2122 1212 22
जब भी मेरे क़रीब आओगे
अपनी हस्ती को भूल जाओगे
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है वफ़ा क्या यह जान जाओगे
दिल अगर हम से तुम लगाओगे
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मुस्कुराता लगेगा जग सारा
आप जब दिल से मुस्कुराओगे
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सोच लो खूब इश्क़ से पहले
ज़िन्दगी दांव पर लगाओगे
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ज़िन्दगी की किताब मत खोलो
उसमें असरार कुछ न पाओगे
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मौलिक व अप्रकाशित
Comment
वाह बहुतखूब ग़ज़ल कही है...बधाई
जनाब असरार धारवी साहिब आदाब, पहली बार आपकी ग़ज़ल से रूबरू हुआ हूँ, अच्छी ग़ज़ल हुई है,दाद के साथ मुबारकबाद पेश करता हूँ ।
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