2122 1212 112/22
गर अँधेरा है तेरी महफिल में
हसरत ए रोशनी तो रख दिल में
खुद से बेहतर वो कैसे समझेगा ?
सारे झूठे हैं चश्म ए बातिल में
क़त्ल करने की ख़्वाहिशों के सिवा
और क्या ढूँढते हो क़ातिल में
बेबसी, दर्द और कुछ तड़पन
क्या ये काफी नहीं था बिस्मिल में ?
फ़िक्र क्या ? बाहरी जिया न मिले
रोशनी है अगर तेरे दिल में
कोई तो कोशिश ए नजात भी हो
अश्क़ बारी के सिवा मुश्किल में
साहिलों सा नही है साहिल अब
कोई तूफाँ छिपा है साहिल में
प्यार का क्या सबूत दूँ उनको
ज़ह’न के जो बसे हैं तिल तिल में
हर तगाफ़ुल मिला जो तुमसे मुझे
जुड़ गया ज़िन्दगी के हासिल में
*************************
मौलिक एवँ अप्रकाशित
Comment
आदरणीय रवि भाई , उत्साह व्रर्धन के लिये आपका हार्दिक आभार ।
आदरनीय नज़रे बातिल पर आपत्ति का कारण आ. समर भाई बता चुके हैं , कृपया देख लीजियेगा ।
कुछ घरेलू व्यस्तताओं के कारण आभार व्यक्त देरी से कर रहा हूँ , क्षमा कीजियेगा ।
कुछ घरेलू व्यस्तताओं के कारण आभार व्यक्त देरी से कर रहा हूँ , क्षमा कीजियेगा ।
आदरनीयबड़े भाई विजय निकोरे जी , उत्साह वर्धन के लिये आपका हार्दिक आभार ।
कुछ घरेलू व्यस्तताओं के कारण आभार व्यक्त देरी से कर रहा हूँ , क्षमा कीजियेगा ।
आ. बृजेश भाई , ग़ज़ल की सराहना के लिये आभार आपका
अदरनीय सुरेन्द्र भाई , हौसला अफज़ाई का तहे दिल से शुक्रिया आपका ।
कुछ घरेलू व्यस्तताओं के कारण आभार व्यक्त देरी से कर रहा हूँ , क्षमा कीजियेगा ।
आदरणीय समर भाई , चश्मे बातिल किये जाने के कारणों क विस्तार से बताने के लिये आपका हार्दिक आभार ।
कुछ घरेलू व्यस्तताओं के कारण आभार व्यक्त देरी से कर रहा हूँ , क्षमा कीजियेगा ।
आ. आशुतोष भाई - कुछ घरेलू व्यस्तताओं के कारण आभार व्यक्त देरी से कर रहा हूँ , क्षमा कीजियेगा ।
गज़ल की सराहना के लिये आपका हार्दिक आभार , आदरनीय ।
आ. नीरज भाई , कुछ घरेलू व्यस्तताओं के कारण आभार व्यक्त देरी से कर रहा हूँ , क्षमा कीजियेगा ।
गज़ल की सराह्ना के लिये आपका हार्दिक आभार । आदरनीय नज़रे बाति पर आपत्ति का कारण आ. समर भाई बता चुके हैं , कृपया देख लीजियेगा ।
बहुत ही खूबसूरत गज़ल कही है। बधाई, आदरणीय गिरिराज जी।
आवश्यक सूचना:-
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |
3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |
4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)
5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |
© 2024 Created by Admin. Powered by
महत्वपूर्ण लिंक्स :- ग़ज़ल की कक्षा ग़ज़ल की बातें ग़ज़ल से सम्बंधित शब्द और उनके अर्थ रदीफ़ काफ़िया बहर परिचय और मात्रा गणना बहर के भेद व तकतीअ
ओपन बुक्स ऑनलाइन डाट कॉम साहित्यकारों व पाठकों का एक साझा मंच है, इस मंच पर प्रकाशित सभी लेख, रचनाएँ और विचार उनकी निजी सम्पत्ति हैं जिससे सहमत होना ओबीओ प्रबन्धन के लिये आवश्यक नहीं है | लेखक या प्रबन्धन की अनुमति के बिना ओबीओ पर प्रकाशित सामग्रियों का किसी भी रूप में प्रयोग करना वर्जित है |
You need to be a member of Open Books Online to add comments!
Join Open Books Online