कि ग़ज़ल की तरह मुक्तक में भी मात्राप्तन का वही विधान होता है। जैसा मैंने अपने उस्ताद से सीखा है। यह मुक्तक पूर्णरूपेण मुफाईलन मुफाईलन मुफाईलन मुफाईलन पर आधारित है। फिर भी शंशय है तो इसे गुणीजन ही दूर कर सकते हैं।सादर
Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on July 12, 2017 at 6:14pm

आ० कुरुक्षत्राप जी .आपकी रचना  विधाता  छंद के अधिक  सन्निकट है  १२२२ का व्यवहार भी कहाँ सही है देखिये -

कोई  आकार  बनता है  २२२२  १२२२

जो जाने सार भवसागर  २२२२ १२२२   आदि --------अब देखिये आपकी  मात्राएँ  १२२२ १२२२ . १२२२ १२२२  (१४,१४ ) हुयी या नहीं  यही तो बिधाता छंद है ------- सादर

Comment by नाथ सोनांचली on July 11, 2017 at 10:40pm
बृजेश कुमार ब्रज जी सादर अभिवादन, हॄदय से आभार आपको प्रोत्साहन के लिए।
Comment by नाथ सोनांचली on July 11, 2017 at 10:39pm
आद0 शेख शहजाद उस्मानी साहब सादर अभिवादन, उक्त रचना पर आपकी प्रतिक्रिया और प्रशंशा से अभिभूत हूँ, सादर आभार
Comment by नाथ सोनांचली on July 11, 2017 at 10:38pm
आद0 समर कबीर साहब सादर प्रणाम, रचना पर आपके आशीष और प्रशंशा से अभिभूत हूँ।सादर।
Comment by नाथ सोनांचली on July 11, 2017 at 10:36pm
आद0 गोपाल जी सादर अभिवादन, मुक्तक पर आपकी प्रतिक्रिया के लिए आभार।
यह मुक्तक 1222 1222 1222 1222 पर लिखा गया है और जो हर तरह से सही है। आप खुद में इसे जांच लीजिये

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post कहूं तो केवल कहूं मैं इतना: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीया प्राची दीदी जी, आपको नज़्म पसंद आई, जानकर खुशी हुई। इस प्रयास के अनुमोदन हेतु हार्दिक…"
5 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post कहूं तो केवल कहूं मैं इतना: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय सौरभ सर, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। बहुत बहुत धन्यवाद। सादर"
5 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"आदरणीय सुरेश कल्याण जी, आपके प्रत्युत्तर की प्रतीक्षा में हैं। "
5 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"आभार "
5 hours ago

मुख्य प्रबंधक
Er. Ganesh Jee "Bagi" replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"आदरणीय, यह द्वितीय प्रस्तुति भी बहुत अच्छी लगी, बधाई आपको ।"
5 hours ago

मुख्य प्रबंधक
Er. Ganesh Jee "Bagi" replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"वाह आदरणीय वाह, पर्यावरण पर केंद्रित बहुत ही सुंदर रचना प्रस्तुत हुई है, बहुत बहुत बधाई ।"
5 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"आ. भाई हरिओम जी, सादर आभार।"
6 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"आ. भाई हरिओम जी, सादर अभिवादन। प्रदत्त विषय पर बेहतरीन कुंडलियाँ छंद हुए है। हार्दिक बधाई।"
6 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"आ. भाई हरिओम जी, सादर अभिवादन। प्रदत्त विषय पर बेहतरीन छंद हुए है। हार्दिक बधाई।"
6 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"आ. भाई तिलक राज जी, सादर अभिवादन। आपकी उपस्थिति और स्नेह से लेखन को पूर्णता मिली। हार्दिक आभार।"
6 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"आ. भाई सुरेश जी, हार्दिक धन्यवाद।"
6 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"आ. भाई गणेश जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति और स्नेह के लिए आभार।"
6 hours ago

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service