For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ग़ज़ल-नूर की -ईमान छोड दूँ तो क़िरदार मार देगा,

२२१२ १२२ २२१२ १२ २
.
ईमान छोड दूँ तो क़िरदार मार देगा,
इस पार बच गया तो उस पार मार देगा.
.
आदत सी पड़ गयी है अब नफ़रतों की मुझ को
इतना न मुझ को चाहो ये प्यार मार देगा.
.
कितना बचाऊँ लेकिन है तज्रबा... मुकद्दर,
इक रोज़ मेरे सर पर दीवार मार देगा.
.
ये हक़ बयानी का इक औज़ार था मगर अब,
सच बोल दे कलम गर अख़बार मार देगा. 
.
कोचिंग की आशिक़ी में वह मुँह चिढ़ाता शनिचर,
लगता था जैसे हम को इतवार मार देगा.
.  
बोली बढ़ा घटा के बिक जाऊं तो ग़नीमत,
जो बिक न पाए उन को बाज़ार मार देगा.
.
ऐ कामयाबी तेरी मैं राह तक रहा हूँ
इस बार वरना तेरा इन्कार मार देगा.
.
निलेश "नूर"
मौलिक / अप्रकाशित 

Views: 746

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Nilesh Shevgaonkar on March 9, 2018 at 8:04pm

शुक्रिया आ. समर सर 

Comment by Nilesh Shevgaonkar on March 9, 2018 at 8:04pm

शुक्रिया आ. मोहम्मद आरिफ साहब 

Comment by Shyam Narain Verma on March 9, 2018 at 4:31pm
बहुत खूबसूरत ग़ज़ल! आपको बहुत-बहुत बधाई!
Comment by Samar kabeer on March 9, 2018 at 10:48am

जनाब निलेश 'नूर'साहिब आदाब,वाह बहुत ख़ूब क्या शानदार ग़ज़ल कही है,ग़ज़ल मुंह से बोल रही है कि मैं निलेश नूर की हूँ,अपने मख़सूस लब-ओ-लहजे में कामयाब ग़ज़ल, शैर दर शैर दाद के साथ मुबारकबाद पेश करता हूँ ।

Comment by Mohammed Arif on March 9, 2018 at 10:33am


ये हक़ बयानी का इक औज़ार था मगर अब, 
सच बोल दे कलम गर अख़बार मार देगा.   वाह!वाह !! बहुत ही लाजवाब शेे'र हुुुआ है । मज़ा आ गया ।

            लाजवाब और बेजोड़ ग़ज़ल के लिए दिली मुबारकबाद आदरणीय नीलेश जी ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"आ. भाई दयाराम जी, सादर अभिवादन। रचना पर उपस्थिति और उत्साहवर्धन के लिए आभार।"
2 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"सहर्ष सदर अभिवादन "
9 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, पर्यावरण विषय पर सुंदर सारगर्भित ग़ज़ल के लिए बधाई।"
11 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"आदरणीय सुरेश कुमार जी, प्रदत्त विषय पर सुंदर सारगर्भित कुण्डलिया छंद के लिए बहुत बहुत बधाई।"
11 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"आदरणीय मिथलेश जी, सुंदर सारगर्भित रचना के लिए बहुत बहुत बधाई।"
11 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, प्रोत्साहन के लिए बहुत बहुत धन्यवाद।"
11 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"आ. भाई दयाराम जी, सादर अभिवादन। अच्छी रचना हुई है। हार्दिक बधाई।"
15 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"आ. भाई सुरेश जी, अभिवादन। प्रदत्त विषय पर सुंदर कुंडली छंद हुए हैं हार्दिक बधाई।"
17 hours ago
सुरेश कुमार 'कल्याण' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
" "पर्यावरण" (दोहा सप्तक) ऐसे नर हैं मूढ़ जो, रहे पेड़ को काट। प्राण वायु अनमोल है,…"
19 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। पर्यावरण पर मानव अत्याचारों को उकेरती बेहतरीन रचना हुई है। हार्दिक…"
19 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"पर्यावरण पर छंद मुक्त रचना। पेड़ काट करकंकरीट के गगनचुंबीमहल बना करपर्यावरण हमने ही बिगाड़ा हैदोष…"
19 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"तंज यूं आपने धूप पर कस दिए ये धधकती हवा के नए काफिए  ये कभी पुरसुकूं बैठकर सोचिए क्या किया इस…"
22 hours ago

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service