कभी सोचता हूँ यदि ईश्वर-अल्लाह इत्यादि एक ही है
तो हम सबको अलग-अलग पैदा क्यों किया ?
इस बारे में क्या सोचते है आप ?
और माना कि पैदा किया भी तो फिर बीच में
कहाँ से आ टपके हमारे माँ-बाप ?
और पर्वत-पहाड़ नदियाँ तो बनते बिगड़ते है अपने आप
फिर इन सबको भी ऊपर वाले ने बनाया क्यों कहते है आप ?
और कभी सड़क पर आपको ड्राईवर टक्कर से बचा भी दें
तो आप पूरा श्रेय देते हैं भगवान को !
और मर गए तो आफत आती है ड्राईवर की जान को !
थोडा सोचो यार जाति-धर्म और भगवानों में क्यों बाँटते हो इंसान को ?
हम सब इंसानों की औलाद है तो बस इन्सान रहने दो इन्सान को !
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"मौलिक व अप्रकाशित"
Comment
जनाब नवल किशोर सोनी जी आदाब,अजीब-ओ-ग़रीब सवाल हैं इस रचना में,बहरहाल इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।
शुक्रिया मोहम्मद आरिफ साहब .
आदरणीय नवल किशोर जी आदाब,
अच्छी रचना । इसे और बेहतर बनाने की कोशिश करेंगे तो श्रेष्ठ रचना बन जाएगी । हार्दिक बधाई स्वीकार करें ।
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