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ग़ज़ल "दिखाना ख़्वाब यूँ अच्छा नहीं है"

1222 1222 122
दिखाना ख़्वाब यूँ अच्छा नहीं है।
फ़क़त बातों से कुछ होता नहीं है।।

***
बुरा अंजाम होता है बुरे का।
ख़ुदा से कुछ भी तो छुपता नहीं है।।

***
कई धोख़े मिले हैं जिंदगी में।
किसी पर अब यकीं होता नहीं है।।

***
मुहब्बत में मुझे इक बेवफा ने।
दिया वो जख़्म जो भरता नहीं है।।

***
यकीं कोई न अब उस पर करेगा।
वो अपनी बात पर टिकता नहीं है।।

***
उसे है याद बातें सब पुरानी।
मगर अब गाँव वो जाता नहीं है।।

***
भले "इंसान" की पहचान है ये।
किसी को वो बुरा कहता नहीं है।।

मौलिक व अप्रकाशित

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Comment by surender insan on August 8, 2017 at 2:21pm
आप सभी आदरणीयों गुणीजनों का बहुतबहुत दिली शुक्रिया और आभार जी। आप सबकी उत्साह वर्धक टिप्पणियों से हौसला बढ़ गया है जी। आप सभी से सादर विनती है कि इसी तरह भविष्य में भी अपना स्नेह बनाये रखे जी और मार्गदर्शन करते हुए हौसला दे जी । आप सभी को सादर नमन जी।
Comment by surender insan on August 8, 2017 at 2:17pm
जी आदरणीय गिरिराज भाई जी आदाब। जी बेहद दिली शुक्रिया जी । बहुत बहुत आभार जी।
Comment by surender insan on August 8, 2017 at 2:16pm
जी आदरणीय रवि शुक्ला जी आदाब। बहुत बहुत दिली शुक्रिया जी। सादर नमन सँग आभार जी।
Comment by surender insan on August 8, 2017 at 2:05pm
आदाब आदरणीय गजेंद्र जी। जी बेहद दिली शुक्रिया जी ।बहुत बहुत आभार जी।
Comment by surender insan on August 8, 2017 at 2:03pm
आदरणीय गुरप्रीत सिंह जी आदाब। बेहद शुक्रिया आपका जी। बहुत बहुत आभार जी।
Comment by surender insan on August 8, 2017 at 1:57pm
जी बेहद शुक्रिया आदरणीय ब्रजेश कुमार जी। सादर नमन सँग आभार जी।
Comment by surender insan on August 8, 2017 at 1:56pm
आदाब आदरणीय सुरेन्द्र नाथ जी। जी बेहद दिली शुक्रिया जी आपका।
Comment by surender insan on August 8, 2017 at 1:54pm
आदाब आदरणीय श्याम किशोरजी। जी बेहद शुक्रिया आपका जी। सादर नमन जी।
Comment by surender insan on August 8, 2017 at 1:53pm
आदाब आदरणीय बसन्त कुमार शर्मा जी। बहुत बहुत शुक्रिया जी आपका जी।
Comment by surender insan on August 8, 2017 at 1:51pm
आदाब आदरणीय नीलेश जी । बहुत बहुत दिली शुक्रिया जी आपका। ग़ज़ल होने के बाद मैंने देखा कि ज्यादा तर काफ़िये ता वाले हो गए है। ऐसा कुछ सोच समझ कर नहीं किया बस हो गये जी खुद ब खुद ही। आदरणीय इस से कोई दोष तो नहीं होता जी। सादर जी।

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