For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

पथरीली डगर  - लघुकथा –

पथरीली डगर  - लघुकथा –

"माँ, अब से हम अकेले स्कूल नहीं जाया करेंगे"?

"क्यों, क्या हुआ, मेरी बच्ची"?

 "आप बापू से बोलो, हमें स्कूल छोड़ने और लेने आया करें"।

"अरे कुछ बतायेगी भी कि बस एक ही रट लगा रखी है"?

"क्या बतायें, कुछ बताने लायक बात हो तब ना"?

"बिटिया, तेरे बापू को काम पर जाना होता है। कैसे तेरे साथ जायेगा"?

"तो फिर हम पढ़ाई छोड़ देते हैं"?

"कैसी बात करती है मेरी लाड़ो? तू हमारी इकलौती संतान है। हम दोनों तेरे भविष्य के लिये ही तो रात दिन खटते रहते हैं"।

"माँ, जब हम ही नहीं रहेंगे तो यह खटना किसके काम आयेगा"?

बेटी की बात सुनकर माँ का कलेज़ा काँप गया। माँ ने उसे अपनी गोद में बैठाकर, अपने आँचल से बेटी के चेहरे को ऐसे पौंछा जैसे बेटी की सारी मुसीबतें, बेटी के भाल से माँ के दामन में सिमट जायेंगी। फिर बेटी के सिर पर प्यार से हाथ फिराते हुए पूछा,

"अपनी माँ को नहीं बतायेगी, अपनी परेशानी"?

"माँ, घर से स्कूल तक ना जाने कितने लोग ऐसे ताकते हैं, जैसे हम कोई खानेपीने की चीज़ हैं| कुछ तो एकदम पास से घिनौने तरीके से घूरते और गंदे गाने गाते हुए निकलते हैं"?

"मुझे पता है, तू सच कह रही है मेरी बच्ची, ज़माना बहुत खराब है| मर्द लोग स्त्री को केवल भोग विलास की ही वस्तु समझते हैं"|

"अब तुम ही बताओ  माँ, ऐसे हालात में हम क्या करें"?

"यह तो कुछ भी नहीं है बिटिया, इससे भी बुरे हालात हो सकते हैं"?

"क्या मतलब"?

"अभी जो लोग घूरते हैं, आगे चलकर सीटी बजायेंगे, आँख मारेंगे ,कपड़े खीचेंगे, चिकोटी भरेंगे, धक्का मुक्की करेंगे और फिर बलात्कार भी कर सकते हैं"?

 "माँ, तुम तो  हमें और भी डरा रही हो"?

" बिटिया, हम तुम्हें कड़वी सच्चाई बता रहे हैं।जिसका हर औरत को सामना करने के लिये तैयार रहना चाहिये"|

"माँ, बहुत मुश्किल है इनका सामना करना"?

 "बिटिया, मुश्किल जरूर है लेकिन असंभव नहीं"?

मौलिक एवम अप्रकाशित

Views: 534

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by TEJ VEER SINGH on April 16, 2018 at 3:29pm

हार्दिक आभार आदरणीय नीलम उपाध्याय जी।आपसे मेरा नाम लिखने में छोटी सी त्रुटि हो गयी है शायद।

Comment by Neelam Upadhyaya on April 16, 2018 at 11:04am

आदरणीय समर कबीर जी, नमस्कार । समसामयिक विषय पर बढ़िया रचना की प्रस्तुति पर बधाई ।

Comment by TEJ VEER SINGH on April 15, 2018 at 12:21pm

हार्दिक आभार आदरणीय समर क़बीर साहब जी। आदाब।

Comment by TEJ VEER SINGH on April 15, 2018 at 12:20pm

हार्दिक आभार आदरणीय शेख उस्मानी जी।

Comment by Samar kabeer on April 14, 2018 at 3:31pm

जनाब तेजवीर सिंह जी आदाब,बहुत उम्दा लघुकथा हुई है,इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।

Comment by Sheikh Shahzad Usmani on April 13, 2018 at 3:57pm

समसामयिक घटनाचक्र पर सकारात्मक संदेश वाहक बढ़िया रचना के लिए हार्दिक बधाई आदरणीय तेजवीर सिंह साहिब।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"शुक्रिया आदरणीय।"
20 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी, पोस्ट पर आने एवं अपने विचारों से मार्ग दर्शन के लिए हार्दिक आभार।"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार। पति-पत्नी संबंधों में यकायक तनाव आने और कोर्ट-कचहरी तक जाकर‌ वापस सकारात्मक…"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदाब। सोशल मीडियाई मित्रता के चलन के एक पहलू को उजागर करती सांकेतिक तंजदार रचना हेतु हार्दिक बधाई…"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार।‌ रचना पटल पर अपना अमूल्य समय देकर रचना के संदेश पर समीक्षात्मक टिप्पणी और…"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदाब।‌ रचना पटल पर समय देकर रचना के मर्म पर समीक्षात्मक टिप्पणी और प्रोत्साहन हेतु हार्दिक…"
yesterday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी, आपकी लघु कथा हम भारतीयों की विदेश में रहने वालों के प्रति जो…"
yesterday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय मनन कुमार जी, आपने इतनी संक्षेप में बात को प्रसतुत कर सारी कहानी बता दी। इसे कहते हे बात…"
yesterday
AMAN SINHA and रौशन जसवाल विक्षिप्‍त are now friends
yesterday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय मिथलेश वामनकर जी, प्रेत्साहन के लिए बहुत बहुत धन्यवाद।"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय Dayaram Methani जी, लघुकथा का बहुत बढ़िया प्रयास हुआ है। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"क्या बात है! ये लघुकथा तो सीधी सादी लगती है, लेकिन अंदर का 'चटाक' इतना जोरदार है कि कान…"
yesterday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service