For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

तेरी-मेरी कहाँ सियासत ?

जुमले बाजी का नाम सियासत |

मक्कारों का काम सियासत |

जाति,धर्म पर लड़वाने में

सबसे आगे आज सियासत |

रोजगार के ख्वाब  दिखाकर

लूटे सरे आम  सियासत |

घोटालों में लिप्त है नेता

बेमानी का नाम सियासत |

बेटियों की लुटती  आबरू

चुप बैठी है  आज सियासत |

 लाज-शर्म को गिरवी रखकर

करती नंगा नाच सियासत |

भाई-भतीजावाद है हावी

तेरी-मेरी कहाँ सियासत ?

"मौलिक एवं अप्रकाशित"

Views: 741

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Naval Kishor Soni on July 13, 2018 at 6:48pm

शुक्रिया बृजेश कुमार जी .

Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on July 13, 2018 at 5:52pm

उम्दा रचना है आदरणीय...

Comment by Naval Kishor Soni on July 13, 2018 at 4:25pm

शुक्रिया आदरणीया नीलम जी.

Comment by Neelam Upadhyaya on July 13, 2018 at 4:01pm

आदरणीय नवल किशोर जी, बढ़िया प्रस्तुति के बधाई । 

Comment by Naval Kishor Soni on July 13, 2018 at 12:17pm

शुक्रिया मेम !


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on July 12, 2018 at 6:41pm

अच्छी रचना है नवल किशोर जी बधाई आपको 

Comment by Naval Kishor Soni on July 12, 2018 at 6:05pm

शुक्रिया सर !

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on July 12, 2018 at 5:39pm

अच्छी रचना हुयी है हार्दिक बधाई ।

Comment by Naval Kishor Soni on July 12, 2018 at 12:09pm

आदरणीय तेजवीर सिंह जी एवं जनाब समर कबीर जी हौसला अफजाई के लिए आप दोनों का शुक्रिया .

Comment by TEJ VEER SINGH on July 12, 2018 at 10:43am

हार्दिक बधाई आदरणीय नवल किशोर जी। लाज़वाब प्रस्तुति।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Jaihind Raipuri is now a member of Open Books Online
7 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Ashok Kumar Raktale's blog post ठहरा यह जीवन
"आदरणीय अशोक भाईजी,आपकी गीत-प्रस्तुति के लिए हार्दिक बधाइयाँ  एक एकाकी-जीवन का बहुत ही मार्मिक…"
11 hours ago
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - ज़िन्दगी की रह-गुज़र दुश्वार भी करते रहे
"धन्यवाद आ. रवि जी "
12 hours ago
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - आँखों की बीनाई जैसा
"स्वागत है आ. रवि जी "
12 hours ago
Ravi Shukla commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - आँखों की बीनाई जैसा
"आदरणीय नीलेश जी जुलाई में इंदौर आ रहा हूँ मिलत है फिर ।  "
15 hours ago
Ravi Shukla commented on अजय गुप्ता 'अजेय's blog post ग़ज़ल (अलग-अलग अब छत्ते हैं)
"      आदरणीय अजय जी ग़ज़ल के प्रयास केलिये आपको बधाई देता हूँ । ऐसा प्रतीत हो रहा है…"
15 hours ago
Ravi Shukla commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - ज़िन्दगी की रह-गुज़र दुश्वार भी करते रहे
"आदरीणीय नीलेश जी तरही मिसरे पर मुशाइरे के बाद एक और गजल क साथ उपस्थिति पर आपको बहुत बहुत मुबारक बाद…"
16 hours ago
Nilesh Shevgaonkar posted blog posts
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on अजय गुप्ता 'अजेय's blog post ग़ज़ल (हर रोज़ नया चेहरा अपने, चेहरे पे बशर चिपकाता है)
"सोलह गाफ की मात्रिक बहर में निबद्ध आपकी प्रस्तुति के कई शेर अच्छे हुए हैं, आदरणीय अजय अजेय जी.…"
yesterday
Nilesh Shevgaonkar commented on अजय गुप्ता 'अजेय's blog post ग़ज़ल (अलग-अलग अब छत्ते हैं)
"आ. अजय जी,क़ाफ़िया उन्मत्त तो सुना था उन्मत्ते पहली बार देखा...तत्ते का भी अर्थ मुझे नहीं पता..उतना…"
yesterday
अजय गुप्ता 'अजेय posted a blog post

ग़ज़ल (अलग-अलग अब छत्ते हैं)

लोग हुए उन्मत्ते हैं बिना आग ही तत्ते हैंगड्डी में सब सत्ते हैं बड़े अनोखे पत्ते हैंउतना तो सामान…See More
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post गजल - जा तुझे इश्क हो // -- सौरभ
"क्या अंदाज है ! क्या मिजाज हैं ! आपकी शुभकामनाओं के लिए हार्दिक धन्यवाद, आदरणीय नीलेश…"
yesterday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service