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अरे हम कोई लेखक थोड़ी हैं


बह्र:- 1222-1221-22
अरे ! हम कोई लेखक थोड़ी हैं।।
समय हो पास , वो मुमफली हैं।।

कहाँ कहना हमें मंच-कविता।
बहल बस दिल ही जाएं ख़ुशी हैं।।

बड़े ओहदे ,रंगीं रात ,ना ना।
गरीबां का निवाला, सही हैं।।

मुहब्बत में हमारी भी दोस्त।
नशा भी वो ,वही मयकशी हैं।।

कोई रूठे तो रूठे मेरा क्या।
मेरी दौलत ओ शोहरत नही हैं।।


आमोद बिंदौरी /मौलिक अप्रकाशित

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Comment

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Comment by Mohammed Arif on January 25, 2018 at 8:09am

आदरणीय आमोद जी आदाब,

                एक अच्छी ग़ज़ल का प्रयास । आदरणीय सलीम रज़ा साहब की बातों का संज्ञान लें । हार्दिक बधाई स्वीकार करें ।

Comment by SALIM RAZA REWA on January 24, 2018 at 10:39pm
भाई अमोद जी,
ग़ज़ल का अच्छी प्रयास है.. आपको और मेहनत करने की ज़रूरत है. बधाई और मेरी शुभकामना.

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