For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

मानवता की मौत -- लघुकथा –

मानवता की मौत -- लघुकथा –

 दिल्ली की ब्लू लाइन बस में आश्रम से सफ़दरगंज अस्पताल जाने के लिये एक बूढ़ी देहाती औरत अपने साथ एक जवान गर्भवती स्त्री को लेकर चढ़ रही थी।

"अरे अम्मा जी, बस में पैर रखने को जगह नहीं है। इस बाई की हालत भी ऐसी है कि ये खड़ी भी न हो पायेगी। कोई और सवारी देख लो"? बस कंडक्टर ने सुझाव दिया|

"एक घंटो हो गयो, खड़े खड़े। लाड़ी के दर्द शुरू हो गये। अस्पताल पहुंचनो जरूरी है| सारी सवारी गाड़ियों की हड़ताल है, सरकार ने पेट्रोल के दाम बढ़ा दिये, इसलिये| घनी मजबूरी है बेटा"।

बेटा पुकारने से कंडक्टर कुछ संजीदा होगया,"आजा अम्मा, तेरी मर्जी। देख ले कोई भलामानस सीट दे दे तो"।

बस में घुसने के बाद बूढ़ी औरत ने,  इधर उधर देखा कि कहीं उन्हें गर्भवती औरत को बिठाने की  जगह मिल जाय।

गर्भवती स्त्री खड़े रहने में असमर्थ थी। प्रसव पीड़ा के दर्द से रह रह कर कराह भी रही थी। लेकिन पूरी बस में एक भी व्यक्ति उसे अपनी सीट  देने की पहल नहीं कर रहा था।

इतनी सारी सवारियों में कोई भी मानवता दिखाने को तैयार नहीं था।हालांकि लगभग सभी सवारियाँ पढ़ी लिखी और सूटेड बूटेड थीं।

उस बूढ़ी औरत ने एक दो लोगों से मिन्नत भी की, कुछ लोगों में थोड़ी खुसुर पुसुर भी हुई। एक भद्र पुरुष ने इतना आश्वासन अवश्य दिया कि वह अगले स्टॉप पर उतरेगा, तब आप इधर बैठ जाना।

वे  बेबस औरतें  नसीब के भरोसे,   बस में, जैसे तैसे , हिचकोले खाते, खड़े खड़े ही यात्रा  कर रहीं थीं।

तभी अचानक बस एक गति अवरोधक पर उछली, चूंकि गति तेज़ थी,इसलिये उछाल भी बड़ा था। इस कारण गर्भवती स्त्री एक चीख के साथ गिर पड़ी। उसके साथ वाली बूढ़ी औरत के संभालते संभालते बच्चा पैदा हो गया।

 बस में नवजात शिशु के रोने की चीख गूँज उठी।

इधर बस के अंदर एक नये मानव का जन्म हुआ था, वहीं  उसी बस में मानवता  शर्मसार होकर मर गयी|

 मौलिक एवम अप्रकाशित

Views: 734

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by TEJ VEER SINGH on April 9, 2018 at 12:58pm

हार्दिक आभार आदरणीय नीलम उपाध्याय जी।समाज में नैतिक मूल्यों का कितनी शीघ्रता से पतन हो रहा है, यह स्थिति भयावह एवम बेहद शर्मनाक है।हमारी भावी पीढ़ी पर इसका क्या असर होगा, यह सोचकर ही मन शंकित हो जाता है।आपकी त्वरित और संवेदना पूर्ण टिप्पणी का पुनः आभार।

Comment by Neelam Upadhyaya on April 9, 2018 at 12:07pm

आदरणीय तेजवीर सिंह जी, नमस्कार । मानवीय संवेदनाओं के प्रति इंसान कितना असंवेदनशील हो सकता है, इसकी पराकाष्ठा है कहानी । हम आज ऐसे ही समाज मे रह रहे हैं इसकी कल्पना मात्र से सिर शर्म से झुक जाता है । बहुत ही बढ़िया लघु कथा । बधाई स्वीकार करें ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Nilesh Shevgaonkar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-179
"आ. अजय जी मेरी किसी टिप्पणी में कोई तंज़ नहीं है। आपके मिथ्या आरोप मेरी भावनाएं अवश्य आहत कर रहे…"
6 minutes ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-179
"आदरणीय अजेय जी  बहुत शुक्रिया आपका हौसला अफ़ज़ाई के लिए  सुधार किए हैं  सादर "
8 minutes ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-179
"आदरणीय निलेश जी  बहुत बहुत शुक्रिया आपका इतनी बारीक़ी बताने के लिए।  मतले का सुझाव बेहतर…"
21 minutes ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-179
"आदरणीय शकूर जी  हौसला अफ़ज़ाई के लिए बहुत शुक्रिया आपका इतने विस्तार से आपने बताया सब आभार…"
27 minutes ago
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-179
"श्रीमान नीलेश जी, अपनी बातचीत की शैली सुधारिए। हर बात तंज में कहना आवश्यक नहीं होता। आपने पिछले…"
30 minutes ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-179
"आदरणीय निलेश जी नमस्कार  बहुत अच्छे कवाफ़ी लिए और बहुत अच्छी ग़ज़ल कही आपने बधाई स्वीकार…"
36 minutes ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-179
"आदरणीय शकूर जी नमस्कार  बहुत ख़ूब ग़ज़ल कही आपने बधाई स्वीकार कीजिए  गिरह ज़बर्दस्त…"
42 minutes ago
Gajendra shrotriya replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-179
"//वेदना तुम से विरह की एक पल भूले नहींकिन्तु नव सम्बन्ध हम स्वीकार भी करते रहे// हासिल-ए-ग़ज़ल शेर !…"
1 hour ago
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-179
"ग़़ज़ल पर संभावित प्रश्नों को विचार में लेते हुए मेरे विचार प्रस्तुत हैं।  खुद ही अपनी…"
1 hour ago
Nilesh Shevgaonkar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-179
"आ. अजय जी आपकी आपत्ति का संज्ञान ले लिया गया है. सभी देवताओं को किसी ने व्यभिचारी नहीं कहा…"
1 hour ago
Gajendra shrotriya replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-179
"वाह! ख़ूब ! ख़ूब! बहुत ख़ूब! शानदार ग़ज़ल कही आपने आदरणीय शिज्जू शकूर साहब। गिरह सहित सभी शेर असरदार…"
1 hour ago
Nilesh Shevgaonkar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-179
"आ. दयाराम जी,बहुत खूब ग़ज़ल हुई है ..इस्लाह जैसा कुछ भी नहीं है किन्तु दो चार बारीक बातें प्रस्तुत…"
1 hour ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service