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गीत बन कर मिलो.....

गीत बन कर मिलो, गुनगुनाऊँगा मैं,
मेरी जाने ग़ज़ल, तुमको गाऊँगा मैं...

दूरियां दरमियां, और कब तक रहें,
ग़म जुदाई के हम, बोलो कब तक सहें,
और कब तक भला, आजमाऊँगा मैं,
मेरी जाने ग़ज़ल....

एक दस्तक हुई, आज दिल पे मेरे,
मेरी उम्मीद है, ये करम हो तेरे,
और कब तक यूँ ही, दिल जलाऊँगा मैं...
मेरी जाने ग़ज़ल....

दिन ये ख़ामोश हैं, रात में करवटें,
आरजू है धुआँ, याद में सिलवटें,
तुमको कैसे भला, भूल पाऊँगा मैं,
मेरी जाने ग़ज़ल....

कोई पागल कहे, कोई दीवाना अब,
हो गया है मेरा, हाल देखो ग़ज़ब,
फिर भी अरमान दिल के, सजाऊँगा मैं,
मेरी जाने ग़ज़ल....

गीत बन कर मिलो, गुनगुनाऊँगा मैं,
मेरी जाने ग़ज़ल, तुमको गाऊँगा मैं...
मेरी जाने ग़ज़ल, तुमको गाऊँगा मैं...

#######

मौलिक एवं अप्रकाशित...

रवीन्द्र पाण्डेय `रवीन्द्र`

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सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on September 13, 2017 at 9:10pm

आदरणीय  रविन्द्र भाई , गीत रचना अच्छी हुयी है .. हार्दिक बधाइयाँ ।

Comment by SALIM RAZA REWA on September 11, 2017 at 9:57pm
भाई रविंद्र पाण्डे जी गीत के लिए बधाई, महेंद्र जी का इशारे पर ध्यान दें,
ऎसा भी कर सकते हैं,
गीत बन कर मिलो, गुनगुनाऊँगा मैं,
मेरी जाने ग़ज़ल, तुमको गाऊँगा मैं,,
Comment by Mahendra Kumar on September 11, 2017 at 8:06pm

आ. रवीन्द्र जी, इस ख़ूबसूरत गीत पर हार्दिक बधाई स्वीकार कीजिए. 

//गीत बन कर मिलो, गुनगुनाऊँगा मैं,
आओ मेरी ग़ज़ल, तुमको गाऊँगा मैं...//

पहली पंक्ति में आप किसी को गीत बंनने के लिए कह रहे हैं और उसकी ठीक अगली पंक्ति में उसी को ग़ज़ल कह के पुकार रहे हैं. क्या यह उचित है? देख लीजिएगा. सादर.

Comment by Samar kabeer on September 11, 2017 at 7:44pm
जनाब रवीन्द्र पाण्डेय जी आदाब,अच्छा प्रयास है गीत का,इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।
कुछ टंकण त्रुटियां हैं,देख लें ।

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