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दोष देना हो किसी को,देख लो ख़ुद आइना
ये भी तो सम्भव है कि तुमसे बुरा कोई न हो ...वाह भाई सुरेन्द्र जी! यह शेर पढ़कर मज़ा आ गया. दूसरे शेर को छोड़ दिया जाए तो पूरी ग़ज़ल बहुत उम्दा है. मेरी तरफ़ से दिल से बधाई स्वीकार कीजिए. सादर.
आदरणीय सुरेन्द्र भाई , बेहतरीन गज़ल कही है आपने .. दिली बधाइयाँ स्वीकार करें
बे असर हों सब दुआएँ,और दवा कोई न हो
याद आता तब ख़ुदा जब आसरा कोई न हो ||
क्यूँ छुपाती हुस्न अपना हर घड़ी पर्दानशी
हुस्न वो किस काम का गर देखता कोई न हो ||
वाह वाह वाह आदरणीय सुरेन्दर जी .... मज़ा आ गया है आपके अशआर पढ़कर ... दिल से मुबारकबाद कबूल फरमाएं सर।
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