For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

अब तुम नहीं हो इस दुनिया में-------

बेहद तेजी से प्रोफेशनल तरक्‍की
के रास्‍ते पर हो दोस्त,
बुन ली है तुमने अपने
आस पास एक ऐसी दुनिया,
जिसमें ना प्रवेश कर सकते  हैं  हम
और ना ही तुम आ सकते हो हम तक !
नहीं बची  है दूसरों के लिए करुणा,
प्रेम, स्‍नेह और आत्‍मीयता की कोई जगह,
तुम्हारी इस दुनिया में !
हंसना, मुस्‍कुराना तो कभी का
हो चुका था बंद,जब भी मिले,मिले तुम
लिए चेहरे पर प्‍लास्टिक सी  मुस्‍कान,
भीतर ही भीतर मान लिया तुमने,
स्वयं को  सर्वश्रेष्‍ठ,
बना ली  अपने आस पास एक ऐसी दीवार,
जिसमें दरवाजा तो दूर कोई ‘खिड़की’ तक न थी !
घर के बाहर इकट्ठे होते अखबारों,
और दूध के पैकेट ने बताया कि ;
‘अब तुम नहीं हो इस दुनिया में’ !

"मौलिक व अप्रकाशित"

   

Views: 492

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Naval Kishor Soni on August 23, 2018 at 3:12pm

 शुक्रिया आदरणीय Samar kabeer जी ! 

Comment by Samar kabeer on August 23, 2018 at 2:52pm

जनाब नवल किशोर सोनी जी आदाब,अच्छी रचना हुई है,इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।

Comment by Naval Kishor Soni on August 23, 2018 at 12:00pm

शुक्रिया आदरणीय  santosh khirwadkar जी !

Comment by santosh khirwadkar on August 23, 2018 at 11:37am

वाह्ह्ह क्या शाश्वत अभिव्यक्ति है ......प्लास्टिक की मुस्कान..बहुत ख़ूब!!

Comment by Naval Kishor Soni on August 23, 2018 at 10:29am

जनाब मोहम्मद आरिफ जी हौसला अफजाई के लिए आपका शुक्रिया !

Comment by Mohammed Arif on August 22, 2018 at 8:58pm

आदरणीय नवलकिशोर जी आदाब,

                        भावना की तीव्र अभिव्यक्ति । तरक़्की के इस दौर में हम अपनों से बहुत दूर जा रहे हैं । जो अपने हैं उन्हें भी तरजीह नहीं देते हैं । संवेदनहीनता का सैलाब सबको डुबो रहा है । हार्दिक बधाई ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"अच्छी ग़ज़ल हुई आ बधाई स्वीकार करें सातवाँ थोड़ा मरम्मत चाहता है"
1 minute ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"बहुत ख़ूब। समझदार को इशारा काफ़ी। आप अच्छा लिखते हैं और जल्दी सीखते हैं। शुभकामनाएँ"
2 minutes ago
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"जी बहुत बहुत शुक्रिया आ ज़र्रा-नवाज़ी का"
10 minutes ago
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"जी बहुत बहुत शुक्रिया आ ज़र्रा-नवाज़ी का"
10 minutes ago
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"जी बहुत बहुत शुक्रिया आ ज़र्रा-नवाज़ी का"
11 minutes ago
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"बारीकी से इस्लाह व ज़र्रा-नवाज़ी का बहुत बहुत शुक्रिया आ इक नज़र ही काफी है आतिश-ए-महब्बत…"
12 minutes ago
Sanjay Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय अमित जी अच्छी ग़ज़ल हुई। बधाई स्वीकार करें"
27 minutes ago
Sanjay Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय महेंद्र जी अच्छी ग़ज़ल हुई। बधाई स्वीकार करें"
29 minutes ago
Sanjay Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय आज़ी जी अच्छी ग़ज़ल हुई। बधाई स्वीकार करें"
30 minutes ago
Sanjay Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय अमीर जी अच्छी ग़ज़ल हुई। बधाई स्वीकार करें"
31 minutes ago
Sanjay Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय चेतन जी अच्छी ग़ज़ल हुई। बधाई स्वीकार करें"
32 minutes ago
Sanjay Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय लक्ष्मण जी अच्छी ग़ज़ल हुई। बधाई स्वीकार करें"
33 minutes ago

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service