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राखी पर्व पर् कुण्डलिया

कच्चे धागे से जुड़ा, राखी का त्यौहार
मिले बहन जब भ्रात से, बरसे स्नेह अपार
बरसे स्नेह अपार, बहन जब बाँधे राखी
जगता सात्विक भाव, उड़े मन जैसे पाखी
रेशम की यह डोर, पहनते बूढ़े बच्चे
रिश्ते बने प्रगाढ़, भले हों धाँगे कच्चे

आये सावन मास में, रक्षाबंधन पर्व
बहना दे शुभकामना, भाई करता गर्व
भाई करता गर्व, बहन जो घर पर आती
हर बहना ऱक्षार्थ, वचन भाई से पाती
रहे बहन सुरक्षित, पर्व सबको बतलाये
बहे नेह की धार, यहाँ जब सावन आये

राखी के इस पर्व पर, मेरा एक सुझाव
राखीं बाँधे पेड़ को, जोड़ें स्नेह लगाव
जोड़ें स्नेह लगाव, बचायें अपनी धरती
जगह जगह हो पेड़, न भू हो बंजर परती
नगर नगर या गाँव, बने वसुंधरा साखी
करें जगत हित काम, अमर हो अपनी राखी

(मौलिक व अप्रकाशित)

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Comment by नाथ सोनांचली on August 10, 2017 at 3:32pm
आद0 समर साहब सादर प्रणाम, आपके अनुमोदन पाकर रचना पर जो आत्मसन्तोष मिलता है उसे बयान नही कर सकता। हृदय तल से आभार आपका
Comment by Samar kabeer on August 8, 2017 at 7:00pm
जनाब सुरेन्द्र नाथ सिंह जी आदाब,रक्षा बंधन पर बहुत उत्तम कुण्डलिया छन्द लिखे आपने,इस प्रस्तुति पर दिल से बधाई स्वीकार करें ।
Comment by नाथ सोनांचली on August 8, 2017 at 4:41pm
आद0 मोहम्मद आरिफ जी सादर अभिवादन, आपकी प्रतिक्रिया हमे एक नई ऊर्जा देती है। यूँही स्नेह बनाये रखें। सादर आभार
Comment by नाथ सोनांचली on August 8, 2017 at 3:58pm
आद0 विजय निकोर जी सादर अभिवादन, रचना को पसंद करने और उत्साह बढ़ाने के लिए सादर आभार।
Comment by Mohammed Arif on August 8, 2017 at 10:46am
राखी के इस पर्व पर, मेरा एक सुझाव
राखीं बाँधे पेड़ को, जोड़ें स्नेह लगाव
जोड़ें स्नेह लगाव, बचायें अपनी धरती
जगह जगह हो पेड़, न भू हो बंजर परती
नगर नगर या गाँव, बने वसुंधरा साखी
करें जगत हित काम, अमर हो अपनी राखी बहुत ही बढ़िया सुझाव है अपने पर्यावरण को बचाने का । बहुत ही बेहतरीन कुंडली । हार्दिक बधाई आदरणीय सुरेंद्रनाथ जी ।
Comment by vijay nikore on August 7, 2017 at 9:08pm

//आये सावन मास में, रक्षाबंधन पर्व
बहना दे शुभकामना, भाई करता गर्व
भाई करता गर्व, बहन जो घर पर आती
हर बहना ऱक्षार्थ, वचन भाई से पाती
रहे बहन सुरक्षित, पर्व सबको बतलाये
बहे नेह की धार, यहाँ जब सावन आये//......

आनन्द आ गया । हार्दिक बधाई, आदरणीय सुरेन्द्र जी।

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