For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

तुम्हारे जैसा कोई खुश नुमां नहीं मिलता

बहर :-1212-1122-1212-22

गरीब वो हैं कि जिनका मकां नहीं मिलता।।

अमीर वो जो कभी खामखां नहीं मिलता।।

कोई भी शख़्स मुझे खुश नुमां नहीं मिलता।।

मुझे तो दर्द भी हँस कर मियां नहीं मिलता।।

मैं ढूंढता हूँ खुद का निशाँ नहीं मिलता।।

शह्र में तेरे मिरा हम जुबाँ नहीं मिलता।।

मिले बहुत से मगर और बात है तुम में।।

तुम्हारे जैसा कोई खुशनुमां नहीं मिलता।।

कसम भी प्यार में खाई कसम को तोड़ा भी।

हाँ यार तुम सा कोई बागवां नहीं मिलता।।

समय के फेर में उलझा है आदमी कुछ यूँ।

हमें जहाँ है जरुरत वहाँ नही मिलता।।

जहाँ पे सिख - इसाई ,न हिन्दू - मुस्लिम हो।।

मैं ढूढ़ता हूँ जिसे ,कारवाँ नहीं मिलता।।

है आलिशान मकानों की त्रिश्नगी जैसा ।

मगर मिला जो मुझे ,प्यार हाँ नहीं मिलता।।

जो शख्स मेरी मुहब्बत की इक इबादत है।

वो अब मुझे ही मेरे दरमियाँ नही मिलता।।

मुझे न रात की तन्हाई मार पाती यूँ।

जो कमरा मेरा मुझे बेजुबाँ नहीं मिलता।।

कोई हो शर्त मुहबत की मान लेंगे वो।

जिन्हें ये इश्क उमर भर मियां नहीं मिलता।।

उन्हें गजल से मेरी आज भी शिकायत है।

की शेर इश्क में डूबा जवां नहीं मिलता।।

नजर मिला के नजर से मुझे नजर आया।

नजर के खेल से भी आशियाँ नहीं मिलता।।

जो बात बात में अक्सर अलग अलग सा है।

वो हम सफर भी कभी हम जुबाँ नहीं मिलता।।

आमोद बिंदौरी / मौलिक अप्रकाशित

Views: 628

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by amod shrivastav (bindouri) on February 14, 2018 at 8:57am

आ तस्दीक साहब , बृजेश साहब नमन ,  मार्गदर्शन और प्यार के लिए आभार 

Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on February 11, 2018 at 1:21pm

अच्छी ग़ज़ल हुई आदरणीय..ज़नाब तस्दीक साहेब ने ठीक ही फ़रमाया है..बहुत लम्बी रचना में दिलचस्पी कम होने लगती है।

Comment by Tasdiq Ahmed Khan on February 10, 2018 at 8:43pm

जनाब आमोद साहिब, टाइप पूरा पोस्ट नहीं हो पाया ।

शेर2 राबतकी कमी , शेर3रब्त की कमी ,मिसरे बह्र में नहीं , शेर5 रब्त की कमी, रब्त की कमी ,उला बह्र में नहीं ,शेर8 रब्त की कमी ,ऐब-रदीफैंन।

Comment by Tasdiq Ahmed Khan on February 10, 2018 at 8:19pm

जनाब आमोद बिंदोरी साहिब , आपका ग़ज़ल पर कोशिश करते अच्छा लग रहा है । मेरी राय है कि सात शेर से ज़्यादा मत कहें ,और उन्हीं में बार बार बदलाव करें ।आपने 14 शेर लिख दिए । 

शेर1 मिसरों में रब्त की कमी ,शब्द ख़्वाम ख्वाह होता है ।

शेर10 रब्त की कमी , शेर11 रब्त की कमी ,सही शब्द  उम्र है ।

  1. शेर12 रब्त की कमी , शेर13 रब्त की कमी , ऐब -तकाबुले रदीफैंन।
  2. शेर14 मिसरों में रब्त की कमी । ।।  अभी कई बार अपनी ग़ज़ल पढ़ें और सही करने कोशिश करें ,वह महनत मांग रही है।

Comment by amod shrivastav (bindouri) on February 10, 2018 at 11:50am

आ वीरेंद्र साहब  , सादर आभार  , आपके प्रेम पूर्ण शब्दों ने मेरे दो शेर को जिन्दा क्र दिया ,

Comment by VIRENDER VEER MEHTA on February 10, 2018 at 11:43am

जो शख्स मेरी मुहब्बत की इक इबादत है।

वो अब मुझे ही मेरे दरमियाँ नही मिलता।।

उन्हें गजल से मेरी आज भी शिकायत है।

की शेर इश्क में डूबा जवां नहीं मिलता।।..... बहुत उम्दा भाई आमोद श्रीवास्तव जी. मन को छु गये आपकी ये पंक्तियाँ. बधाई भाई जी

Comment by amod shrivastav (bindouri) on February 9, 2018 at 6:31pm

आदरणीया रक्षिता जी आभार

Comment by रक्षिता सिंह on February 8, 2018 at 11:50pm

आदरणीय अमोद जी...

" मिले बहुत से मगर और बात है तुझ में।

तुम्हारे जैसा कोई खुशनुमा नहीं मिलता।।" 

बहुत बढ़िया शैर.... हार्दिक बधाई।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"आ.प्राची बहन, सादर अभिवादन। दोहों पर उपस्थिति और उत्साहवर्धन के लिए आभार।"
17 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"कहें अमावस पूर्णिमा, जिनके मन में प्रीत लिए प्रेम की चाँदनी, लिखें मिलन के गीतपूनम की रातें…"
23 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"दोहावली***आती पूनम रात जब, मन में उमगे प्रीतकरे पूर्ण तब चाँदनी, मधुर मिलन की रीत।१।*चाहे…"
Saturday
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"स्वागतम 🎉"
Friday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

सुखों को तराजू में मत तोल सिक्के-लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'

१२२/१२२/१२२/१२२ * कथा निर्धनों की कभी बोल सिक्के सुखों को तराजू में मत तोल सिक्के।१। * महल…See More
Thursday
Admin posted discussions
Tuesday
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
Jul 7
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - ताने बाने में उलझा है जल्दी पगला जाएगा
"धन्यवाद आ. लक्ष्मण जी "
Jul 7
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - मुक़ाबिल ज़ुल्म के लश्कर खड़े हैं
"धन्यवाद आ. लक्ष्मण जी "
Jul 7
Chetan Prakash commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post घाव भले भर पीर न कोई मरने दे - लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"खूबसूरत ग़ज़ल हुई, बह्र भी दी जानी चाहिए थी। ' बेदम' काफ़िया , शे'र ( 6 ) और  (…"
Jul 6
Chetan Prakash commented on PHOOL SINGH's blog post यथार्थवाद और जीवन
"अध्ययन करने के पश्चात स्पष्ट दृष्टिगोचर होता है, उद्देश्य को प्राप्त कर ने में यद्यपि लेखक सफल…"
Jul 6

सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh commented on PHOOL SINGH's blog post यथार्थवाद और जीवन
"सुविचारित सुंदर आलेख "
Jul 5

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service